9 अक्टूबर 2021 (शनिवार) को पंजाब के रूपनगर में सिखों के एक समूह ने रामलीला मैदान में घुसकर श्री सनातन धर्म रामलीला समिति द्वारा आयोजित की जा रही रामलीला में बाधा पहुँचाई थी। इस मामले में विस्तार से जानकारी के लिए ऑपइंडिया ने रामलीला के आयोजकों, वहाँ मौजूद कार्यकर्ताओं और पुलिस से बातचीत की।
श्री सनातन धर्म रामलीला समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजू जैन ने ऑपइंडिया को बताया, “शनिवार को रामलीला रात 9 बजे शुरू होने वाली थी। उस दिन मुख्य अतिथि पास के गाँव में रहने वाले संत बाबा सुखबीर सिंह कंधोला वाले थे। उनके कार्यक्रम स्थल पर पहुँचते ही सिखों का एक समूह रामलीला परिसर में घुस गया और उन्हें व वहाँ मौजूद अन्य लोगों को गालियाँ देना शुरु कर दिया।”
सब कुछ किसान आंदोलन के बहाने हुआ
जैन के अनुसार, हमलावर खुद को किसान बता रहे थे और वो अपना विरोध प्रकट करने की बात कह रहे थे, लेकिन उनके इरादे अलग ही लग रहे थे। विरोध के लिए उन सभी ने किसान आंदोलन को बहाना बनाया था, लेकिन असलियत कुछ और ही थी। उन्होंने मुख्य अतिथि संत सुखबीर को बुलाया और उनसे पूछा कि एक सिख होकर वो हिन्दुओं के त्योहार में कैसे शामिल हुए? इसी के साथ उन्होंने संत सुखबीर को फौरन वहाँ से चले जाने को कहा।
जैन के मुताबिक, जब संत सुखबीर सिंह ने उनका विरोध किया तब माहौल हिंसक हो उठा। हिन्दू और सिख एकता की बात करते हुए संत सुखबीर ने उन्हें शांत करने की कोशिश की। संत सुखबीर ने ये भी बताया कि भगवान राम, वाहेगुरु और गुरु नानक एक ही हैं और सभी हमारे हैं, लेकिन हमलावरों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। उल्टे वो आक्रामक हो गए और गालियाँ देने लगे। जब हमने बीच-बचाव करने की कोशिश की तब हमें और वहाँ मौजूद लोगों को धमकाया गया और रामलीला बंद करने की चेतावनी दी गई।
पुलिस ने हमलावरों को तितर-बितर किया
मामले की गंभीरता को देखते हुए आयोजकों ने एसएसपी से शिकायत की। इसके बाद संबंधित SHO पुलिस बल के साथ रामलीला मैदान पहुँचे और हमलावरों को तितर-बितर किया। आयोजकों ने इस घटना की शिकायत एसएसपी और जिला कलेक्टर से की है।
आयोजकों ने दर्ज की शिकायत
अपनी शिकायत में आयोजकों ने जिला कलेक्टर से हिन्दुओं और सिखों को बाँटने की साजिश रचने वाले उपद्रवियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की माँग की है, ताकि ऐसी घटना दोबारा ना हो। साथ ही आयोजकों ने चेतावनी भी दी है कि यदि हमलावरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई न हुई तो हिन्दू समाज अपने मंदिरों और संगठनों को बंदकर के चाबी प्रशासन को सौंप देगा। इसके अलावा, रामलीला को भी बंद कर दिया जाएगा।
दबाव के बाद पुलिस ने दर्ज की FIR
इस मामले में ऑपइंडिया ने श्री शिवशक्ति प्रभात फेरी सेवा समिति के हरमिंदर पाल सिंह से बातचीत की। घटना के बारे में बात करते हुए सिंह ने कहा कि जब संत सुखबीर ने हमलवारों से हिन्दुओं और सिखों को न बाँटने की अपील की, तब उन्हें गाली दी गई। संत सुखबीर ने यह भी बताया कि वो स्वयं किसान आंदोलन के लिए 50 लाख से अधिक का दान दे चुके हैं। इसी के साथ उन्होंने किसान आंदोलन को राजनैतिक और धार्मिक रंग न देने की भी अपील की। हालाँकि, हमलावरों पर उनकी बातों का कोई असर नहीं पड़ा। हमलावर लगातार कहते रहे कि सिख होने के कारण उन्हें हिन्दुओं के कार्यक्रम में नहीं शामिल होना चाहिए।
सिंह ने आगे बताया कि घटना के अगले ही दिन हमलावरों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई गई थी, लेकिन उन पर कोई एक्शन नहीं लिया गया। पुलिस की इसी निष्क्रियता के चलते विरोध प्रदर्शन का फैसला लिया गया। इस विरोध प्रदर्शन के तहत मंगलवार (12 अक्टूबर 2021) को सभी दुर्गा पंडालों और रामलीला मंचों के साथ अन्य धर्मस्थलों की लाइटें बंद कर दी गई थीं।
