बंग्लादेश सीमा पर तैनात सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवानों ने 31 रोहिंग्या रिफ़्यूजी को गिरफ़्तार कर लिया है। बीएसएफ ने इन सभी को गिरफ़्तार करने के बाद त्रिपुरा पुलिस के हवाले कर दिया।
पिछले दिनों बंग्लादेश सीमा पर तैनात बॉर्डर गार्डस बांग्लादेश (BGP) के जवानों ने इन्हें अपने देश में घुसने से मना कर दिया था, जिसके बाद तीन दिनों से ये सभी बंग्लादेश सीमा पर फँसे हुए थे।
इसके बाद बीएसएफ व बीजीपी के उच्चाधिकारियों के बीच मीटिंग के बाद बीएसएफ के जवानों ने सभी रोहिंग्या रिफ़्यूजी को गिरफ़्तार करके त्रिपुरा पुलिस के हवाले कर दिया है। क्षेत्र के असिस्टेंट पब्लिक प्रॉसिक्यूटर विद्युत सूत्रधार ने मीडिया को बताया कि गिरफ़्तारी के बाद सभी रिफ़्यूजी को ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट संजन लाल त्रिपुरा के सामने पेश किया गया, जिसके बाद कोर्ट ने गिरफ़्तार किए गए सभी रोहिंग्या को 14 दिनों के न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है।
इंडियन पासपोर्ट एक्ट अवेहलना के जुर्म में इन सभी पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। इस मामले में अगली सुनवाई 4 फ़रवरी को ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के कोर्ट में होनी है। कोर्ट में सुनवाई को दौरान न्यायाधीश ने 7 महिला व 17 बच्चों को ₹30,000 के हिसाब से जमा करने बाद बेल लेने को ऑफ़र भी दिया, लेकिन यह रक़म जमा नहीं करने के बाद सभी को 14 दिनों के हिरासत में जेल भेजा गया।
भाजपा सरकार रोहिंग्या को देश से बाहर निकालने के लिए प्रतिबद्ध
साल 2017 में अपने म्यांमार के दौरे के समय ही प्रधानमंत्री ने इस बात की घोषणा की थी कि वो रोहिंग्याओं के निर्वासन पर विचार कर रही है। इस बात पर विचार करने के दौरान ये नहीं तय किया गया था कि इन लोगों को म्यांमार भेजा जाएगा या फिर बांग्लादेश भेजा जाएगा, क्योंकि उस समय बांग्लादेश में पहले से ही लाखों की तादाद में रोहिंग्या शरणार्थी रह रहे थे और म्यांमार इन्हें स्वीकारने के लिए किसी भी हाल में तैयार नहीं था।
ऐसे में अब 2019 के शुरुआती महीने में निर्वासन के डर से क़रीब 1300 रोहिंग्या लोगों ने बांग्लादेश में पलायन किया है, जिसकी वजह से नई दिल्ली को और केंद्रीय सरकार को काफ़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। कई बुद्धिजीवियों ने मोदी सरकार द्वारा इस मामले पर विचार किए जाने को नकारात्मकता के साथ पेश करने का भी प्रयास किया है, अलजज़ीरा की वेबसाइट पर हाल ही में आई रिपोर्ट में SAHRDC के रवि नैय्यर ने बताया कि भारत में पिछले साल से रोहिंग्या वासियों के लिए रहना बेहद मुश्किल होता जा रहा है।