अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी सरकार ने दिल्ली के स्कूली छात्रों के लिए देशभक्ति के पाठ्यक्रम को अनिवार्य कर दिया। नर्सरी से कक्षा 8 तक जहाँ हर दिन इसकी पढ़ाई होगी, वहीं क्लास 9 से 12 में पढ़ने वाले छात्रों को हफ्ते में एक बार इसे पढ़ाया जाएगा। इस कोर्स को लाने का उद्देश्य छात्रों के भीतर देशभक्ति को जगाना बताया जा रहा है।
अरविंद केजरीवाल ने खुद ट्वीट कर इस कोर्स की जानकारी दी है। उन्होंने लिखा, “पिछले 74 साल में हमने अपने स्कूलों में फ़िजिक्स, केमेस्ट्री, मैथ तो पढ़ाए लेकिन बच्चों को देशभक्ति नहीं सिखाई, मुझे खुशी है कि आज दिल्ली सरकार ने ये शुरुआत की है। देशभक्ति पाठ्यक्रम के माध्यम से अब दिल्ली के सभी सरकारी स्कूलों में बच्चों को अपने देश से प्यार करना सिखाया जाएगा।”
सबसे पहले ताज्जुब की बात है कि ऐसा प्रस्ताव या पाठ्यक्रम वो सरकार लाई है जिसकी अगुवाई करने वाले नेता ही समय आने पर खुलकर देशभक्ति का प्रदर्शन नहीं कर पाते। फिर बात चाहे सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान सेना के शौर्य पर शक करने की हो या फिर देश के खिलाड़ियों की सराहना करने के समय चुपचाप बैठे रहने की। केजरीवाल कई बार ऐसा रवैया दिखाते मिले जैसे उन्हें राष्ट्रीय मुद्दों में कोई दिलचस्पी ही न हो।
याद करिए:
- इसी वर्ष जब स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के जवानों के लिए, खिलाड़ियों के लिए, सुरक्षाकर्मियों के लिए ताली बजवा रहे थे, उस समय वहाँ बैठे सब लोग तालियाँ बजाकर सम्मान दे रहे थे, लेकिन केजरीवाल को हाथ बाँधे देखा गया था।
पर उपदेश कुशल बहुतेरे
— मेजर कुलदीप (RR) (@Majkds_RR) September 29, 2021
बच्चों को देशभक्ति सिखाने से पहले खुद तो देशभक्ति सीख लो
जब मोदी जी देश के जवानों और भारत के खिलाडियों के सम्मान में ताली बजाने की अपील कर रहे थे 15 अगस्त पर तब शायद तुम्हारे हाथ टूटे हुए थे क्या? देख इस वीडियों को
बडा आया देशभक्ति सिखाने वाला pic.twitter.com/WpzijeKdNm
- पुलवामा हमले के समय जब देश के 40 जवान बलिदान हुए थे उस समय देश का हर नागरिक चाहता था कि पाकिस्तान से बदला लिया जाए। पीएम मोदी के नेतृत्व में देश ने बालाकोट एयर स्ट्राइक कर ऐसा किया भी। लेकिन उनकी सराहना करने की बजाय, सेना के साहस का लोहा मानने की बजाय केजरीवाल ने राजनीति की और आरोप मढ़ा कि भारत सरकार को पाकिस्तान और इमरान खान का समर्थन प्राप्त है।
- साल 2016 में भी केजरीवाल ने बाकायदा वीडियो जारी कर सेना द्वारा की गई स्ट्राइक के प्रमाण माँगे थे। खुद को सही दिखाने के लिए उन्होंने पाकिस्तानी प्रोपगेंडा का हवाला दिया था कि अगर सबूत मिल गए तो पाकिस्तान चुप हो जाएगा। केजरीवाल की इस हरकत का क्या असर हुआ था इसका अंदाजा इससे लगता है कि पाकिस्तानी यूजर ने ट्विटर पर #PakStandsWithKejriwal ट्रेंड करवा दिया था। यानी जो पाक के मन में चल रहा था उस पर दिल्ली में बैठे केजरीवाल वीडियो बना रहे थे।
अब ऐसे ही कई बार ‘अलग तरह की देशभक्ति’ के लिए अपनी पहचान बनाने वाले केजरीवाल जब बच्चों को देशभक्ति पढ़ाने की बात कर रहे हैं तो ये सबके लिए थोड़ा हास्यास्पद भी है और हैरान करने वाला भी। ये हैरानी इस बात पर है कि कैसे केजरीवाल सरकार इस बात को खुलेआम कह देती है कि जो काम वो करने जा रहे हैं वो इतिहास के पन्नों में कभी किसी ने किया ही नहीं। जबकि सच बात तो यह है कि 15 अगस्त और 26 जनवरी से पहले स्कूलों में होने वाले कार्यक्रम, उनमें पढ़ी जाने वाली कविताएँ, प्रस्तुत नाटक… सबका उद्देश्य यही होता है कि स्कूली जीवन में बच्चों के भीतर देशभक्ति जगाए रखा जाए।
खैर! ये कोई नई बातें आदत हैं। सीएम केजरीवाल के ट्वीट के नीचे भी ऐसे तमाम यूजर हैं जो कह रहे हैं कि सीएम को और उनके पार्टी नेताओं को देशभक्ति सिखाने से ज्यादा बच्चों से देशभक्ति सीखने की जरूरत है। लोगों के सवाल है कि सेना पर सवाल उठाकर कौन सी सरकार देशभक्ती दिखाती है। इन बातों से ये तो साफ है कि हर कोई अब उन प्रपंचों से वाकिफ हो चुका है जिसे आम आदमी पार्टी एक्सक्लूसिव काम के नाम पर पेश करती है। लेकिन, जो काम वो शिक्षा के नाम पर करती आई है, उसकी पोलपट्टी भी तमाम बार खुली है।
जैसा कि पार्टी ने अक्सर कहा कि उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किए है। मगर ऑपइंडिया बताता रहा है कि कैसे किए जा रहे दावे हकीकत से अलग हैं। कैसे स्कूलों की संख्या, उनमें किए गए आमूलचूल बदलाव के दावे, शिक्षकों की भर्ती, शिक्षा की गुणवत्ता वाले वादे पूरी तरह सच नहीं है। इन बातों को समझने के लिए अभिषेक रंजन की रिपोर्ट पढ़िए जिसमें यह सामने आया था कि कैसे पूरी दिल्ली को अच्छी शिक्षा देने का वादा करने वाली केजरीवाल सरकार 5-10 प्रतिशत बच्चों को ही अच्छी शिक्षा दे पाई है और 90-95 फीसद बच्चे अछूते हैं। इसके अलावा आरटीआई आदि से ये बातें भी सामने आई थी कि 1 फरवरी 2015 को 9,598 शिक्षक पद रिक्त थे, 30 सितंबर 2019 तक यह संख्या बढ़कर 15,702 पहुँच गई।