छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन-चरित्र को जन-जन तक पहुँचाने वाले मराठी के वरिष्ठ साहित्यकार शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे का सोमवार (15 नवंबर 2021) को सुबह करीब 5 बजे पुणे के दीनानाथ मंगेशकर मेमोरियल अस्पताल में निधन हो गया। पिछले तीन दिनों से वे काफी बीमार चल रहे थे। अस्पताल प्रशासन के मुताबिक, पुरंदरे को शनिवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहाँ हालात गंभीर होने के बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था।
Maharashtra | Notable Historian and author Babasaheb Purandare passes away at Deenanath Mangeshkar Hospital of Pune around 5 am this morning
— ANI (@ANI) November 15, 2021
शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताया है। पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, “मैं इस सूचना से दुखी हूँ और मेरे पास शब्द नहीं हैं। बाबासाहेब पुरंदरे का निधन इतिहास और संस्कृति की दुनिया में एक बड़ा शून्य छोड़ गया। उन्हीं की बदौलत आने वाली पीढ़ियाँ छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़ेंगी। उनके अन्य कार्यों को भी याद किया जाएगा।”
I am pained beyond words. The demise of Shivshahir Babasaheb Purandare leaves a major void in the world of history and culture. It is thanks to him that the coming generations will get further connected to Chhatrapati Shivaji Maharaj. His other works will also be remembered. pic.twitter.com/Ehu4NapPSL
— Narendra Modi (@narendramodi) November 15, 2021
उन्होंने एक ट्वीट में शोक जताते हुए कहा, “शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे अपने व्यापक कार्यों के कारण जीवित रहेंगे। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएँ उनके परिवार और अनगिनत प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।”
Shivshahir Babasaheb Purandare will live on due to his extensive works. In this sad hour, my thoughts are with his family and countless admirers. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) November 15, 2021
बाबासाहेब पुरंदरे के निधन के बाद छात्रपति शिवाजी महाराज पर किए गए उनके कार्यों को लेकर सोशल मीडिया पर लोग उन्हें याद कर रहे हैं। महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भी उन्हें याद करते हुए ट्वीट किया, “छत्रपति शिवाजी महाराज की गाथा को पीढ़ी दर पीढ़ी बताने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाले शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है।”
The news of the demise of Shiv Shahir Babasaheb Purandare who dedicated his entire life to narrate the saga of Chhatrapati Shivaji Maharaj to generations of people is extremely saddening. pic.twitter.com/bQBdFp9muW
— Governor of Maharashtra (@maha_governor) November 15, 2021
इतिहासकार विक्रम संपत ने दुख जताते हुए लिखा, “भारतीय इतिहासलेखन के एक महान युग का अंत… एक बौद्धिक दिग्गज, जिन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन और समय को पुनर्जीवित करने के लिए अथक प्रयास किया। शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे जी को भावभीनी श्रद्धांजलि। ओम शांति।”
The end of a great era in Indian historiography…what an intellectual giant who strove relentlessly to resurrect the life & times of Chhatrapati Shivaji Maharaj. Heartfelt tributes to Shivshahir Babasaheb Purandhare ji. Om Shanti 🙏 pic.twitter.com/0r8l6VoOQQ
— Dr. Vikram Sampath, FRHistS (@vikramsampath) November 15, 2021
भारत सरकार के सूचना आयुक्त ने ट्वीट करते हुए लिखा, “लोकमान्य तिलक के बाद 20वीं सदी में छत्रपति शिवाजी को अपने प्रचार-प्रसार से अमर करने में अहम भूमिका निभाने वाले व्यक्ति नहीं रहे। शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे के निधन पर उन्हें मेरी श्रद्धांजलि। एक बार मेरे अहमदाबाद स्थित घर पर मुझे उनकी अगवानी का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यह देश के लिए अहम क्षति है।”
The man who played a key role in immortalising Chattrapati Shivaji in 20th century after Lokmanya Tilak by his propagation is no more. Pay my tributes to Shivshahir Babasaheb Purandare on his demise. Had the privilege of receiving him at my Ahmedabad home once. Big loss to nation pic.twitter.com/xZBXyTVHeu
— Uday Mahurkar (@UdayMahurkar) November 15, 2021
उल्लेखनीय है कि 29 जुलाई 1922 को पुणे के नजदीक ससवाड़ में जन्मे पुरंदरे को 2019 में भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। उन्हें 2015 में महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार दिया गया था। पुरंदरे बेहद कम उम्र में ही छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन से मोहित हो गए थे और उन्होंने उन पर काफी रिसर्च कर निबंध और कहानियाँ लिखीं, जो बाद में एक पुस्तक ‘थिनाग्य’ (स्पार्क्स) में प्रकाशित हुईं।
अपने लेखन और थिएटर करियर के आठ दशकों में पुरंदरे ने छत्रपति शिवाजी पर 12,000 से अधिक व्याख्यान दिए, मराठा साम्राज्य के सभी किलों और इतिहास का अध्ययन किया, जिससे उन्हें इस विषय पर काफी महारथ हासिल हो गई। उन्होंने एक ऐतिहासिक नाटक ‘जांता राजा’ (1985) लिखा और निर्देशित किया, जो 200 से अधिक कलाकारों द्वारा प्रदर्शित एक नाट्य कृति है। इसका पाँच भाषाओं में अनुवाद और मंचन किया गया है। उन्होंने महाराष्ट्र, गोवा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में 1250 से अधिक स्टेज शो किए।
पुरंदरे की प्रमुख कृतियों में ‘राजे शिवछत्रपति’, ‘जांता राजा’, ‘महाराज’, ‘शेलारखिंड’, ‘गडकोट किल्ले’, ‘आगरा’, ‘लाल महल’, ‘पुरंदर’, ‘राजगढ़’, ‘पन्हलगढ़’, ‘सिंहगढ़’, ‘प्रतापगढ़’, ‘पुरंदरयांची दौलत’, ‘मुजर्याचे मंकारी’, ‘फुलवंती’, ‘सावित्री’, ‘कलावंतिनिचा सज्जा’हैं।