Tuesday, November 5, 2024
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1 दिन में लाउडस्पीकर से 35 लाख अज़ान ठीक, लेकिन 3 शब्द से दिक्कत: जिन भारतीयों का खून बहाता है Pak वो क्यों माँगें माफ़ी, पाकिस्तानी खिलाड़ियों के ‘ज़हर’ का क्या?

आज उदयनिधि स्टालिन भाईचारे की बात कर रहे हैं। आज उन्हें 'अतिथि देवो भव' की याद आई है। यानी, आज पाकिस्तानपरस्ती के लिए वो सनातन धर्म से ही पंक्ति उधार लेकर हिन्दुओं को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।

आँकड़ों की मानें तो भारत में लगभग 7 लाख मस्जिदें हैं। इस्लाम के हिसाब से दिन भर में 5 बार मस्जिदों से अज़ान दी जाती है। इसके लिए लाउडस्पीकरों का इस्तेमाल किया जाता है। यानी, मस्जिद के आसपास के इलाकों में रह रहे लोग भले ही हिन्दू, जैन, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी या यहूदी हों – उन्हें अजान सुननी ही सुननी है। अगर अनुमान लगाएँ तो अकेले भारत में 1 दिन में 35 लाख अज़ान होते हैं मस्जिदों से। इसमें कोई कुछ नहीं कर सकता, कहीं शिकायत नहीं हो सकती।

अब उस घटना की बात करते हैं, जिसे मद्देनज़र रखते हुए इन आँकड़ों का जिक्र मैंने किया। शनिवार (14 अक्टूबर, 2023) को भारत और पाकिस्तान के बीच ICC वनडे क्रिकेट वर्ल्ड कप का लीग मैच हुआ। भारत ने पाकिस्तान को 7 विकेट से पटखनी दे दी। जब पाकिस्तान के विकेटकीपर बल्लेबाज मोहम्मद रिजवान जब आउट होकर पवेलियन की तरफ जा रहे थे तब दर्शकों ने उनकी हूटिंग की। इस दौरान ‘जय श्री राम’ के नारे भी लगे। भारत को पाकिस्तान का ‘बाप’ बताने वाले नारे भी लगे।

मोहम्मद रिजवान कौन हैं? ये पाकिस्तान का वो खिलाड़ी है, जो श्रीलंका के खिलाफ मिली जीत को फिलिस्तीन को समर्पित करता है। जबकि फिलिस्तीनी आतंकियों ने इजरायल में डेढ़ हज़ार लोगों का नरसंहार किया है और भारत सरकार इजरायल के साथ खड़ी है। ये वो खिलाड़ी है, जो मैदान पर नमाज़ पढ़ता है। ताज़ा उदाहरण लें तो नीदरलैंड्स के खिलाफ हुए मैच में उन्होंने मैदान पर नमाज़ पढ़ी। ये वो खिलाड़ी है, जो विदेश में सड़क पर नमाज़ पढ़ता है। अमेरिका के बॉस्टन में उन्होंने कार रुकवा कर सड़क पर नमाज़ पढ़ी थी।

पाकिस्तान से माफ़ी माँगने वाली ब्रीड

हमने प्रतिदिन 35 लाख अज़ान वाले आँकड़े को जाना, भारत-पाकिस्तान मैच में दर्शकों की हूटिंग को लेकर जाना और मोहम्मद रिज़वान के बारे में जानना। अब जानते हैं भारत में बैठे उन लोगों के बारे में जो पाकिस्तान से माफ़ी माँग रहे हैं। क्यों? क्योंकि 110 करोड़ हिन्दुओं के देश में हिन्दू समाज के आराध्य भगवान श्रीराम का नाम लिया गया एक बार। आप सोचिए, 28 लाख नमाज़ प्रतिदिन के बदले 1 बार ‘जय श्री राम’ नारे से इनलोगों को इतनी दिक्कत हो गई कि उस पाकिस्तान से माफ़ी माँग रहे हैं जो भारतीयों का खूब बहाता रहा है।

