आज के युग में क्यों प्रासंगिक हैं अहिल्याबाई होल्कर? आज जब राजनीति, प्रशासन और धर्म - तीनों में नैतिक मूल्यों का क्षरण हो रहा है, तब अहिल्याबाई जैसी विभूतियाँ प्रेरणा देती हैं कि ईमानदारी, त्याग और सेवा भाव से भी शासन चलाया जा सकता है।
गुरु गोबिंद सिंह के साहिबजादों- जोरावर सिंह और फतेह सिंह के समक्ष वजीर खान ने इस्लाम कबूलने की शर्त रखी थी। लेकिन दोनों साहिबजादों ने धर्म बदलने से साफ मना कर दिया