‘रिपब्लिक टीवी’ के संस्थापक अर्नब गोस्वामी ने बदजबान शोएब जमाई को अपने शो से निकाल बाहर किया था क्योंकि उसने पैनलिस्टों पर ओछी और अपमानजनक टिप्पणी की थी। शोएब ने दावा किया था कि भारतीय मीडिया शत प्रतिशत समुदाय विशेष-विरोधी और सांप्रदायिक हो गया है। उसने धमकी दी थी कि एक दिन उन्हें कथित अल्पसंख्यकों के जीवन को ख़तरा पहुँचाने की सज़ा भुगतनी पड़ेगी। उसने मीडिया पर फेक न्यूज़ फैलाने का आरोप मढ़ा था। उसने दावा किया था कि समुदाय के 25 करोड़ मीडिया पर काफ़ी गुस्सा हैं।
शोएब ने भी धमकी दी थी कि मजहब के 25 करोड़ लोग आगे क्या करेंगे, इसका उसे कुछ नहीं पता। उस समय तो उसने धमकी दी थी कि गुस्साए लोग कुछ भी कर डालेंगे, वहीं अब वह अपने बयान का अलग-अलग अर्थ निकाल कर उसके बचाव में जुट गया है। अब उसने बताया है कि उसके कथन का मतलब है कि मजहबी संस्थाएँ अब ‘फेक न्यूज़ फ़ैलाने वाले चैनलों’ के ख़िलाफ़ एफआईआर करेंगे। वो इस बात से नाराज़ है कि ‘कोरोना बम’ और ‘कोरोना जिहाद’ जैसी बातें क्यों कही जा रही है।
उसने कहा कि ये सब शुरू हो चुका है। अपने पहले ट्वीट के क़रीब 13 घंटा बाद उसने ट्वीट करते हुए बताया कि वो न्यूज़ चैनलों की उन बातों को हलके में नहीं ले सकता और ऐसा करने वालों को क़ानून का सामना करना पड़ेगा। उसने कहा कि अब बहुत हो गया है। शोएब ने साथ ही 25 करोड़ लोगों वाली बात की भी व्याख्या की। उसने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रसार के लिए मजहब को जिम्मेदार ठहराया जाएगा तो निश्चित है कि समुदाय विशेष के लोग गुस्सा होंगे। साथ ही उसने दावा किया कि वो हिंसा में विश्वास नहीं रखता लेकिन क़ानूनी लड़ाई आवश्यक है।
बता दें कि अर्नब के शो में सोमवार (जनवरी 27, 2020) को PFI द्वारा सीएए के ख़िलाफ़ हुए दंगों को फंड दिए जाने के खुलासे पर डिबेट चल रहा था। इसी डिबेट के वीडियो में करीब 33 मिनट 50 सेकेंड के स्लॉट में शोएब को नेशनल टेलीवीजन पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते सुना जा सकता है। गौर करने वाली बात है कि शोएब ने डिबेट से जुड़ने के बाद ही इधर-उधर की बातें करनी शुरू कर दी थी।
जिसके कारण अर्नब ने कई बार उन्हें डिबेट से हटाने की बात की। लेकिन लगातार हस्तक्षेप के कारण जब उन्हें बोलने दिया गया तो वह किसी पैनेलिस्ट की बात पर नाराज हो गए। शोएब को डिबेट में कहते सुना जा सकता है, “तवायफ के बच्चे की हिम्मत कैसे हुई औरतों और बच्चों के बारे में बोलने की।”