दर्शकों ने अगर मैदान में ‘जय श्री राम’ कह दिया तो क्या हो गया? इसका अर्थ क्या है? इसका मतलब है – माँ सीता और भगवान राम की विजय हो। इसका ऐसा तो कतई मतलब नहीं है कि दुनिया में राम के सिवा कोई ईश्वर नहीं है और जो राम को न माने वो काफिर है और उसे मार डालो। उन्होंने तो ‘जय श्री राम’ बोलने के लिए लाउडस्पीकर का भी इस्तेमाल नहीं किया था। जहाँ हिन्दू हैं, वहाँ राम का नाम लिया ही जाएगा। हम तो आपस में मिलते-जुलते भी हैं तो ‘राम-राम’ कह कर एक-दूसरे का अभिवादन करते हैं।

आइए, अब आपको मिलवाते हैं उस गिरोह से। सबसे पहले तो तमिलनाडु के मंत्री और DMK नेता उदयनिधि स्टालिन से मिलिए, जिन्होंने सनातन धर्म को डेंगू-मलेरिया बताया था। साथ ही इसे खत्म करने की बात की थी। उस कार्यक्रम में, जिसकी टैगलाइन ही थी ‘सनातन का खात्मा’। आज वो भाईचारे की बात कर रहे हैं। आज उन्हें ‘अतिथि देवो भव’ की याद आई है। यानी, आज पाकिस्तानपरस्ती के लिए वो सनातन धर्म से ही पंक्ति उधार लेकर हिन्दुओं को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।

उनका ये सिद्धांत तब कहाँ चला जाता है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करने तमिलनाडु जाते हैं और DMK का आईटी सेल ‘गो बाइक मोदी’ ट्रेंड करवाता है। कावेरी नदी को लेकर जब कर्नाटक और तमिलनाडु की एक ही गठबंधन की सरकारें आपस में लड़ती हैं, तब कहाँ चला जाता है उदयनिधि स्टालिन का ‘भाईचारा’? दुनिया भर में जिस धर्म के 120 करोड़ अनुयायी हैं, उसे खत्म करने की बात करना और विरोध के बावजूद उस पर कायम रहना कहाँ तक उचित है? आज उन्हें बहुत सारा ज्ञान याद आ रहा देने को।

इस पूरे विवाद को लेकर पहले तो हिन्दुओं को नीचा दिखाया गया, फिर गुजरातियों को भला-बुरा कहा जाने लगा। गुजरात ने 3 दशकों से कॉन्ग्रेस को सत्ता से बाहर रखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह वहीं से हैं, ऐसे में गुजरात से लेकर घृणा बार-बार दिखाई है विपक्षी नेताओं ने। कभी राहुल गाँधी ‘मोदी’ सरनेम पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते हैं तो कभी तेजस्वी यादव गुजरातियों को चोर बताते हैं। गुजरात के प्रति ये खुन्नस ही है कि भारत-पाकिस्तान मैच में ‘जय श्री राम’ नारा लगने को तूल देते हुए उन्हें नीचा दिखाया जाने लगा।

ऐसे मौकों पर ‘इंडिया टुडे’ के पत्रकार राजदीप सरदेसाई अगर न बोलें तो कैसे काम चल सकता है। उन्होंने हिन्दुओं पर खूब ज्ञान झाड़ा। उन्होंने पूछा कि ‘जय श्री राम’ का इस्तेमाल ‘पाकिस्तानी खिलाड़ियों को चिढ़ाने के लिए आक्रामक रूप से’ क्यों किया जाता है? उनकी नज़र में ‘राम-राम’ अलग है और ‘जय श्री राम’ अलग। उन्होंने भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम बताते हुए कहा कि उन्हें ज्ञान लाना चाहिए, दुश्मनी नहीं। हालाँकि, राजदीप सरदेसाई ने ये नहीं बताया कि ‘जय श्री राम’ में आक्रामक क्या है और इससे दुश्मनी कहाँ से आ जाती है?

