मुंबई के सोमैया स्कूल में हमास समर्थक परवीन शेख को प्रिंसिपल के पद से हटाए जाने के बाद अब स्कूल के ट्रस्ट हेड समीर सोमैया ने छात्रों के अभिभावकों के नाम पत्र लिखा है। इस पत्र में समीर सोमैया ने उन कारणों का जिक्र किया है जिसके वजह से स्कूल प्रिंसिपल को हटाया गया।
इस पत्र में उन्होंने कुछ मुख्य बिंदुओं पर बात की है। जैसे उन्होंने बताया स्कूल की हेड के तौर पर परवीन शेख को सोशल मीडिया पर अनुचित व्यवहार नहीं करना चाहिए था। न ही किसी देश के बारे में कुछ गलत लिखना चाहिए था और न ही आतंकी संगठन हमास का समर्थन करना चाहिए था।
पत्र में उन्होंने आश्वासन दिया कि स्कूल हमेशा से सिद्धांतों पर चलकर आगे बढ़ता रहा है और आगे भी वो यही करेंगे। वो अपनी परंपरा को कायम रखते हुए भारत और दुनिया के लिए महाना नागरिकों का निर्माण करेंगें।
अपने पत्र में उन्होंने लिखा,
प्रिय दोस्तों,
पिछले माह हम बहुत चर्चा में थे। हमें ऐसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा जिसने- ज्ञान, समावेशिता और सेवा जैसे हमारे प्रिय सिद्धांतों को चुनौती दी। पूर्व प्रिंसिपल की गतिविधियाँ हमारे सिद्धांतों के विरुद्ध थी। उन्होंने जो किया वो पूरी तरह प्रशासनिक मामला था, जिसे राजनीतिक रंग दिया गया।
एक स्कूल की हेड की ओर से बिलकुल स्वीकार्य नहीं है कि वो किसी बात में चार शब्दों वाला अश्लील शब्द लिखेंं।
ये बिलकुल उचित नहीं है कि स्कूल की हेड कोई ऐसा कार्टून ट्वीट करें जिससे एक पूरे समुदाय का धार्मिक आधार पर, भाषाई आधार पर, राष्ट्रीयता के आधार पर या किसी और मायने में अपमान हो।
स्कूल के हेड के लिए ये भी उचित नहीं है कि वो ऐसे ट्वीट करें जिससे अन्य देशों का अपमान हों।
किसी स्कूल के प्रमुख के लिए किसी भी व्यक्ति के बारे में अपमानजनक और अपमानजनक भाषा में वर्णन करना ठीक नहीं है, देश में उच्च पदों पर आसीन लोगों के बारे में तो बिल्कुल भी नहीं।
किसी स्कूल के प्रमुख द्वारा उन संस्थानों के ट्वीट को लाइक करना ठीक नहीं है, जिन्हें कई लोग हिंसा का समर्थन करने वाला मानते हैं।
यह व्यवहार और भी चिंताजनक तब है जब हेड सोशल मीडिया अकॉउंट का इस्तेमाल स्कूल के बारे में और उसकी उपलब्धियों के बारे में बोलने के लिए करते हों। इस मामले में किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत राय को उस संगठन (स्कूल) से मिला देने या कथित रूप से उसे एक सा दिखाने से संबंधित है।
किसी संस्थान के हेड के तौर पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर अपने ऐसे रवैया का बचाव करना भी उचित नहीं है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अकेले नहीं मिलती, इसके साथ जिम्मेदारियाँ भी आती हैं उस समुदाय के प्रति जिनमें हम रहते हैं और जिस संगठन को हम सेवा देते हैं।
स्कूल के प्रमुखों का 3 साल तक के बच्चों के दिमाग पर गहरा असर होता है। ऐसे में इन मामलों में अधिक संवेदनशील रहना जरूरी होता है।
स्कूल प्रशासन का अधिकार है कि वो अपने कर्मचारी से सवाल पूछे जो कि उनके स्टेकहोल्डर्स द्वारा उठाया गया हो और उस पर स्कूल और बच्चों के हित में जरूरी एक्शन लें।
हम शिक्षा की सेवा में 1942 से हैं। सोमैया स्कूल की ख्याति अपनी विरासत, अपने नेतृत्व, अपने शिक्षकों और कर्मचारियों की वजह से फली-फूली है। हम लगातार ऐसे माहौल का निर्माण करेंगें जो हमारी परंपरा को कायम रखे और भारत व दुनिया के लिए महान नागरिकों का निर्माण करें।
-समीर सोमैया
बता दें कि ऑपइंडिया ने सोमैया स्कूल की प्रिंसिपल के विचारों को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट पेश की थी। इसमें परवीन शेख के हमास के प्रति झुकाव को गौर करवाया गया था। साथ ही दिखाया गया था कि कैसे वो जाकिर नाइक की फैन हैं और दिल्ली हिंदू विरोधी दंगों के साजिशकर्ता उमर खालिद की समर्थक भी हैं। लेख में परवीन शेख के पोस्ट, पोस्टों पर किए गए लाइक, पीएम मोदी को लेकर कहे गए उनके बयानों को हाइलाइट किया गया था। रिपोर्ट के पब्लिक डोमेन में पहुँचने के बाद कई लोगों ने इस तरह की स्कूल प्रिंसिपल के विरुद्ध आवाज उठाई और आखिर में प्रिंसिपल को उसके पद से हटा दिया गया था।