प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मोइन कुरैशी केस में हैदराबाद के कारोबारी सतीश बाबू सना को दिल्ली में गिरफ्तार कर लिया। इसकी जानकारी प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने दी। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सतीश को मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक कानून (PMLA) के प्रावधानों के तहत शुक्रवार (जुलाई 26) की देर रात गिरफ्तार किया गया। उन्होंने बताया कि सना से कुछ घंटों तक पूछताछ की गई और जाँच में सहयोग ना करने पर उसे हिरासत में ले लिया गया। जल्द ही उसे एक स्थानीय अदालत में पेश किया जाएगा।
Enforcement Directorate has arrested Satish Babu Sana in connection with Moin Qureshi case. pic.twitter.com/CPbgW3wHG6
— ANI (@ANI) July 27, 2019
बता दें कि, सतीश बाबू सना ने सीबीआई (CBI) के पूर्व विशेष निदेशक रहे राकेश अस्थाना पर 5 करोड़ रुपए की रिश्वत माँगने का आरोप लगाया था। इसके बाद तत्कालीन सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने अस्थाना एवं अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था। सीबीआई को दिए अपने बयान में बाबू ने कहा था कि उसने मोइन कुरैशी से जुड़ी जाँच में किसी तरह की कार्रवाई ना करने के लिए अस्थाना को 2 करोड़ रुपए की रिश्वत दी थी। यह धन राशि दिसंबर 2017 से लेकर 10 महीने की अवधि में दी गई।
सतीश ने जब अस्थाना पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया था तब अस्थाना के नेतृत्व में सीबीआई का विशेष जाँच दल (SIT) उससे पूछताछ कर रहा था। सना की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए सीबीआई ने अस्थाना और एजेंसी के कुछ अधिकारियों समेत अन्य लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। बाद में अस्थाना ने तत्कालीन सीबीआई निदेशक वर्मा पर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया था और सतीश को बचाने और एसआईटी को उसके खिलाफ कार्रवाई ना करने देने के आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई।
गौरतलब है कि, ईडी ने सीबीआई अधिकारियों के साथ कथित भ्रष्टाचार के आरोप में मोइन कुरैशी के खिलाफ साल 2017 में मनी लॉन्ड्रिंग रोधी कानून के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया था। सना मोइन कुरैशी का काफी करीबी माना जाता है। बता दें कि मोईन कुरैशी ने 1993 में रामपुर में एक बूचड़खाने से अपने कारोबार की शुरुआत की थी और 10 साल के भीतर ही वह देश का बड़ा मीट निर्यातक बन गया। सना अब तक मीट कारोबारी मोइन कुरैशी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय का गवाह था, जो कि अब आरोपित बन गया है।
कुरैशी 2014 में सुर्खियों में आया था। उसका सबसे पहले नाम तब सामने आया जब यह पता चला कि वो 15 महीने में कम से कम 70 बार तत्कालीन सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा के घर पर हाजिरी लगाई थी। इसके बाद आरोपित के साथ बैठक करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सिन्हा को कड़ी फटकार भी लगाई थी।