यूपी के मेरठ (Meerut, UP) में सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने के लिए दूसरे समुदाय के युवकों ने काँवड़ यात्रा करने वाले काँवड़ियों पर थूक दिया। इससे काँवड़िए भड़क गए और युवक को जमकर कर पीट दिया। बाद में पुलिस ने मामले को शांत कराया।
घटना मेरठ के कंकरखेड़ा के पास NH 58 की है। काँवड़ियों के अनुसार, शनिवार (22 जुलाई 2022) को कुछ काँवड़िए अपने काँवड़ को रखकर शिविर में आराम कर रहे थे। तभी दूसरे समुदाय के दो युवक बाइक से आए और काँवड़ पर थूकने का प्रयास किया। आगे चलकर इनमें से एक युवक बाइक से उतरा और काँवड़ पर थूक कर अपवित्र कर दिया।
जब काँवड़ियों ने इन्हें देखा तो एक को पकड़ लिया, जबकि दूसरा भाग गया। पकड़ने के बाद काँवड़ियों ने उसे पीटना शुरू कर दिया। इसी बीच पुलिस मौके पर पहुँचकर आरोपित को भीड़ से छुड़ाकर अपने साथ लेकर चली गई।
इस घटना का पता जैसे ही काँवड़ियों के अन्य समूह को लगा, उन्होंने इसके खिलाफ प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। बाद में कई समूह जुड़ता चला गया। इसके बाद नाराज काँवड़ियों ने हाइवे पर जाम कर दिया। इतना ही नहीं, गुस्साए लोगों ने थाने में भी तोड़फोड़ की।
उन्होंने पुलिस से कहा जब तक दूसरे समुदाय के युवक को उनके हवाले नहीं किया जाएगा, तब तक जाम नहीं खोला जाएगा। मामले की नजाकत को देखते हुए SSP रोहित सिंह सजवाण भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुँचे और काँवड़ियों को समझाया।
एसएसपी ने हाथ में लाउडस्पीकर माइक लेकर खुद लोगों से शांत रहने की अपील की और बम भोले एवं भारत माता की जय के नारे लगाकर काँवड़ियों को आगे बढ़ने के प्रोत्साहित किया। इसके बाद काँवड़िए आगे बढ़े।
#मेरठ कंकरखेड़ा बायपास पर कावड़ के ऊपर किसी बाइक सवार ने थूक दिया इसके बाद कावड़ियों का हंगामा एसएसपी एसपी सिटी एसपी ट्रैफिक मौके पर एसएसपी ने भारत माता की जय कहते हुए कांवरियों को आगे बढ़ाया #Meerut @Uppolice @uptrafficpolice @Benarasiyaa pic.twitter.com/fWFWJslu5j
— Munish Kumar (@Chhayakaar) July 23, 2022
राजस्थान के भरतपुर तहसील गाँव सीकरी निवासी हनी मुखीजा, दिशांत, लोकेश आदि काँवड़ियों ने बताया कि 21 जुलाई की शाम को वे हरिद्वार से राजस्थान के लिए 40 काँवड़ियों के साथ चले थे। जैसे वे कंकरखेड़ा के पास पहुँचे, यह घटना हुई।
DM दीपक मीणा और SSP रोहित सिंह के समझाने के बाद यह तय हुआ कि जो काँवड़ खंडित हुई थी, उससे जुड़े चार काँवड़ियों को लेकर पुलिस हरिद्वार जाएगी। वहाँ से पवित्र गंगाजल लेकर वापस कंकरखेड़ा तक आएगी। इसके बाद उस गंगाजल को विशाल काँवड़ में रखकर वे राजस्थान जाएँगे।