वहीं खुद को नेहरूवादी बताने वाले आदित्य चटर्जी व शांतनु, कॉन्ग्रेसी प्रवीण चक्रवर्ती, पत्रकार राहुल फर्नांडिस, पार्थ एमएन और न जाने कितने ही लिबरलों ने याद दिलाया कि कैसे 1999 में चेन्नई में पाकिस्तान को स्टैंडिंग ओवेशन मिला था दर्शकों द्वारा। लेकिन, कोई ये नहीं बता रहा कि इसके बाद क्या हुआ था। भारतीय सेना के कैप्टेन सौरभ कालिया का अपहरण कर लिया गया, उन्हें प्रताड़ित किया गया और उनकी हत्या कर दी गई। ‘जाट रेजिमेंट’ के इस जवान को पाकिस्तान ने 15 मई से 7 जून तक लगातार प्रताड़ित किया।

क्या पाकिस्तान को स्टैंडिंग ओवेशन दिए जाने से सब कुछ बदल गया? कारगिल में भारत के 527 जवानों का हत्यारा कौन था? यही पाकिस्तान था। ये भी 1999 की घटना है। इसकी चर्चा क्यों नहीं? आज पाकिस्तान को सिर्फ इसीलिए सॉरी कहा जा रहा है क्योंकि स्टेडियम में किसी ने ‘जय श्री राम’ कह दिया, लेकिन भारत के सैकड़ों निर्दोषों का खून बहाने वाले आतंकियों का पोषक जो पाकिस्तान है, वो आगे भी इन्हीं हरकतों को जारी रखेगा और सॉरी नहीं बोलेगा। हाँ, सॉरी बोलने से भी न तो इतिहास बदल जाएगा और न ही आगे कोई फर्क पड़ेगा।

और हाँ, किसी खिलाड़ी को दर्शकों द्वारा चिढ़ाना कोई नया है क्या? किस खेल में ऐसा नहीं होता है? ऑस्ट्रेलिया में विराट कोहली को कई बार दर्शकों ने बू किया। स्टीवन स्मिथ 2018 के बॉल टैम्परिंग की घटना के बाद दर्शकों द्वारा चिढ़ाए गए। इसमें इस्लाम या संप्रदायवाद का कोई लेना-देना नहीं है। जिसका जैसा व्यवहार रहेगा, उस हिसाब से उसके साथ व्यवहार होगा। पाकिस्तानी टीम कैसे-कैसे बयान देती है? कभी ‘कुफ्र टूट गया’ जैसी बातें की गई थीं, इस्लाम की फतह जैसी बातें की गई थीं, पीएम मोदी को हराने जैसी बातें की गई थीं।

भारत और हिन्दुओं के खिलाफ ज़हर उगलते रहे हैं पाकिस्तानी खिलाड़ी

T20 वर्ल्ड कप 2021 के मैच के बाद पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख रशीद, यूट्यूबर मुबाशेर लुकमान और कमेंटेटर बाजिद खान ने इसी तरह के बयान दिए थे। इसीलिए, भारतीय दर्शकों का विरोध पाकिस्तान और उसके खिलाड़ियों से था, किसी मजहब से नहीं। यहाँ कोई धार्मिक आक्रामकता या सांप्रदायिकता नहीं थी, बल्कि पाकिस्तानी खिलाड़ियों और पाकिस्तान के प्रति गुस्सा था। भारतीयों और हिन्दुओं को बार-बार नीचा दिखाने वालों को एक बार ‘जय श्री राम’ सुना दिया गया तो भारत में ही बैठे गद्दार क्यों बिलबिला उठे?

ये गुस्सा उस पाकिस्तान के लिए था, जिनके खिलाड़ियों के बयानों पर यहाँ का लिबरल गिरोह निंदा तक नहीं करता और प्रतिक्रिया में 3 शब्द आते ही सक्रिय हो जाता है। IPL के पहले संस्करण में सबसे ज़्यादा विकेट झटकने वाला सोहैल तनवीर कहता है कि हिन्दुओं की ‘ज़ेहनियत’ ऐसी है कि उन्होंने कर दिया जो भी कहना था। IPL 2009 में न बिकने के बाद उसने हिन्दुओं पर गुस्सा निकाला था। इसके बाद पाकिस्तानी एंकर ‘मुँह में राम, बगल में छुरी’ कहावत बोलते हुए बनियों को भला-बुरा कहता है।

