Monday, December 23, 2024
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‘नरबलि के अपराधियों को मिले कड़ी सजा’: गुजरात विधानसभा में अंधविश्वास और जादू-टोना पर रोक वाला बिल पेश, संतों ने सरकार के कदम को सराहा

महंतों ने एक सुर में कहा है कि राज्य में ऐसे कानून की तत्काल आवश्यकता थी और यह भी जरूरी था कि नर बलि के अपराधियों को कानून द्वारा कड़ी सजा दी जानी चाहिए।

गुजरात विधानसभा में 21 अगस्त से तीन दिवसीय मानसून सत्र शुरू हो चुका है। गुजरात सरकार ने इस सत्र के दौरान नरबलि, अंधविश्वास और जादू-टोना पर रोक लगाने के लिए एक विधेयक भी पेश किया है। राज्य में अंधविश्वास और जादू-टोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। सरकार के मानव बलि और अंधविश्वास विरोधी बिल को अब साधु-संतों का भी समर्थन मिल गया है।

गुजरात के प्रमुख कथावाचकों और महंतों ने सरकार की सराहना करते हुए अंधविश्वास विरोधी विधेयक का स्वागत किया है। महंतों ने एक सुर में कहा है कि राज्य में ऐसे कानून की तत्काल आवश्यकता थी और यह भी जरूरी था कि नर बलि के अपराधियों को कानून द्वारा कड़ी सजा दी जानी चाहिए।

जानकारी के मुताबिक, 21 अगस्त को विधानसभा के मानसून सत्र में अंधविश्वास विरोधी विधेयक को लेकर साधु वत्सलदासजी महाराज ने कहा है, ”ऋग्वेद में भी अंधविश्वास और जीव हत्या को वर्जित माना गया है। यही बात कई संहिताओं में भी कही गई है। सभी देवताओं से भी यही कहा गया है कि किसी भी जीव को कष्ट नहीं पहुँचाना चाहिए। इसके लिए कानून बनाया जाना चाहिए और जीव हत्या के अपराधियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए।”

डाकोर के प्रसिद्ध कथावाचक भाविनलालजी महाराज ने कहा , ”नरबलि और काला जादू की प्रथा को रोकने और अंधविश्वास को मिटाने का सरकार का विचार सराहनीय है। हम इसका स्वागत करते हैं। सरकार जो भी कानून और नियम लागू करती है, हम उसका पूरा समर्थन करते हैं। राज्य के हित में ऐसे कानूनों और नियमों की भी बहुत आवश्यकता है।”

इसके साथ ही उज्जैन के प्राचार्य डॉ. अर्जुन शर्मा ने गुजरात सरकार की भी तारीफ की है। डॉ अर्जुन शर्मा ने कहा, ”गुजरात सरकार द्वारा लाया जा रहा कानून बहुत अच्छा और सराहनीय कदम है। क्योंकि कई जगहों पर कई लोग अंधविश्वास फैलाते हैं। इस कानून से इस पर नियंत्रण होगा और सजा दी जाएगी। साथ ही ग्रामीण समाज के भोले-भाले लोगों को भी इसका लाभ मिलेगा। अंधविश्वास हर पंथ के लोगों में पाया जाता है। इसे हटाना गुजरात सरकार का एक सही और बेहतरीन कदम है।” इसके अलावा गुजरात के कई धार्मिक समुदायों के प्रतिनिधियों ने इस कानून का स्वागत किया है।

गौरतलब है कि गुजरात में अंधविश्वास और काले जादू के प्रसार से निपटने के लिए एक सख्त कानून बनाने के लिए गुजरात उच्च न्यायालय के समक्ष एक जनहित याचिका दायर की गई थी। इसके लिए राज्य गृह विभाग के प्रभारी उप सचिव ने गुजरात हाई कोर्ट में हलफनामा देकर कानून बनाने के अहम फैसले की घोषणा भी की थी। इस आशय का एक विधेयक 21 अगस्त को गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी द्वारा विधानसभा में पेश किया गया है। गुजरात हाईकोर्ट में पेश हलफनामे में गृह विभाग के उप सचिव ने कहा था कि अंधविश्वास, जादू-टोना और काले जादू की आड़ में होने वाली अमानवीय गतिविधियों को कुचलने के लिए गुजरात विधानसभा में एक विधेयक पेश किया जाएगा।

मूल रूप से ये समाचार गुजराती भाषा में प्रकाशित किया गया है। मूल समाचार पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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