तमिलनाडु में तमिल फिल्मों के मशहूर डायरेक्टर मोहन जी को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। मोहन जी पर आरोप है कि उन्होंने पलानी मंदिर के ‘पंचामृतम’ (मंदिर में दिया जाने वाला प्रसाद) में नपुंसकता लाने वाली दवा मिलाए जाने का दावा किया था। यह टिप्पणी उन्होंने एक यूट्यूब चैनल पर दिए इंटरव्यू में की थी, जहाँ वह तिरुपति लड्डू के विवाद पर चर्चा कर रहे थे।
मोहन जी का दावा और विवाद की शुरुआत
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मोहन जी, जो ‘द्रौपदी’, ‘रुद्रतांडवम’ और ‘बगासुरन’ जैसी फिल्मों के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने तिरुपति लड्डू के विवाद पर बोलने के दौरान कहा कि तमिलनाडु के मंदिरों में भी इसी तरह की घटनाएँ हुई हैं। उन्होंने यह आरोप लगाया कि पलानी मंदिर के पंचामृतम में एक बार नपुंसकता लाने वाली दवा मिलाई गई थी और इस खबर को छिपा दिया गया था।
मोहन जी ने कहा, “मैंने सुना था कि पुरुषों में नपुंसकता लाने वाली दवा पंचामृतम में मिलाई गई थी। इस खबर को छिपाया गया और उस पंचामृतम को नष्ट कर दिया गया।” उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में कोई स्पष्ट सफाई नहीं दी गई, और कुछ मंदिर के कर्मचारियों ने उन्हें बताया था कि गर्भनिरोधक गोलियाँ हिंदुओं पर हमला हैं।
तमिलनाडु सरकार की प्रतिक्रिया
तमिलनाडु के हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग के मंत्री सेकर बाबू ने मोहन जी के इस बयान की कड़ी निंदा की। उन्होंने ऐसे किसी भी आरोप को सिरे से खारिज किया और चेतावनी दी कि जो भी इस तरह की झूठी खबर फैलाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। मंत्री ने इसे मंदिर की छवि को धूमिल करने की कोशिश बताया और कहा कि सरकार इस मामले में किसी भी गलत जानकारी को बर्दाश्त नहीं करेगी।
त्रिची पुलिस की साइबर क्राइम इकाई ने मंगलवार (24 सितंबर 2024) को मोहन जी को गिरफ्तार कर लिया। उन पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने और झूठी जानकारी फैलाने का आरोप लगाया गया। गिरफ्तारी के बाद यह मामला और अधिक विवादित हो गया, खासकर उनके समर्थकों और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेताओं के बीच। बीजेपी नेता अश्वथामन ने मोहन जी की गिरफ्तारी को असंवैधानिक करार दिया और सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि मोहन जी के परिवार को उनकी गिरफ्तारी की कोई औपचारिक सूचना नहीं दी गई और यह सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के खिलाफ है।
बीजेपी नेता अश्वथामन ने ट्वीट किया, “परिवार को यह नहीं बताया गया कि गिरफ्तारी का कारण क्या था और मामला क्या था। यह सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ है।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मोहन जी की गिरफ्तारी तमिलनाडु सरकार की धार्मिक असहिष्णुता को दर्शाती है और यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है। उनके अनुसार, राज्य सरकार अपने आलोचकों को दबाने के लिए ऐसे कदम उठा रही है और यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।
கைது செய்து 5 மணி நேரத்திற்கு மேல் ஆகியும் , இதுவரை எதற்காக கைது, என்ன வழக்கு, என்ன பிரிவு, எந்த காவல் நிலையம் என்று எந்த தகவலையும் வெளியிடாத தமிழக காவல்துறை !
— Ashvathaman Allimuthu (@asuvathaman) September 24, 2024
உச்சநீதிமன்ற ஆணைகளை காற்றில் பறக்கவிடும் தமிழக காவல்துறை தமிழக அரசின் ஏவல் துறையாக மாறியிருக்கிறது. https://t.co/sGand0ASfE
दरअसल, मोहन जी आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के प्रसाद में मिलावट के मामले पर बोल रहे थे। बता दें कि आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने एक लैब रिपोर्ट के हवाले से दावा किया था कि तिरुपति लड्डू बनाने में इस्तेमाल किए गए घी में पशु वसा और मछली के तेल के अंश पाए गए थे। लैब रिपोर्ट में कहा गया था कि घी के नमूने में “बीफ टैलो”, “लार्ड” (सूअर की चर्बी) और मछली के तेल के अंश मिले थे। यह रिपोर्ट वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान के प्रसाद से जुड़ी थी और इस मामले ने आंध्र प्रदेश में धार्मिक और राजनीतिक विवाद को जन्म दिया था। मोहन जी ने इसी संदर्भ में तमिलनाडु के मंदिरों में भी इसी प्रकार की घटनाओं की ओर इशारा किया था।
इस घटना के बाद तमिलनाडु सरकार की आलोचना और तेज हो गई है। कई विपक्षी दलों और धार्मिक संगठनों ने सरकार पर हिंदू धार्मिक स्थलों की प्रतिष्ठा के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि सरकार उन लोगों को निशाना बना रही है जो धार्मिक स्थलों में हो रहे भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को उजागर करने की कोशिश कर रहे हैं। हालाँकि तमिलनाडु सरकार ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है और कहा है कि राज्य में सभी धार्मिक स्थलों का संचालन पारदर्शी तरीके से हो रहा है। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी धार्मिक स्थल के खिलाफ कोई भी गलत या भ्रामक जानकारी फैलाने वाले लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
मोहन जी की गिरफ्तारी और उनके द्वारा लगाए गए आरोपों ने तमिलनाडु सरकार और हिंदू धार्मिक स्थलों के प्रबंधन को लेकर एक नए विवाद को जन्म दिया है। जहाँ एक ओर सरकार इन आरोपों को खारिज कर रही है और सख्त कार्रवाई की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर भाजपा और मोहन जी के समर्थक इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बता रहे हैं। यह मामला अभी और तूल पकड़ सकता है, खासकर राज्य की राजनीतिक स्थिति को देखते हुए, जहाँ धर्म और राजनीति आपस में जुड़े हुए हैं।