उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि प्रदेश के किसी भी नागरिक को कोई समस्या हो, तो बेझिझक मुख्यमंत्री हेल्पलाइन 1076 पर सम्पर्क कर सकता है। उन्होंने कहा है कि सीएम हेल्पलाइन पर आने वाली शिकायतों के आधार पर फील्ड में तैनात अधिकारियों के प्रदर्शन का आकलन होगा।
मुख्यमंत्री ने दो टूक शब्दों में कहा है कि तहसीलदार हो या थानाध्यक्ष, अगर जनता इनके कार्यों से संतुष्ट नहीं है तो इनके खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित होगी। बुधवार (10 फरवरी 2021) को लोकभवन में उच्चस्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने सीएम हेल्पलाइन 1076 के अधिकाधिक प्रयोग के लिए जनता को जागरूक करने का निर्देश दिया।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि थाना एवं तहसील स्तर पर जिस भी व्यक्ति की समस्या का निस्तारण नहीं हो सका है, वह व्यक्ति अपनी समस्या को लेकर सीएम हेल्पलाइन 1076 पर कभी भी संपर्क कर सकता है। हेल्पलाइन पर मिली ऐसी शिकायतों का तत्परता से निराकरण कराया जाएगा।
जनता की समस्याओं के समाधान के साथ ही थाना तथा तहसील स्तर पर जनता की शिकायत का निस्तारण किए जाने को लेकर जिले के जिलाधिकारी, पुलिस कप्तान और थानेदार को जवाबदेह बनाया जाएगा। हालाँकि इसमें यह भी कहा गया है कि सीएम हेल्पलाइन पर फर्जी शिकायत दर्ज करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी।
इसके अलावा अब थाना तथा तहसील स्तर पर निस्तारित हुई जनता की समस्याओं की रेटिंग भी की जाएगी, जिससे यह पता चल सके कि किस जिले में जनता की समस्याओं के निस्तारण में तेजी दिखाई जा रही है। मुख्यमंत्री आवास पर उच्चाधिकारियों के साथ बैठक करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने थाना एवं तहसील स्तर पर जनता की समस्याओं के निस्तारण संबंधी तंत्र पर चर्चा करते हुए यह फैसला लिया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को यह पता चला था कि थाना तथा तहसील स्तर पर जनता से मिलने वाली शिकायतों का निस्तारण ठीक से नहीं हो रहा है। इस सूचना के आधार पर मुख्यमंत्री ने जनता से मिलने वाली हर शिकायत के निस्तारण की व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने के निर्देश दिए।
सीएम हेल्पलाइन ने कोरोना संकट के दौरान जनता की मदद करने में बेहद अहम भूमिका निभाई थी। अभी भी देश की सबसे बड़ी सरकारी हेल्पलाइन में कुल 250 ऑपरेटर चौबीसों घंटे लोगों की समस्याओं के निपटारे और उनकी निगरानी के लिए काम कर रहे हैं।
लॉकडाउन की शुरुआत में सीएम हेल्पलाइन के ज़रिए सभी जिलों के गाँवों और दूरदराज के इलाकों में रहने वाले उन लोगों की सूची तैयार की गई थी जो सर्दी-खाँसी से पीड़ित थे। तब इसी हेल्पलाइन के ज़रिए सभी प्रधानों और सभासदों को फोन करके प्रवासी लोगों के भरण-पोषण और उनके स्वास्थ्य की निगरानी करने के लिए कहा गया था।
इसके अलावा लॉकडाउन के दौरान सभी प्रधानों और पार्षदों को फोन करके राशन और भोजन वितरण, क्वारंटाइन, प्रवासी मजदूरों को मिलने वाली सुविधाओं जैसे बिंदुओं पर फीडबैक लिया गया था। इतना ही नहीं किसी भी सरकारी सिस्टम के बगैर दूसरे राज्यों से पहुँचे लोगों के इलाज आदि का भी पता लगाया गया था।