रूस के हमले के बाद यूक्रेन (Russia-Ukraine War) में फँसे भारतीय छात्र-छात्राएँ रेस्क्यू के लिए मोदी सरकार (Modi Government) से लगातर गुहार लगा रही है और सरकार इसके लिए गंभीर प्रयास कर रही है। इसी बीच एक खबर आई है, जो आपको हैरान कर सकती है। हालाँकि, उसे अधिकारियों की ओर से लताड़ भी लगाई गई है।
युद्ध झेल रहे एक देश में जब हर शख्स सुरक्षित निकलना चाह रहा हो, वैसे में यूक्रेन में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा एक भारतीय छात्र कुत्ते को लेकर परेशान है और बिना अपने कुत्ते के यूक्रेन छोड़ने को तैयार नहीं है। इस चक्कर में वह रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे कीव दूतावास के अधिकारियों से लेकर दिल्ली के इंदिरा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा (IGI) के अधिकारियों से संपर्क कर रहा है।
भारत के रहने वाले ऋषभ कौशिक यूक्रेन के कारकीव विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग तृतीय वर्ष के छात्र हैं। हमले के बाद भारतीय छात्र-छात्राओं को निकालने के लिए सरकार प्रयास कर रही है, लेकिन कुत्ते के चक्कर में ऋषभ वहीं फँस कर रह गए हैं। ऋषभ का कहना है कि उनके पास उनका पासपोर्ट है और कुत्ते का पासपोर्ट है, लेकिन अधिकारी एक के बाद एक कागजात माँग रहे हैं, जिसके कारण वे यूक्रेन नहीं छोड़ पा रहे हैं।
ऋषभ का कहना है कि इसके लिए वह दिल्ली स्थित Animal Quarantine and Certification Service (AQCS) और उक्रेन में भारतीय दूतावास से सहायता माँग रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उनका कहना है कि जब उन्होंने इस बारे में IGI क अधिकारियों से बात की उन्होंने अपशब्द कहे।
यूक्रेन से भारतीय विद्यार्थियों को लाने में लगी एअर इंडिया की एक फ्लाइट की दोनों तरफ की उड़ान की लागत 1.10 करोड़ रुपए से अधिक है। अगर हवाई मार्ग बदलता है या फिर वहाँ रूकने या जाने की अवधि लगती है तो यह खर्च और बढ़ जाता है। एअर इंडिया इस रेस्क्यू ऑपरेशन में बोइंग 737 ड्रीमलाइनर को लगाया है, ताकि एक उड़ान में अधिक से अधिक लोगों को भारत लाया जा सके। इसमें 250 से अधिक सीटें होती हैं। ये फ्लाइट यूक्रेन, उसके पड़ोसी रोमानिया और हंगरी से संचालित हो रही हैं।
फाइनेंशियल टाइम्स के अनुसार, अधिकारियों ने बताया कि इस फ्लाइट के हर घंटे का खर्च 7 लाख से 8 लाख रुपए के बीच है। इसमें क्रू, ईंधन, लैंडिंग, पार्किंग और नेविगेशन का खर्च शामिल है। अधिकारी का कहना है कि यह राशि इस बात पर निर्भर करती है कि कहाँ जाना है और कितनी दूर जाना है। अधिकारियों का कहना है कि ऑपरेशन खत्म होने के बाद ही वास्तविक खर्च का पता चल पाएगा। उसके बाद सरकार को बिल भेजा जाएगा।
अधिकारियों का कहना है कि इस विमान के ईंधन का खपत 5 टन प्रति घंटा है। इसके साथ ही लंबी दूरी होने के कारण इस पर क्रू दल की दो टीमें लगी होती हैं। एक दल विमान ले जाता है तो दूसरा आराम करता है और जब दूसरा लाता है तो पहला आराम करता है। इसके बाद भारत पहुँचते हैं इन दोनों दलों को दूसरे दलों से बदल दिया जाता है।