Sunday, November 17, 2024
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‘हरे रंग की पुताई, दीवारों पर ममता बनर्जी की फोटो’: रवीन्द्रनाथ टैगोर की पैतृक ‘धरोहर’ को TMC ने बनाया कार्यालय, HC की फटकार के बाद हटा बैनर, पार्टी ने आरोपों को नकारा

कोर्ट के निर्देश के बाद TV9 बांग्ला ने जानकारी दी कि 'तृणमूल शिक्षाबंधु समिति' का बैनर हटा दिया गया है। हालाँकि हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद पार्टी से जुड़े कार्यकर्ताओं का जमावड़ा नहीं रुका।

नोबेल पुरस्कार विजेता रवीन्द्रनाथ टैगोर के पैतृक घर ‘जोरासांको ठाकुरबारी’ के एक हिस्से को तृणमूल शिक्षाबंधु समिति के कार्यालय के रूप में अवैध रूप से तैयार करने का मामला सामने आया है। जानकारी के मुताबिक जिस कमरे में रवीन्द्रनाथ टैगोर और बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने पहली बार बातचीत की थी, उसे पूरी तरह से नया रूप दिया गया है।

बंगाली पुनर्जागरण के साक्षी रहे महर्षि भवन की दीवारों को हरे रंग से रंगा गया है। दरवाजे और खिड़की, फर्श से भी सत्ताधारी दल से जुड़े समिति द्वारा छेड़छाड़ की गई है।

ऐसा माना जाता है कि भारतीय राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ के गीतकार बंकिम चंद्र चटर्जी और टैगोर पहली बार उसी कमरे में मिले थे। आज उन्हीं दीवारों को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी की दो विशाल आकार की तस्वीरों से ‘सजाया’ गया है।

टीएमसी राजनेताओं की दो तस्वीरों के बीच रवीन्द्रनाथ टैगोर का एक छोटा चित्र रखा गया है। महर्षि भवन को ‘ग्रेड 1 विरासत’ भवन के रूप में वर्गीकृत करने के बावजूद कमरे को फिर से तैयार किया गया।

हालाँकि इस विवादास्पद कदम का तृणमूल शिक्षाबंधु समिति के इकाई अध्यक्ष सुबोध दत्ता चौधरी ने बचाव किया। आनंदबाजार पत्रिका से बात करते हुए उन्होंने दावा किया, ”हम सिर्फ अपने सदस्यों के बैठने के लिए जगह देना चाहते थे।”

उन्होंने कहा, ”मैंने विश्वविद्यालय के सचिव से लिखित अनुमति ली है। कोई अतिरिक्त निर्माण नहीं किया गया है। कमरे को अभी साफ किया गया था। चौधरी ने आगे दावा किया कि महर्षि भवन का इस्तेमाल पश्चिम बंगाल में वाम दलों के शासनकाल के दौरान एक केंद्रीय कार्यालय के रूप में भी किया जाता था।”

चौधरी ने कहा, ”रवीन्द्रनाथ टैगोर हमारे सिर के ऊपर हैं, ममता हमारे दिल में हैं।” हालाँकि विश्वविद्यालय के अधिकारियों के अनुसार, तृणमूल शिक्षाबंधु समिति ने परिसर के ठेकेदार को महर्षि भवन को फिर से तैयार करने के लिए मजबूर किया था।

जनहित याचिका और कलकत्ता उच्च न्यायालय का हस्तक्षेप

स्वदेश मजूमदार नाम के एक याचिकाकर्ता ने अपने वकील श्रीजीव चक्रवर्ती के माध्यम से कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष एक जनहित याचिका (PIL) दायर की थी। PIL के अनुसार, ”जिस कमरे में रवीन्द्रनाथ टैगोर और बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने पहली बार बातचीत की, उसे पूरी तरह से फिर से तैयार किया गया है। अब दीवार पर ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी की तस्वीरें टंगी हैं।”

महर्षि भवन उस इमारत का हिस्सा है जहाँ रवीन्द्रनाथ टैगोर ने अपना बचपन बिताया था। इसपर अवैध रूप से सत्तारूढ़ तृणमूल कॉन्ग्रेस द्वारा संचालित विश्वविद्यालय के कार्यकर्ता विंग द्वारा कब्जा कर लिया गया है। यह मामला न्यायमूर्ति आर भारद्वाज और मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव की खंडपीठ के समक्ष आया था। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय के प्रशासन और पश्चिम बंगाल सरकार को हेरिटेज बिल्डिंग को छेड़छाड़ से बचाने का निर्देश दिया।

कोर्ट के निर्देश के बाद TV9 बांग्ला ने जानकारी दी कि ‘तृणमूल शिक्षाबंधु समिति’ का बैनर हटा दिया गया है। हालाँकि हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद पार्टी से जुड़े कार्यकर्ताओं का जमावड़ा नहीं रुका।

विश्वविद्यालय और विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया

रवींद्र भारती विश्वविद्यालय के कुलपति सब्यसाची बसु राय चौधरी ने इस मामले पर बात करते हुए निर्माण कार्य के लिए किसी भी तरह की अनुमति देने से इनकार किया। उन्होंने कहा, ”कार्य (तृणमूल शिक्षाबंधु समिति द्वारा) अत्यधिक निंदनीय है। अब हाईकोर्ट ने दखल दिया है। हमने इसे दो-तीन महीने पहले देखा था। मैंने इसे रोकने की कोशिश की, लेकिन मुझे बताया गया कि जो लोग इसमें शामिल हैं वे सत्ताधारी पार्टी के समर्थक हैं।”

चौधरी ने अफसोस जताया कि राजनीतिक दबाव की वजह से कुछ नहीं किया गया। कई अधिकारी और मैं दबाव में थे। हमारे लिए काम करना मुश्किल था। वहीं भाजपा नेता अग्निमित्र पॉल ने ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल सरकार सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट किया, “ममता बनर्जी के कार्यकर्ताओं ने जोरासांको ठाकुरबाड़ी में न केवल कार्यालय बनाया, बल्कि दीवार का रंग भी बदला, कमरों को तोड़ा और सीएम की तस्वीरें टांग दीं।”

उन्होंने कहा, “आप हेरिटेज बिल्डिंग को कैसे छू सकते हैं मैम? कोबी गुरु (रवीन्द्रनाथ टैगोर) हमारी भावना, प्रेम, जीवन है। इसके साथ खेलने की हिम्मत मत करो !”

टीएमसी ने विवाद से दूरी बनाने कोशिश की

दिलचस्प बात यह है कि सत्तारूढ़ तृणमूल ने दावा किया कि उसका शिक्षाबंधु समिति से कोई संबंध नहीं है। टीएमसी विधायक शांतनु सेन ने दावा किया, ”हमारी पार्टी का सारा बांग्ला तृणमूल शिक्षा बंधु समिति नाम के किसी भी संगठन से कोई संबंध नहीं है। हमारी पार्टी इसके खिलाफ जरूरी कार्रवाई करेगी।”

टीएमसी का यह आरोप यह इस तथ्य के बावजूद है कि इंडिया टुडे ने ‘सारा बांग्ला तृणमूल शिक्षा बंधु समिति’ के लेटरहेड को देखा है, जिसमें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की छवि थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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