तमिलनाडु सरकार ने केरल की सीमावर्ती कन्याकुमारी ज़िले में 8 जनवरी 2020 को एक वरिष्ठ सब-इंस्पेक्टर की रहस्यमयी तरीक़े से हत्या मामले की जाँच राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) द्वारा कराए जाने की सिफ़ारिश की है। इस मामले में जाँचकर्ताओं ने दोनों आरोपितों की पहचान अब्दुल शमीम (25 वर्षीय) और तौफिक (27 वर्षीय) के रूप में की थी। राज्य सरकार की सिफ़ारिश पर दोनों आरोपितों की गिरफ़्तारी से संबंधित दस्तावेज़ बुधवार (22 जनवरी) को गृह मंत्रालय को सौंप दिए।
दरअसल, सब-इंस्पेक्टर विल्सन (57 वर्ष) की बुधवार (8 जनवरी) को सुबह साढ़े नौ बजे के क़रीब तमिलनाडु के कालियाक्कविलाई के पास एक चेकपोस्ट पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके अलावा, उनके शरीर पर चोट के भी निशान थे। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज से आरोपित की पहचान कन्याकुमारी के शमीम और तौफिक के रूप में की थी। दोनों को 14 जनवरी को कर्नाटक के उडुपी रेलवे स्टेशन से गिरफ़्तार किया गया था। ज़िला पुलिस ने दोनों के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या की सज़ा) और शस्त्र अधिनियम के तहत FIR दर्ज की थी।
ख़बर के अनुसार, आरोपितों को अदालत में पेश किया गया और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। फ़िलहाल, दोनों तिरुनेलवेली ज़िले की पलियामकोट्टई जेल में बंद हैं।
कन्याकुमारी के पुलिस अधीक्षक एन श्रीनाथ ने पहले मीडिया को बताया था कि दोनों आरोपित अपने सहयोगी आतंकियों की गिरफ़्तारी से परेशान थे और इसलिए पुलिस से बदला लेने के लिए उन्होंने विल्सन की हत्या कर दी थी। दोनों आरोपितों ने इस सन्दर्भ में अपना अपराध क़बूल कर लिया है। एसपी ने बताया कि कथित तौर पर उन्होंने 26 जनवरी को आत्मघाती हमले की योजना भी बना रखी थी।
इससे पहले पुलिस ने बताया था कि शमीम 2014 में एक हिन्दू मुन्नानी नेता सुरेश कुमार की हत्या के मामले में पिछले महीने ज़मानत मिलने के बाद से फ़रार था। एक पुलिस अधिकारी ने बताया, “उसके आत्मसमर्पण करने की संभावना नहीं है। वह एक ऐसा व्यक्ति है, जिसे अगर मौक़ा मिला तो वो गिरफ़्तारी से पहले आत्महत्या कर लेगा।”
हिन्दू नेता सुरेश कुमार की हत्या के अलावा, मोईदीन का हाजा फकरुदीन (42) के साथ भी गहरा रिश्ता था। उसके सम्पर्क में आने के बाद वो आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट में कथित तौर पर युवाओं को भर्ती करने का काम करता था।
2017 में, NIA ने मोईदीन, फकरुदीन और अन्य के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया था और 13 मार्च, 2018 को एक आरोप पत्र भी दायर किया था। इसमें आरोप लगाया गया कि था कि मोईदीन ने “जनवरी, 2014 के दौरान सीरिया में ISIS/ ISIL/ Daish में शामिल होने के लिए हाजा फकरुदीन की असलियत जानते हुए उसकी सहायता की।” 12 दिसंबर, 2019 को ज़मानत पर छूटने के बाद, मोईदीन पर आरोप है कि उसने संभावित भर्तियों को जारी रखने के लिए दक्षिण बेंगलुरु क्षेत्र में कई बैठकें कीं। बेंगलुरु में आयोजित बैठकों का हिस्सा आरोपित शमीम और तौफ़िक भी होते थे, इसमें मोइदीन हिस्सा लेता था।
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