Monday, November 18, 2024
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उमर खालिद से दिल्ली पुलिस ने की 4 घंटे पूछताछ, हिंदू विरोधी दंगों की साजिश में शामिल होने का है आरोप

ताहिर ने पूछताछ के दौरान इस बात का खुलासा किया था कि खालिद सैफी और उमर खालिद से वह 8 जनवरी 2020 को शाहीन बाग में पीएफआई कार्यालय में मिला था। लेकिन उमर खालिद का दावा है कि वह न तो कभी ताहिर से मिला है और न ही कभी पीएफआई कार्यालय में गया है।

दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद से बुधवार (2 सितंबर, 2020) को दंगों के सिलसिले में करीब 4 घंटे पूछताछ की। पुलिस के अनुसार, उन्होंने “कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को सत्यापित करने” के लिए खालिद को तलब किया था।

उमर के साथ-साथ जामिया मीडिया कोऑर्डिनेटर सफूरा जरगर, राजद के युवा विंग के अध्यक्ष मीरान हैदर, पिंजरा तोड़ की कार्यकर्ता नताशा नरवाल और कई अन्य लोगों को कथित तौर पर दंगों को उकसाने के लिए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया था। बता दें इस साल फरवरी की शुरुआत में पूर्वोत्तर दिल्ली के इलाकों में हिंदू विरोधी दंगों को अंजाम दिया गया था।

खालिद से बुधवार सुबह सनलाइट कॉलोनी स्थित कार्यालय में पूछताछ की गई। पिछले महीने भी उससे दिल्ली दंगों के मामले में दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल द्वारा पूछताछ की गई थी।

इससे पहले खालिद ने मंगलवार को दिल्ली पुलिस के आयुक्त एस एन श्रीवास्तव को एक पत्र लिखा। इस पत्र में उसने स्पेशल सेल के अधिकारियों पर मनगढंत आरोपों में फँसाने का आरोप लगाया। खालिद ने अपने पत्र में दावा किया कि उसके किसी परिचित ने यह खुलासा किया है कि स्पेशल सेल द्वारा उनपर दबाव बनाया जा रहा और उसके (खालिद) खिलाफ फर्जी बयान (प्री ड्राफ्टेड) दर्ज किया जा रहा है।

प्री ड्राफ्टेड बयान के अनुसार उमर खालिद को सीएए के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के बहाने पूर्वोत्तर दिल्ली में भड़के दंगों के सह-साजिशकर्ताओं में से एक के रूप में चित्रित किया गया था।

उमर खालिद के अनुसार, उसके परिचित ने प्री ड्राफ्टेड पत्र पर हस्ताक्षर करने का विरोध किया। लेकिन अधिकारियों ने उन्हें अपना बयान बदलने के लिए धमकाया। बाद में सवाल करने वाले व्यक्ति ने दावा किया कि यह उसका बयान नहीं था।

खालिद का दावा है कि अधिकारियों ने उस व्यक्ति को एक अरेस्ट मेमो दिखाकर धमकाया जिस पर यूएपीए लिखा था। पुलिस ने उन्हें धमकाते हुए कहा कि या तो वे इसे कबूल करें या या फिर वह दूसरे फॉर्म पर हस्ताक्षर करें। मजूबर होकर उन्हें पुलिस के बने-बनाए बयान को स्वीकार करना पड़ा।

वहीं उमर खालिद ने दिल्ली दंगों में शामिल ताहिर हुसैन के कबूलनामे को भी नकार दिया है। ताहिर ने पूछताछ के दौरान इस बात का खुलासा किया था कि खालिद सैफी और उमर खालिद से वह 8 जनवरी 2020 को शाहीन बाग में पीएफआई कार्यालय में मिला था। खालिद का दावा है कि वह न तो कभी ताहिर से मिला है और न ही कभी पीएफआई कार्यालय में गया है।

जहाँ एक तरफ खालिद खुद को निर्दोष बता रहा है, वहीं दिल्ली पुलिस अपराध शाखा ने 6 मार्च 2020 को अपने एफआईआर में कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की यात्रा के दौरान 24-26 फरवरी के बीच उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए हिंदू-विरोधी दंगों की साजिश पहले से ही रची गई थी। एफआईआर कॉपी में कहा गया है कि हिंदू विरोधी दंगों की साजिश पूर्व जेएनयू छात्र उमर खालिद और उसके साथियों द्वारा रची गई थी, जो दो संगठनों से जुड़े हैं।

उमर खालिद ने साजिश के तहत दो अलग-अलग स्थानों पर भड़काऊ भाषण दिए और लोगों से अपील की थी कि वे ट्रम्प की यात्रा के दौरान सड़कों पर उतरें ताकि प्रोपेगेंडा के तहत भारत में अल्पसंख्यकों के साथ होने वाले कथित अत्याचारों का अंतर्राष्ट्रीयकरण किया जा सके।

आईबी के कॉन्स्टेबल अंकित शर्मा की हत्या में दायर आरोप-पत्र के अनुसार, दिल्ली के दंगों का आरोपित ताहिर हुसैन, उमर खालिद और उसके करीबी खालिद सैफी के संपर्क में था। चार्जशीट में इस बात का उल्लेख है कि शाहीनबाग में जेएनयू स्कॉलर उमर और खालिद सैफी से मिलने के बाद ताहिर ने जनवरी में दंगों की योजना तैयार की थी। वहीं पुलिस द्वारा जुलाई में दर्ज एक रिपोर्ट के अनुसार खालिद सैफी ने दंगों के लिए धन जुटाने के लिए जाकिर नाइक से मुलाकात की थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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