Monday, December 23, 2024
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चीन की तरह भारत भी कर सकता है बिजली संकट का सामना? पॉवर प्लांट्स के पास बचा है औसतन 4 दिनों का ही कोयला!

वैश्विक बाजार में कोयले का दाम काफी ज्यादा है। इसीलिए, देश के कोयला खदानों से ही खरीददारी में बढ़ोतरी हुई और इससे उन पर बोझ बढ़ गया। ऊपर से सितंबर 2021 में हुई भारी बारिश से माइनिंग प्रभावित हुई है।

क्या चीन के बाद अब भारत भी बिजली संकट का सामना कर रहा है? बताया जा रहा है कि चीन में बिजली संकट का कारण है कोयले की काई ज्यादा खपत और बिजली के दाम कम होना। भारत में भी इस तरह की आशंका जताई जा रही है, क्योंकि यहाँ भी पॉवर प्लांट्स कोयले की कमी से जूझ रहे हैं। ‘सेन्ट्रल एलेक्ट्रीसिटी अथॉरिटी’ के आँकड़ों के हवाले से बताया गया है कि पॉवर प्लांट्स के पास औसतन 4 दिनों की ही बिजली के लायक कोयला स्टोर में रखा जा रहा है।

जबकि सरकारी नियमों के हिसाब से कम से कम 2 सप्ताह के लिए कोयला स्टोरेज होना चाहिए। भारत के 108 पॉवर प्लांट्स में से 16 ने ईंधन की कमी की बात कही है और 45 ने कहा है कि उनके पास 2 दिनों का ही कोयला बचा है। भारत में बिजली के उत्पादन का 53% हिस्सा कोयला से ही आता है, लेकिन इसका आउटपुट 70% है। ‘कोल इंडिया’ भारत में कोयला का सबसे बड़ा माइनर है। कोयला की सबसे ज्यादा खपत बिजली उत्पादन में ही होती है।

चीन भी कुछ इसी तरह की समस्याओं का सामना कर रहा है, जहाँ फैक्ट्रियों में कोयला की माँग बढ़ी है, लेकिन सप्लाई कम ही है। भारत में भी कोरोना वायरस संक्रमण के कारण लगे लॉकडाउन का दौर बीत चुका है और अब जब मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र फिर से पटरी पर लौट रहा है, कोयले की माँग बढ़ी है। लोगों को महामारी के दौरान लगा था कि अर्थव्यवस्था को उबरने में 2-3 साल लगेंगे, लेकिन काफी जल्द ही सारे सेक्टरों में काम शुरू हो गया।

वैश्विक बाजार में कोयले का दाम काफी ज्यादा है। इसीलिए, देश के कोयला खदानों से ही खरीददारी में बढ़ोतरी हुई और इससे उन पर बोझ बढ़ गया। ऊपर से सितंबर 2021 में हुई भारी बारिश से माइनिंग प्रभावित हुई है। साथ ही मजदूरों का भी टोटा है। हालाँकि, कई मजदूर अब काम पर लौट रहे हैं। भारत को अक्टूबर-दिसंबर में 167 GW बिजली की ज़रूरत है, जिसमें से 126 GW कोयला से ही आना है।

पिछले साल के मुकाबले ये 10% ज्यादा है। अब बाहर से कोयला लाना ही कई सेक्टरों को एकमात्र उपाय लग रहा है, जिससे चीजों के दाम बढ़ने की आशंका है। हालाँकि, मार्च 2022 तक स्थिति सुधरने की संभावना है। एशिया में कोयला के दाम अभी बढ़ते ही जाएँगे, ऐसा विशेषज्ञों का मानना है। इस साल की शुरुआत में इंडोनेशिया के बेंचमार्क थर्मल कोयला का मूल्य प्रति मीट्रिक टन $45 से सीधा $125 पहुँच गया।

भारत में कोयले की एक बड़ी मात्रा इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया से आयात की जाती है। हालाँकि, अभी भारत में उपभोक्ताओं को बिजली की खासी कमी का सामना नहीं करना पड़ रहा है। उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर और लद्दाख जैसे क्षेत्रों में लोगों को थोड़ी-बहुत परेशानी हुई है। टाटा पॉवर, अडानी पॉवर और JSW उत्पादन में कटौती कर रहे हैं। कोयले पर अत्यधिक निर्भरता भी कम की जा रही है।

मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, झारखंड और महाराष्ट्र – इन 5 राज्यों में लोगों को ज्यादा बिजली संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि यहाँ भरपूर मात्रा में कोयला खदान हैं और माइनिंग भी सबसे ज्यादा यहीं होती है। लेकिन, बिहार और राजस्थान में लोग अभी से परेशान हैं। कई जगह लोगों को रात-रात भर बिजली नहीं मिल रही। राजस्थान और हरियाणा ने इस मामले को केंद्र सरकार के समक्ष उठाया भी है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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