केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने शनिवार (जुलाई 31, 2021) को कहा कि ‘तीन तलाक’ (तलाक-ए-बिद्दत) विरोधी कानून बनने के बाद तीन तलाक के मामलों में कमी आई है और मुस्लिम महिलाओं का संवैधानिक एवं लोकतांत्रिक अधिकार सुनिश्चित हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि इस कानून के अस्तित्व में आने वाले दिन एक अगस्त को ‘मुस्लिम महिला अधिकार दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा और इस मौके पर कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाएगा।
Muslim Women Rights Day will be observed across the country tomorrow 1st August 2021, to celebrate the enactment of the law against Triple Talaq: Ministry of Minority Affairs pic.twitter.com/WKYq8wdzHZ
— ANI (@ANI) July 31, 2021
उल्लेखनीय है कि मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, जुलाई 2019 में संसद के दोनों सदनों से पारित हुआ था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस विधेयक को एक अगस्त 2019 को मंजूरी दी थी और इसी के साथ यह कानून अस्तित्व में आ गया था।
नकवी ने एक बयान में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने 1 अगस्त 2019 के दिन ‘तीन तलाक’ को कानूनी अपराध घोषित किया था। ‘तीन तलाक’ को कानूनी अपराध बनाए जाने के बाद इस तरह के मामलों में बड़े पैमाने पर कमी आई है। देश भर की मुस्लिम महिलाओं ने इसका स्वागत किया है।’’
नई दिल्ली में एक अगस्त को ‘मुस्लिम महिला अधिकार दिवस’ पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी, केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री नकवी और केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव उपस्थित रहेंगे।
नकवी ने कहा, “तीन तलाक” को कानूनन अपराध बना कर मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं के ‘आत्मनिर्भरता, आत्मसम्मान, आत्मविश्वास’ को पुख्ता कर उनके संवैधानिक-मौलिक-लोकतांत्रिक एवं समानता के अधिकारों को सुनिश्चित किया है।
गौरतलब है कि लोकसभा में 25 जुलाई 2019 को दिन भर चली चर्चा के बाद बहुप्रतिक्षित मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक यानी तीन तलाक पर रोक सम्बन्धी बिल पास हो गया। मत विभाजन के दौरान पक्ष में 303 और विपक्ष में 82 वोट पड़े। बिल में संशोधन के लिए विपक्षी दलों के तरफ से लाए गए प्रस्ताव भी ख़ारिज हो गए।
कॉन्ग्रेस, डीएमके, एनसीपी समेत कई विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया जबकि टीएमसी और सरकार की सहयोगी जेडीयू ने सदन से वॉक आउट कर दिया। इससे पहले फरवरी में भी लोकसभा में बिल को मंजूरी मिल गई थी, लेकिन राज्यसभा ने इसे मंजूरी नहीं दी थी। सत्ता मैं लौटने के बाद सरकार ने विधेयक को दोबारा लोकसभा में पेश किया था।