राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कार्यालय में गाय का सिर फेंकने के आरोपित 4 मुस्लिम युवकों को तमिलनाडु राज्य मानवाधिकार आयोग (SHRC) ने मुआवजा देने का आदेश दिया है। आयोग के मुताबिक मदुरै पुलिस ने इन्हें गैरकानूनी रूप से हिरासत में रखा और प्रताड़ित किया गया। इस मामले में शामिल पुलिसकर्मियों के विरुद्ध भी अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को कहा गया है। यह आदेश आयोग के सदस्य डी जयचंद्रन ने दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रत्येक मुस्लिम युवक को 1-1 लाख रुपए मुआवजा देने के आदेश दिए गए हैं। पुलिसकर्मियों पर मुस्लिम युवकों को प्रताड़ित करने का आरोप था। शिकायतकर्ताओं का कहना था कि उन्हें गैरकानूनी रूप से हिरासत में लिया गया। इस दौरान खाना-पीना नहीं दिया गया। वे घटना में शामिल होने से इनकार करते रहे फिर भी उन्हें प्रताड़ना दी गई। इस मामले की जाँच के लिए एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाई गई थी। इस कमेटी की रिपोर्ट में आरोपितों को टॉर्चर करने की बात कही गई थी। आयोग के सामने भी इस रिपोर्ट का हवाला दिया गया।
दूसरे पक्ष ने शिकायतकर्ताओं के सभी आरोपों को नकारा था। पूरी शिकायत को मनगढ़ंत बताते हुए इन आरोपों को पुलिस को बदनाम करने की साजिश बताया था। साथ ही बताया था कि किसी को भी गैरकानूनी रूप से हिरासत में नहीं रखा गया था। इस शिकायत के पीछे कुछ असामजिक तत्वों द्वारा आरोपितों को उकसाने की भी बात कही गई। लेकिन अपने अंतिम निष्कर्ष में आयोग ने पुलिस को दोषी पाया। इस मामले में पकड़े गए आरोपितों को कानूनी मदद PFI (पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया) ने मुहैया कराई थी।
यह पूरा मामला साल 2011 का था। उस समय यह केस क्राइम ब्रान्च को सौंप दिया गया था। इसका मुकदमा अभी भी जुडिशियल मजिस्ट्रेट के यहाँ चल रहा है। एक आरोपित शहंशाह को रीढ़ में चोट लगाना बताया जा रहा है। PFI के प्रदेश उपाध्यक्ष ए खालिद मोहम्मद का कहना है कि मदुरै में 17 मुकदमों में लगभग 100 मुस्लिमों को ऐसे ही केसों में बेवजह फँसाया गया है। उन्होंने सरकार से इन सभी मामलों की उच्चस्तरीय जाँच की माँग की है।