नोएडा स्थित शारदा यूनिवर्सिटी के प्रश्न पत्र में हिंदूवादियों की तुलना फासीवादी और नाजीवादी से करने पर उठे विरोध के बाद बड़ा एक्शन हुआ है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने प्रश्नपत्र बनाने वाली फैकल्टी को सस्पेंड कर दिया है।
शारदा यूनिवर्सिटी ने यह एक्शन 6 मई 2022 (शुक्रवार) को लिया। साथ ही विश्वविद्यालय के मैनेजमेंट ने उस प्रश्नपत्र के लिए लोगों से माफ़ी भी माँगी है। हालाँकि प्रश्नपत्र बनाने वाले का नाम अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है।
— Sharda University (@sharda_uni) May 6, 2022
अपने ट्वीट में यूनिवर्सिटी ने आगे कहा, “विश्वविद्यालय प्रशासन हर उस लाइन से कोई इत्तेफाक नहीं रखती जो किसी भी राष्ट्रीय पहचान या संस्कृति के विरोध में हो। हम भारत के सच्चे और स्वर्णिम रूप को दिखाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
इस विवादित पेपर के पाँचवें नंबर पर सवाल किया गया था कि धर्मान्तरण के मूल कारण क्या हैं? वहीं, छठे नंबर पर पूछा गया था – ”क्या आपको नाजीवादी, फासीवादी और हिंदुत्व में कोई समानता दिखती है?” प्रश्न पत्र में दोनों सवालों को विस्तार से बताने के लिए कहा गया था।
यह पूरा विवाद तब उठा था, जब भाजपा नेता विकास प्रीतम सिन्हा ने इसकी फोटो कॉपी ट्वीट करते हुए उसमें पूछे गए एक सवाल को आपत्तिजनक बताया। यह प्रश्न पत्र BA के राजनीति विज्ञान के साल 2021-2022 सत्र का था। विकास प्रीतम के मुताबिक पेपर को कथित रूप से एक मुस्लिम शिक्षक ने बनाया है।
भाजपा नेता ने अपने ट्वीट में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, धर्मेंद्र प्रधान और शलभमणि त्रिपाठी को टैग किया था। इस पेपर के वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर शारदा यूनिवर्सिटी के खिलाफ कई नेटीजेंस ट्वीट कर रहे थे।