राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत वर्तमान सरकार से कुछ ख़फ़ा नज़र आ रहे हैं। इस नाराज़गी का कारण सीमा पर शहीद हो रहे वो जवान हैं जो बिना युद्ध के अपनी जान गँवा रहे हैं। मोहन भागवत का कहना है कि फ़िलहाल देश में कोई युद्ध नहीं हो रहा है तो फिर सरहद पर सैनिकों का शहीद होना देश के लिए हानिकारक है। इसका सीधा मतलब है कि कहीं तो कुछ गड़बड़ है।
उन्होंने कहा कि सैनिकों का शहीद होना तब जायज़ था जब देश आज़ाद नहीं हुआ था। अब भारत देश एक आज़ाद देश है जिसका अपना एक वजूद है। भारत का शौर्य अपनी अनेकों गाथाएँ लिख चुका है। इन सकारात्मक परिस्थितियों में किसी युद्ध की कोई भनक नहीं है फिर सरहद पर शहीद हो रहे जवान किसकी भेंट चढ़ रहे हैं।
इसके अलावा उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि आज़ादी के बाद यदि देश में युद्ध जैसी संभावना उत्पन्न होती तो सैनिकों का शहीद होना समझ में आता है, लेकिन ऐसा न होने पर सैनिकों का बेवजह शहीद होना गंभीर विषय है।
अगर देश को प्रगति की राह पर ले जाना है तो हर देशवासी को अपनी सोच को विस्तार रूप देना और देश के लिए जीना सीखना होगा। सैनिकों के बलिदान पर अपना भाव व्यक्त करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि वे (सैनिक) देश को सुरक्षित रखने के लिए युद्ध में दुश्मन देश से कड़ा लोहा लेते हैं और अपनी जान गँवाने से जुड़ा हर ख़तरा मोल लेते हैं। भारतीय सेना किसी भी हालात में कभी पीछे नहीं हटती।
सैनिकों के अमूल्य बलिदान को व्यर्थ न जाने दें बल्कि कोशिश करें कि उस परिवार के सदस्यों की मदद के लिए अपने हाथ आगे बढ़ाएँ। समाज को इसी दिशा में आगे बढ़ना चाहिए कि वो देश में अच्छे व्यवहार का परिचय दे सके। इसके अलावा उन्होंने देश में बेरोज़गारी और महँगाई जैसे मुद्दे पर भी सरकार को घेरा।
वहीं बीजेपी को घेरने में सरकार्यवाहक भैय्या जी जोशी भी पीछे नहीं रहे। कुंभ मेले में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने अयोध्या के राम मंदिर निर्माण का मुद्दा उठाया और कहा कि अब राम मंदिर 2025 में बनेगा। हालाँकि बाद में उन्होंने अपने तंज भरे शब्दों का सुर बदलते हुए कहा कि हम चाहते हैं कि 2025 तक राम मंदिर बन जाए।