‘नागरिकता संशोधन कानून (CAA)’ के विरोध में दिल्ली में हुए दंगों को लेकर दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत ने ‘आम आदमी पार्टी (AAP)’ के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन समेत 8 लोगों के खिलाफ आरोप तय किए हैं। शनिवार (5 नवंबर 2022) को हुई सुनवाई में कोर्ट ने माना है कि ताहिर हुसैन और अन्य आरोपित हिंदुओं को टारगेट करते हुए अधिक से अधिक नुकसान पहुँचाना चाहते थे।
दरअसल, कड़कड़डूमा कोर्ट में दिल्ली दंगों के दौरान गोली लगने से घायल हुए शिकायतकर्ता अजय गोस्वामी के एक बयान के आधार पर मामले की सुनवाई कर रही थी। इस मामले में सुनवाई करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमचला ने ताहिर हुसैन, शाह आलम तनवीर मलिक, गुलफाम, नाजिम, कासिम, रियासत अली और लियाकत अली के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 307, 120 बी और धारा 149 के तहत आरोप तय किए हैं।
इस दौरान कोर्ट ने कहा है कि सभी आरोपित हिंदुओं को मारने और उन्हें नुकसान पहुँचाने के उद्देश्य से काम कर रहे थे। साथ ही, इस बात के भी सबूत हैं कि ताहिर हुसैन, शाह आलम, नाजिम, कासिम, रियासत और लियाकत ‘हिंदुओं को सबक सिखाने’ के लिए लोगों को उकसा रहे थे। इस तरह यह आईपीसी की धारा 505 के तहत एक दंडनीय अपराध है। अदालत ने कहा कि वो सभी आरोपियों पर लगाए गए आरोपों के लिए मुकदमा चलाने का निर्देश देती है।
अदालत ने यह भी कहा है कि सबूतों से यह सामने आया है कि सभी आरोपित हिंदुओं को निशाना बनाने, उन्हें मारने और संपत्तियों को अधिक से अधिक नुकसान पहुँचाने में शामिल थे। हिंदुओं पर अंधाधुंध गोलीबारी यह स्पष्ट करती है कि यह भीड़ जानबूझकर हिंदुओं को मारना चाहती थी। इनके ये कृत्य मुस्लिम और हिंदुओं के बीच सद्भाव के खिलाफ था। ताहिर हुसैन के घर के आसपास कई लोग इकट्ठे हुए। उनमें से कुछ हथियारों, एसिड, पेट्रोल बम से लैस थे। ताहिर हुसैन ने घर में इन हथियारों को जमा करके रखने की व्यवस्था की थी।
बता दें, दिल्ली दंगों के पीड़ित अजय गोस्वामी ने खजूरी खास पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराते हुए कहा था कि मुख्य करावल नगर रोड पर पथराव और फायरिंग में शामिल भीड़ ने उन्हें गोली मारी दी थी। उन्होंने यह भी कहा था कि गुलफाम और तनवीर उन पर अंधाधुंध फायरिंग कर रहे थे।
गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में फरवरी 2020 में दिल्ली में दंगे भड़क उठे थे। दंगे में मुस्लिमों ने मुख्य रूप से हिंदुओं को निशाना बनाते हुए गोलीबारी, पेट्रोल बम, चाकू, तलवार, पत्थरबाजी समेत अन्य तरह से हमले किए थे। इस दंगे में कई पुलिसकर्मियों सहित 53 लोग मारे गए थे। जबकि 700 से अधिक लोग घायल हुए थे।