Monday, November 18, 2024
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योगी सरकार की सख्त कार्रवाई: भ्रष्टाचार में लिप्त यूपी के तीन SDM को डिमोट कर फिर से बनाया तहसीलदार

जिन तीन उपजिलाधिकारियों (SDM) पर कार्रवाई की गई है वे प्रयागराज, श्रावस्ती और मुरादाबाद में तैनात थे। इन तीनों एसडीएम पर जमीन के मामले में नियम को ताक पर रखकर मनमाने तरीके से गलत फैसला लेने का दोषी पाया गया है।

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति के तहत अलग-अलग ज़िलों में ज़मीन घोटाले के मामले में बड़ी कार्रवाई की है। ताजा मामले में जमीन घोटाले में धाँधली के आरोपित तीन उप जिलाधिकारियों (SDM) को तहसीलदार के पद पर डिमोट कर दिया है।

नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग की तरफ से इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिया गया है। जिन तीन उपजिलाधिकारियों (SDM) पर कार्रवाई की गई है वे प्रयागराज, श्रावस्ती और मुरादाबाद में तैनात थे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इन तीनों एसडीएम पर जमीन के मामले में नियम को ताक पर रखकर मनमाने तरीके से गलत फैसला लेने का दोषी पाया गया है। तीनों को तहसीलदार बनाने के बाद राजस्व परिषद से सम्बद्ध किया गया है।

तीनों एसडीएम पर जमीन के संबंध में धाँधली करने का दोषी पाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, श्रावस्ती के एसडीएम जेपी चौहान पर पीलीभीत में तहसीलदार के पद का गलत फायदा उठाते हुए महँगी जमीन की कीमत को कम आँकने आरोप था। वहीं मुरादाबाद के एसडीएम अजय कुमार पर ये गंभीर आरोप है कि उन्होंने ग्रेटर नोएडा की जमीन को किसी पावरफुल व्यक्ति को देने के लिए अधिग्रहण कर मनमाने तरीके से छोड़ दिया था। जिस केस में हुई जाँच में अजय कुमार को दोषी पाया गया है।

जबकि, प्रयागराज के एसडीएम रामजीत मौर्य जब तहसीलदार के पद पर नियुक्त थे। तब उन्होंने नियम को न मानते हुए। करोड़ों की जमीन पर मनमाने ढंग से बेतहाशा फैसले लिए, फिलहाल जाँच में तीनों एसडीएम को दोषी पाया गया। इसी वजह से योगी सरकार के भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति के तहत एसडीएम को तहसीलदार बना दिया गया है।

मीडिया में आई रिपोर्ट के अनुसार, एसडीएम प्रयागराज रामजीत मौर्य ने मीरजापुर में तहसीलदार के पद पर तैनाती के दौरान जमीन संबंधी एक मामले में नियमों को दरकिनार करते हुए मनमाने तरीके से निर्णय लिया था। बताया जा रहा है कि यह जमीन कई एकड़ में है और इसकी कीमत करोड़ों रुपए आँकी जा रही है। बता दें कि इन तीनों मामले की जाँच कराई गई और जाँच के बाद इन्हें दोषी पाया गया।

गौरतलब है कि लोक सेवा आयोग ने दो अधिकारियों को पदावनत करने संबंधी राज्य सरकार के प्रस्ताव पर सहमति दी, लेकिन अजय कुमार की दो वेतन वृद्धि रोकने की प्रस्ताव पर सहमत नहीं दी है। आयोग ने अजय कुमार के दोष के सापेक्ष दंड कम होने का तर्क देते हुए उन्हें भी डिमोट करने की संस्तुति कर दी है। इस तरह तीनों ही अधिकारियों को पदावनत करने का फैसला हुआ। जो योगी भ्रष्टाचार पर सख्त रवैये को दर्शाता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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