योगी सरकार बाहुबली मुख्तार अंसारी को पंजाब से उत्तर प्रदेश लाने की तैयारी में है। सरकार मुख्तार को लाने के लिए कानूनी विकल्पों का सहारा ले रही है। मुख्तार अंसारी को यूपी लाने के लिए गाजीपुर से 3 पुलिसकर्मियों को चंडीगढ़ रवाना किया गया है। फिलहाल, मुख्तार अंसारी रंगदारी के एक केस में पंजाब की रोपड़ जेल में बंद है।
यूपी पुलिस मुख्तार को किसी भी कीमत पर वापस लाने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्तर प्रदेश से कई बार पुलिस टीम पंजाब मुख्तार को लाने गई, लेकिन हर बार मेडिकल रिपोर्ट का हवाला देकर मुख्तार को यूपी पुलिस को नहीं सौंपा गया। जब रोपड़ जेल पर दबाव बनाया गया, तो जेल अधिकारियों ने मुख्तार की मेडिकल रिपोर्ट यूपी पुलिस को दे दी।
आरोप है कि पंजाब सरकार मुख्तार अंसारी को बचाने की कोशिश कर रही है। तमाम कोशिशों के बावजूद जब यूपी सरकार मुख्तार को प्रदेश लाने में विफल रही तो अंत में यूपी सरकार को इस मामले कानूनी विकल्पों का सहारा लेना पड़ा।
रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका पर सुनवाई के बाद रोपड़ जेल अधीक्षक को 18 दिसंबर 2020 को एक नोटिस जारी किया था। नोटिस को पहले पुलिसकर्मी दिल्ली जाकर वकील गरिमा प्रसाद से लेंगे और फिर रोपड़ रवाना होंगे। प्रदेश सरकार ने नोटिस को रोपड़ जेल अधीक्षक को हैंड डिलीवरी करवाने की योजना बनाई है।
गौरतलब है कि 2019 से मुख्तार रोपड़ जेल में बंद है। लोकसभा चुनाव के पहले मुख्तार अंसारी को बांदा जेल से पंजाब की रोपड़ जेल शिफ्ट कर दिया गया था। कई मामलों में आरोपित मुख्तार को जब पेशी के लिए गाजीपुर और आजमगढ़ पुलिस पंजाब लाने गई, तो तबियत ख़राब होने का हवाला देते हुए वहाँ के अधिकारियों ने उन्हें वापस लौटा दिया।
दरअसल, पहली बार गाजीपुर में फर्जी दस्तावेजों पर असलहे का लाइसेंस लेने के मामले में मुख्तार अंसारी को प्रयागराज स्पेशल कोर्ट में उसे पेश होना था। वहीं दूसरी बार, आजमगढ़ में दर्ज आपराधिक मामले में मुख्तार को सेशन कोर्ट ने तलब किया था। मुख्तार को पेश करने के लिए कई बार नोटिस जारी की गई थी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
उल्लेखनीय है कि यूपी की योगी सरकार लगातार मुख्तार अंसारी के अवैध धंधे और करीबी रिश्तेदारों पर अपना शिकंजा कस रही हैं। पिछले महीने गाजीपुर में पुलिस ने गजल होटल की जमीन को मुख्तार अंसारी की पत्नी व दोनों पुत्रों के नाम से दर्ज कराने के मामले में आईएस-191 गैंग के दो सहयोगियों जफर अब्बास व सैय्यद सादिक हुसैन को धर-दबोचा था। योगी सरकार उसके कई अवैध निर्माणों को भी ध्वस्त करा चुकी है।
इसके अलावा योगी आदित्यनाथ की सरकार ने दो ऐसे IAS अधिकारियों गुरुदीप सिंह और राजीव शर्मा को हटा कर उन्हें प्रतीक्षारत कर दिया था, जिन पर आरोप था कि उन्होंने विवादास्पद फैसले लिए और ऐसे एक्शन लिए, जिनसे दोनों को फायदा हुआ। इन दोनों IAS अधिकारियों पर मऊ के विधायक मुख़्तार अंसारी और उसके भाई अफजल अंसारी के परिवार को फायदा पहुँचाने का आरोप था।