जहाँ पूरे देश में दशहरा को लेकर हर्ष-उल्लास का मौसम है, पंजाब में एक शहर ऐसा भी है जहाँ दशहरा का नाम आते ही एक ऐसी भीषण दुर्घटना याद आ जाती है, जिसे भुलाए नहीं भुलाया जा सकता। सबसे बड़ी बात तो यह कि अब तक इस हादसे में मारे गए लोगों के परिवारों के साथ न्याय नहीं हो सका है। इस हादसे को एक साल हो गए और लोग आज भी न्याय की उम्मीद में सड़कों पर हैं। अमृतसर में लोगों ने कैप्टेन अमरिंदर सिंह की सरकार के ख़िलाफ़ कैंडल मार्च निकाला है, पोस्टर लहराए हैं। साथ ही जनता ने मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी। शिरोमणि अकाली दल के विधायक विक्रम सिंह मजीठिया ने भी विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
कैंडल मार्च के दौरान पीड़ित परिवारों ने बताया कि उनके परिवारों के घर में खाने को रोटी तक नहीं है। पंजाब की कॉन्ग्रेस सरकार ने नौकरी का वादा भी अभी तक पूरा नहीं किया है। उन्होंने आरोपितों को सज़ा देने की भी माँग की। पूर्व मंत्री मजीठिया ने कहा कि पंजाब सरकार ने झूठे वादे किए और अब तक आरोपितों के खिलाफ कर्रवाई नहीं की। उन्होंने माँग करते हुए कहा कि अमरिंदर सरकार आरोपितों पर कार्रवाई करे और वादे के मुताबिक पीड़ित परिवारों को नौकरी दे। उन्होंने कहा:
“अमृत सर रेल हादसे को लेकर 3 जाँच कमिटियाँ बनीं लेकिन अब तक एक भी व्यक्ति के ऊपर FIR तक नहीं हुआ। अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। जाँच कमिटी ने दोषी कॉन्ग्रेस नेताओं को बचाने की कोशिश की। मैंने विधानसभा में इस मामले को उठाया था और बताया था कि कई कॉन्ग्रेस नेता इस हादसे के लिए ज़िम्मेदार हैं लेकिन अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया। कॉन्ग्रेस सरकार का पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने का कोई इरादा नहीं है।”
I raised the issue in the Vidhan Sabha and the Commissioner with evidence against Congress leaders responsible but nothing has been done in one year. It appears that the Congress govt is not interested in giving justice to the victims’ families. pic.twitter.com/JU3YbMX3mP
— Bikram Majithia (@bsmajithia) October 7, 2019
बता दें कि बीते वर्ष अमृतसर के जोड़ा फाटक पर दशहरा महोत्सव चल रहा था। वहाँ लोग रेलवे ट्रैक पर खड़े होकर रावण दहन देख रहे थे। तभी एक तेज रफ्तार ट्रेन वहाँ से गुजरी और कई लोग काल के गाल में समा गए। इस हादसे के बाद हर्षोल्लास में डूबे शहर में मातम पसर गया। इस हादसे ने 59 लोगों की ज़िंदगियाँ लील लीं। कई दर्जन लोग घायल हुए। मरने वालों में बच्चे, बूढ़े, जवान और महिलाएँ शामिल थीं।
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— Zee PHH (@ZeePunjabHH) October 8, 2019
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उस दशहरा समारोह में कॉन्ग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी मुख्य अतिथि थीं। हादसे के तुरंत बाद वह वहाँ से निकल गई थीं। सिद्धू दम्पति ने भी कई बड़े-बड़े वादे करते हुए कहा था कि वे पीड़ित परिवारों को गोद लेंगे, घायलों का इलाज करवाएँगे और मृतकों के परिजनों के लिए नौकरी की व्यवस्था करेंगे। हालाँकि, तब सिद्धू के मंत्री रहते भी यह सब नहीं हो सका।