पाकिस्तान का पूर्व कप्तान शाहिद अफरीदी ने घर का टीवी इसीलिए फोड़ दिया, क्योंकि उसकी बेटी भारतीय सीरियल देख कर आरती उतारने की नक़ल कर रही थी। पाकिस्तानी बल्लेबाजी अहमद शहज़ाद मैदान में ही श्रीलंका के बल्लेबाज तिलकरत्ने दिलशान के धर्मांतरण का कोशिश करता है। वो कहता है कि इस्लाम में आ जाओ अगर जन्नत में जाना है तो, वरना आग में जलने के लिए तैयार रहो। पाकिस्तान का पूर्व कप्तान इनम=जामं-उल-हक़ कहता है कि मुसलमान अगर अपनी मुसलमानियत पर आ गए तो दुनिया में एक भी गैर-मुस्लिम नहीं बचेगा।

पूर्व स्पिनर और पाकिस्तान का कोच रहे सक़लैन मुश्ताक ने बताया था कि कैसे उसने युसूफ योहाना को लालच दिया कि वो इस्लाम में परिवर्तित हो जाए तो उसका बैटिंग औसत बढ़ जाएगा और उसने कुरान पढ़ना शुरू किया। फिर वो मोहम्मद युसूफ बना। पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने कई बार बताया है कि कैसे विपक्षी खिलाड़ियों के धर्मांतरण का वो प्रयास करते रहे हैं। पूर्व तेज गेंदबाज वसीम वकार यूनुस है कि मोहम्मद रिजवान हिन्दुओं के बीच नमाज पढ़ कर आया, ये इस खेल को लेकर सबसे अच्छी चीज है।

कुछ लोग ये तर्क दे सकते हैं कि भारत भी वही करेगा जो पाकिस्तान कर रहा है, तो हममें और उनमें अंतर क्या रह जाएगा। लेकिन, असली बात तो ये है कि भारत में क्रिकेट की चर्चा कभी धर्म तक जाती भी नहीं। ऐसा होता तो अफगानिस्तान और बांग्लादेश से मैच के बाद भी ऐसे नारे लगते। यहाँ तो उलटा अफगानी प्लेयरों को सम्मान मिला है। न तो भारतीय खिलाड़ियों ने किसी के धर्मांतरण का प्रयास किया और न ही ग्राउंड में पूजा-पाठ करते हैं वो। फिर आखिर पाकिस्तान के सामने हमेशा झुकने की उम्मीद क्यों रखी जाती है भारतीयों से?

भारत में ‘जय श्री राम’ ही चलेगा, माफ़ी हम नहीं पाकिस्तान माँगे

जिस देश में राम का जन्म हुआ, जहाँ हिन्दुओं ने राम मंदिर के लिए 500 साल का संघर्ष किया है और बलिदान दिया है, जहाँ घर-घर में रामकथा सुनाई जाती है, जहाँ हर क्षेत्र की अलग-अलग रामलीला होती है, जहाँ ‘रामायण’ सबसे ज़्यादा पसंद किया जाने वाला सीरियल है, जहाँ हर माँ-बाप अपने बेटा को राम बनाना चाहता है, जहाँ अयोध्या से लेकर रामेश्वरम तक कई स्थल राम से जुड़े हुए हैं, जहाँ अधिकतर जगहों और लोगों के नाम में ‘राम’ है और जहाँ मरने के बाद भी राम का नाम लिया जाता है – उस देश में राम नाम से इतनी दिक्कत क्यों?

अगर माफ़ी माँगना है तो पाकिस्तान माँगे जिसने उरी, पठानकोट और पुलवामा में भारतीय जवानों की हत्याएँ की। जिसने मुंबई में 26/11 जैसे हमले को अंजाम देकर सैकड़ों लोगों को मौत के घाट उतार दिया। जिसके द्वारा पोषित आतंकियों ने कश्मीर में खून बहाया। जिसकी विचारधारा पर चल कर कश्मीरी पंडितों को घाटी से निकाल दिया गया। जिसने जम्मू कश्मीर के एक बड़े हिस्से पर कब्ज़ा कर रखा है। माफ़ी भारत क्यों माँगे? भारत की तरफ से माफ़ी माँगने की बात करने वाले इस देश का प्रतिनिधित्व नहीं करते, उन्हें पाकिस्तान समर्थक ही समझा जाए।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
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