महाराष्ट्र में लातूर प्रशासन द्वारा शहर के स्कूलों को एक इस्लामी कार्यक्रम के लिए दो दिन बंद करने का मामला सामने आया है। प्रशासन ने नोटिस जारी कर तबलीगी जमात द्वारा आयोजित इस्लामी कार्यक्रम ‘इज्तेमा’ का हवाला देते हुए दो दिन की छुट्टी घोषित करने का निर्देश दिया था। नोटिस में कहा गया था कि स्कूल सभी मुस्लिम शिक्षकों और छात्रों को को इस आयोजन में भाग लेने की अनुमति देते हुए दो दिन की छुट्टी की घोषणा करें।
ऑपइंडिया के पास उपलब्ध पत्र के अनुसार, ‘राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी (NCP)’ के नेता विक्रम वसंतराव काले द्वारा दिए गए ज्ञापन के आधार पर लातूर जिला प्रशासन के शिक्षा विभाग द्वारा निर्देश जारी किए गए थे। काले महाराष्ट्र विधान परिषद के वर्तमान सदस्य भी हैं। काले ने अपने ज्ञापन में कहा था कि लातूर जिले के औसा शहर में ‘इज्तेमा’ का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सभी मुस्लिम छात्रों और शिक्षकों के लिए उनके ‘बौद्धिक और सामाजिक विकास’ के लिए कार्यक्रम में भाग लेना महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि 5 और 6 दिसंबर, 2022 को आयोजित कार्यक्रम में कई इस्लामी विद्वानों को शामिल होना है और यह बेहतर होगा कि प्रशासन जिले के सभी स्कूलों में दो दिन की छुट्टी घोषित करे। उन्होंने इस्लामी कार्यक्रम को ‘सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम’ भी करार दिया और कहा कि सभी मुस्लिम छात्रों और शिक्षकों को इस कार्यक्रम में उपस्थित होना चाहिए।
इसके बाद, लातूर के प्रशासनिक अधिकारियों ने शनिवार (3 दिसंबर, 2022) को जिले भर के स्कूलों के लिए दो दिन की छुट्टी की घोषणा करते हुए एक नोटिस जारी किया। प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी वंदना फुताने व नागेश मपारी सहित पदाधिकारियों ने यह भी कहा कि स्कूल एक महीने के लिए शनिवार (साप्ताहिक अवकाश) पर छात्रों को बुलाकर छुट्टियों की भरपाई करेंगे। इसके अलावा, अधिकारियों ने तबलीगी जमात द्वारा आयोजित ‘इज्तेमा’ के अवसर पर निजी स्कूल के प्रधानाचार्यों को दो दिन की छुट्टी घोषित करने के लिए भी मजबूर किया।
‘इज्तेमा’ मुसलमानों के लिए शक्ति प्रदर्शन करने का एक कार्यक्रम है जो लोगों के नैतिक सुधार के बारे में है और अक्सर इसे ‘मुसलमानों को सच्चा मुसलमान बनाने’ के रूप में वर्णित किया जाता है। यह एक धार्मिक कार्यक्रम भी है जिसमें कई इस्लामी विद्वानों को मार्गदर्शन देने के लिए आमंत्रित किया जाता है। इसे पूरी दुनिया में तब्लीगी जमात का एक महत्वपूर्ण अंग माना जाता है क्योंकि यह मुसलमानों के जीवन पर बड़ा प्रभाव डालने का दावा करता है।