उत्तरप्रदेश के शाहजहाँपुर में समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष तनवीर खान समेत 4 अन्य लोगों को लूटपाट और दलित महिला के यौन शोषण के मामले में मामला दर्ज किया गया है। सपा नेता समेत अन्य पर यह मामला हिंदू युवा वाहिनी के प्रदर्शन के बाद दर्ज किया गया। संगठन ने पुलिस थाने और एसएसपी दफ्तर के बाहर धरना दिया था।
पीड़िता के भाई के अनुसार, खान ने उनकी बहन पर अपने एक 38 वर्षीय रिश्तेदार से जबरन शादी करने और धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट बताती है कि इस मामले को आईपीसी की धारा 354, 379, 504, 506 के अलावा एससी/एसटी एक्ट की उपयुक्त धाराओं में दर्ज किया गया है। आरोपितों में दुर्गेश सक्सेना, कफील अहमद, वैशाली सक्सेना और तनवीर खान का नाम शामिल है।
Samajwadi Party’s leader Tanveer Khan booked for sexual assault on woman (dalit).
— Vishal🇮🇳 (@toxture) October 2, 2020
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Victims brother said that Tanveer Khan forced his sister to change her religion to marry his(Tanveer Khan’s) 38 year old relative. pic.twitter.com/gNUq2iir71
गौरतलब है कि यह यौन उत्पीड़न का मामला उस समय सामने आया है जब विपक्ष लगातार हाथरस मामले पर राजनीति करने में लगा है। सपा नेता अखिलेश यादव भी अपनी राजनीति साधने के लिए इस पर लगातार बयान दे रहे हैं।
वह लगातार योगी सरकार और पुलिस प्रशासन की आलोचना करते हुए ट्वीट कर रहे हैं। उन्होंने हाल में उन सपा कार्यकर्ताओं पर पुलिस द्वारा लाठी चार्ज किए जाने पर भी अपना गुस्सा व्यक्त किया था, जो हाथरस में धारा 144 लागू होने के बावजूद गाँव की ओर आगे बढ़ रहे थे। उन्होंने कुछ दिन पहले हाथरस घटना पर अपना दुख जताते हुए ट्वीट में कहा था कि असंवेदनशील सत्ता से अब कोई उम्मीद नहीं बची है।
हाथरस की गैंग रेप एवं दरिंदगी की शिकार एक बेबस दलित बेटी ने आख़िरकार दम तोड़ दिया. नम आँखों से पु्ष्पांजलि!
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) September 29, 2020
आज की असंवेदनशील सत्ता से अब कोई उम्मीद नहीं बची.
उल्लेखनीय है कि एक ओर जहाँ अखिलेश यादव लगातार हाथरस केस पर अपनी संवेदनशीलता प्रकट कर रहे हैं। वहीं तनवीर खान के मामले में उन्होंने अब तक कुछ नहीं कहा है। इन दोनों मामलों से ही अंदाजा लगा सकते हैं महिलाओं के विरुद्ध हो रहे अत्याचारों पर अखिलेश यादव कितने चिंतित हैं। उनका यह दोहरा रवैया देखकर किसी को भी हैरानी होगी कि राजनैतिक जरूरतों के लिए कैसे कोई अपनी नैतिकता से समझौता कर लेता है।