करीब एक महीने पहले टमाटर के भाव सातवें आसमान में थे। बढ़ी कीमतों के चलते टमाटर आम आदमी की थाली से दूर हो गए थे। कई इलाकों में कीमत 400 रुपए तक पहुँच गई थी। पूरा विपक्ष टमाटर के चलते आई ‘मौसमी महँगाई’ पर हो हल्ला मचा रहा था। अब हालत यह है कि टमाटर 2-3 रुपए किलो तक में बिक रहा है।
टमाटर की बढ़ी हुई कीमतों को लेकर विपक्ष सरकार को कोसने में जुटा हुआ था। आलम यह था कि सरकार को टमाटर पर सब्सिडी तक देनी पड़ी थी। यही नहीं जगह-जगह स्टॉल लगाकर सस्ती कीमतों पर टमाटर बेचा जा रहा था। लेकिन, अब किसानों को टमाटर की सही कीमत नहीं मिल पा रही है। बता दें कि किसानों को मंडी तक सीधी पहुँच देने के लिए मोदी सरकार 3 कृषि कानून लेकर आई थी, लेकिन किसान नेताओं ने आंदोलन कर के इसे वापस करवा दिया।
‘मौसमी महँगाई’ पर विपक्ष द्वारा सरकार पर हमले के बीच दिल्ली की आजादपुर मंडी के सब्जी विक्रेता रामेश्वर का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। टमाटर की कीमत बढ़ने पर रामेश्वर रोते हुए नजर आए थे। उन्होंने राहुल गाँधी से मिलने की इच्छा भी जताई थी। इसके बाद राहुल गाँधी ने कहा था कि देश को दो वर्गों में बाँटा जा रहा है। अमीर-गरीब के बीच बढ़ती इस खाई को भरकर इन आँसुओं को पोंछना होगा।
यही नहीं राहुल गाँधी को ‘मोदी सरनेम’ मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद कॉन्ग्रेस नेता टमाटर बाँटकर खुशी मनाते हुए देखे गए थे। मध्य प्रदेश की कॉन्ग्रेस विधायक कल्पना वर्मा विरोध जताने के लिए गले में टमाटर और मिर्ची डालकर विधानसभा पहुँच गईं थीं। उत्तर प्रदेश के आगरा में कॉन्ग्रेस नेता टमाटर खरीदने के लिए बैंक से लोन माँगने पहुँच गए थे।
आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले के पट्टीकोंडा मंडी में एक किलो टमाटर की कीमत महज 2-3 रुपए है। इस कारण 100 किलो यानी एक क्विंटल टमाटर की कीमत 200 से 300 रुपए रह गई है। इसकी सबसे बड़ी वजह मार्केट में टमाटर का स्टॉक है। बड़े पैमाने पर हुई पैदावार के चलते बाजार में टमाटर का ढेर लगा हुआ है।
वहीं इसकी खपत अपेक्षाकृत कम है। जहाँ पहले फुटकर टमाटर की कीमत 400 रुपए तक पहुँच गई थी। वहीं अब 20-30 रुपए प्रति किलो बिक रहा है। कुछ जगह किसानों का कहना है कि फसल की सही कीमत न मिल पाने के चलते उन्हें फसल खेतों पर ही छोड़ना पड़ रहा है। यह हाल सिर्फ आंध्र प्रदेश का नहीं बल्कि राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों का भी है।