भारत को जल्द ही भगौड़े कारोबारी विजय माल्या के स्विस बैंक खातों की जानकारी और अन्य विवरण प्राप्त हो सकते हैं। स्विटजरलैंड की शीर्ष अदालत द्वारा सूचना प्रदान करने को मंजूरी मिलने के बाद दोनों देशों के अधिकारियों द्वारा पहल शुरू की जा चुकी है।
रिपोर्ट्स के अनुसार जेनेवा और नई दिल्ली के अधिकारियों ने मामले की जानकारी देते हुए कहा कि फ़ेडरल कोर्ट ने माल्या की अपील को रद्द कर दिया है।
विजय माल्या ने अगस्त 14, 2018 को स्विस बैंकों में उनके द्वारा रखे गए तीन बैंक खातों से संबंधित दस्तावेजों को भारतीय अधिकारियों को प्रेषित करने के लिए जेनेवा के सरकारी वकील के निर्णय को चुनौती दी थी।
जेनेवा के कार्यालय ने ईमेल द्वारा दिए जवाब में पुष्टि की है कि भारतीय अधिकारियों के अनुरोध को स्वीकार कर लिया गया है। स्विस फ़ेडरल कोर्ट के अनुसार, कार्यालय ने भारतीय जाँच एजेंसियों द्वारा माल्या के 3 स्विस बैंक खातों की जाँच शुरू कर दी है।
केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) ने विजय माल्या से सम्बंधित बैंक खातों में धनराशि को अवरुद्ध करने के लिए स्विस अधिकारियों से अनुरोध किया था, साथ ही खातों का विवरण प्रदान करने की भी माँग की थी।
कुछ समय पहले सीबीआई ने स्विस अधिकारियों से इस बात का अनुरोध किया था कि वो भगौड़े व्यापारी विजय माल्या के चार बैंक अकाउंट में आने वाले फंड को रोक दें।
जिसके बाद जेनेवा के सरकारी वकील ने न केवल सीबीआई द्वारा किए इस अनुरोध का 14 अगस्त 2018 को पालन किया है, बल्कि माल्या के अन्य तीन बैंक अकाउंट की जानकारियों को भी साझा किया है। साथ ही उन पाँच कंपनियों की भी जानकारी दी है जिनका संबंध माल्या से है।
इन पाँच कंपनियों में लेडीवॉक इंवेस्टमेंट, रोज़ कैपिटल वेंचर्स, कॉन्टीनेंटल एडमिनिस्ट्रेशन सर्विसज़, फर्स्ट यूरो कमर्शियल इन्वेस्टमेंट्स और मॉडल सेक्योरिटी का नाम शामिल है। जिनकी जानकारी स्विस सरकार ने सीबीआई के साथ साझा की है।
इन कंपनियों ने स्विस कोर्ट की तरफ रुख़ करते हुए कहा है कि उनकी कंपनियों के अकाउंट वो अकाउंट नहीं थे जिसकी जानकारी सीबीआई द्वारा मांगी गई है तो फिर उनकी जानकारियाँ क्यों भेजी गई हैं।
इसके अलावा माल्या ने अपनी स्विस की कानूनी टीम की मदद से वहाँ के न्यायलय में सीबीआई को जानकारी देने के मामले पर सवाल उठाए हैं। माल्या का कोर्ट में कहना रहा कि भारत में पहले ही घोटालों से जुड़े मामलों पर गंभीर तनाव वाली स्थिति बनी हुई। क्योंकि सीबीआई के जिस अफसर को माल्या और राकेश अस्थाना के ख़िलाफ़ जाँच करनी थी वो खुद ही इस समय में भ्रष्टाचार के मामले में आरोपित है।
माल्या ने खुद के बचाव में यूरोपीय अदालत के अनुच्छेद 6 का हवाला देते हुए मानवाधिकारों के बारे में भी स्विस कोर्ट में बात की। माल्या ने अपने अधिकारों के बारे में बात करते हुए कहा कि जब तक वो दोषी नहीं साबित होते तबतक उनके अधिकारों के प्रति निष्पक्ष सुनवाई हो।
लेकिन, आपको बता दें कि संघीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 26 और 29 नवंबर, 2018 लिए फ़ैसलों ने माल्या की बात को ख़ारिज कर दिया और कंपनियों द्वारा अपील को अस्वीकार कर दिया और प्रत्येक असफल अपीलकर्ता को 2,000 स्विस फ़्रैंक (1.4 लाख रुपए) का भुगतान करने का आदेश दिया।