रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी को मुंबई और अलीबाग पुलिस ने 4 नवंबर, 2020 को उनके घर से घसीटते और मारते पीटते हुए गिरफ्तार किया। अर्णब की गिरफ्तारी बुधवार सुबह हथियारों से लैस कई पुलिस अधिकारी, एनकाउंटर कॉप और शिवसेना के पूर्व सदस्य सचिन वेज के नेतृत्व में उनके घर में जबरन घुसकर की गई थी।
गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उन्हें अलीबाग के एक पुलिस स्टेशन में रखा और फिर उन्हें मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश किया गया। जहाँ अदालत ने पुलिस कार्रवाई पर तीखी टिप्पणी करते हुए अर्नब गोस्वामी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इस पूरी कार्यवाही को वकीलों की जीत के रूप में देखा जा सकता है, क्योंकि मुंबई पुलिस अर्णब के लिए 14 दिनों की पुलिस हिरासत की माँग कर रही थी।
मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा की गई टिप्पणियाँ इस प्रकार हैं:
- ◆अदालत की मंजूरी के बिना मुंबई पुलिस द्वारा 2018 का आत्महत्या का मामला खोला गया।
- ◆मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने देखा कि अर्नब को गिरफ्तार किए जाने के मामले और आत्महत्या के केस में कोई संबंध नहीं था। केस को पहले 2018 में बंद कर दिया गया था और अब फिर से खोला गया। जिसमें अर्णब गोस्वामी की भूमिका बताई जा रही है।
- ◆फैसला सुनाने के दौरान CJM ने यह भी देखा कि पुलिस हिरासत के लिए कोई ‘उचित आधार’ नहीं है।
अर्णब को रखा गया इस क्वारंटाइन सेंटर में
अलीबाग में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने अर्णब गोस्वामी की न्यायिक हिरासत मंजूर करने के बाद, उन्हें क्षेत्र के एक क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया है।
मजिस्ट्रेट के अनुसार, अर्णब गोस्वामी को इस जगह 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन किया गया है।
हालाँकि, उच्च न्यायालय ने अर्णब गोस्वामी को आज अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। साथ ही सुनवाई को कल के लिए टाल दिया गया है। कल अदालत गोस्वामी के वकीलों की याचिका पर सुनवाई करेगी ताकि उन्हें राहत प्रदान की जा सके और उन्हें हिरासत से मुक्त किया जा सके।
गौरतलब है कि ऑपइंडिया हिंदी के संपादक को दिए एक साक्षात्कार में, सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने रिपब्लिक टीवी के खिलाफ मुंबई पुलिस की कार्रवाई की आलोचना की थी। मंत्री ने कहा, “मुंबई पुलिस जो कर रही है, उसका कोई भी समर्थन नहीं करेगा।” मुंबई पुलिस ने इंडिया टुडे के नाम पर दर्ज एफआईआर के आधार पर टीआरपी घोटाले में रिपब्लिक टीवी को फर्जी फँसाया था।
बता दें पुलिस ने टीआरपी घोटाले में कथित तौर पर रिपब्लिक टीवी का नाम लेने के लिए गवाहों के साथ जबरदस्ती की थी। मुंबई पुलिस ने चैनल के सभी वित्तीय लेनदेन का विवरण भी माँगा था। वहीं जब अपने सारे करतूतों में मुंबई पुलिस नाकाम हो गई तो उन्होंने कब अर्णब को फँसाने के लिए 2018 में बंद कर दिए एक केस का सहारा लिया है।