हरमिंदर ने आगे कहा कि विरोध के कारण ही प्रशासन पर दबाव बना। इसके बाद डीसी और एसएचओ उनके पास पहुँचे और विरोध प्रदर्शन बंद करने की अपील की। प्रशासन ने हमलावरों के विरुद्ध FIR दर्ज करने की माँग को भी मान लिया। इसके बाद पंडालों की लाइटें जला दी गईं और धार्मिक कार्यक्रम फिर से शुरू किये गए। हालाँकि, हरमिंदर सिंह के अनुसार, बुधवार (13 अक्टूबर 2021) तक प्रशासन ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
पुलिस की निष्क्रियता के विरोध में तमाम हिंदू संगठन एकजुट होकर रामलीला मैदान में धरने पर बैठ गए। इसके बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने फिर से आयोजकों को बुलाया, पर उन्होंने आने से मना कर दिया। हरमिंदर सिंह के अनुसार, उन्हें पता था कि पुलिस मुकदमा दर्ज करने के बजाय हमलावरों से माफी माँगने की बात कहेगी। इसीलिए धरना दे रहे लोगों ने साफ कर दिया कि प्रशासन द्वारा FIR की कॉपी भेजे जाने के बाद ही वो मिलने आएँगे।
हमलावरों पर दर्ज हुई FIR
आखिरकार पुलिस ने हमलावरों के विरुद्ध धारा 296 (धार्मिक आयोजन में व्यवधान), 506 (आपराधिक धमकी) और 341 (गलत तरीके से रोकना) के तहत FIR दर्ज कर ली। इस मामले की अधिक जानकारी के लिए ऑपइंडिया ने रूपनगर के एसएसपी विवेकशील सोनी से बातचीत की। एसएसपी सोनी ने बताया कि रामलीला मैदान में मौजूद लोगों पर हमला करने वाले किसान संघ के सदस्य थे। उन्हें लगा कि वहाँ भाजपा नेताओं का दौरा है इसलिए वो वहाँ विरोध प्रदर्शन के लिए जमा हुए थे। एसएसपी के अनुसार, आरोपितों को लगा कि भाजपा एक धार्मिक आयोजन को राजनैतिक कार्यक्रम में बदलना चाह रही है।
एसएसपी सोनी ने कहा कि आयोजकों ने कार्रवाई की माँग की थी, जिसके बाद पुलिस ने केस दर्ज किया है। हमलावरों द्वारा साम्प्रदायिकता फैलाने के आरोपों के सवाल पर एसएसपी ने कहा कि हमलावरों की असली मंशा जाँच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी।
क्या कहती है FIR?
श्री सनातन धर्म रामलीला समिति के महासचिव अश्विनी कुमार द्वारा दिए गए बयान के आधार पर पुलिस ने दलजीत सिंह गिल, जगजीत सिंह व कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है।
मामले में शिकायतकर्ता अश्वनी कुमार ने पुलिस में बयान दर्ज करवाया है। बयान में उन्होंने कहा कि जब रामलीला शुरू होने वाली थी, तब दलजीत सिंह गिल और उनके भाई जगजीत सिंह गिल अपने कुछ साथियों के साथ मैदान में पहुँचे। इन सभी के हाथों में डंडे थे। इन सभी ने संत सुखबीर को रामलीला परिसर में घुसने से रोका और जब उन्होंने समझाने की कोशिश की तब वे नारेबाजी करने लगे। उन्होंने संत सुखबीर और अन्य उपस्थित लोगों के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया। इस घटना के बाद संत सुखबीर रामलीला में शामिल हुए बिना ही मैदान से बाहर चले गए। घटना की सूचना आयोजकों ने पुलिस को दी। पुलिस को देखते ही हमलावरों ने अपने हथियार छिपा लिए और हाथों में किसान आंदोलन के झंडे उठा लिए।
शिकायतकर्ता अश्विनी कुमार ने ऑपइंडिया को बताया, “हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं और हम ये नहीं चाहते कि हिंदुओं और सिखों के बीच कोई दरार पैदा हो। फिर भी इसका ये मतलब नहीं है कि हम अपने धर्म पर इस तरह के किसी हमले को सहन करेंगे। इसलिए हम इस मामले में दोषियों पर कड़ी कार्रवाई चाहते हैं।” अश्विनी ने बताया कि आरोपितों ने किसान आंदोलन के बहाने रामलीला को रोकने का प्रयास किया। अश्विनी ने ये भी कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाएँ दोबारा ना हों, इसलिए वो चाहते हैं कि दोषियों को कानून सजा दे।
70 सालों से आयोजित हो रही है रामलीला
ऑपइंडिया से बात करते हुए जैन ने बताया कि श्री सनातन धर्म रामलीला समिति 70 वर्षों से हर साल रामलीला का आयोजन करती आ रही है। केवल पिछले साल कोविड-19 महामारी के दौरान रामलीला नहीं हो पाई थी। घटना के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि इससे पहले कभी भी ऐसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा था।