लोकसभा चुनाव 2019 के आखिरी चरण का चुनाव प्रचार जारी है। 19 मई को अंतिम चरण की वोटिंग के साथ मतदान समाप्त हो जाएँगे फिर सारा देश परिणाम के दिन यानी 23 मई के इंतज़ार में लग जाएगा।
तारीखों में अगर पाँच साल पीछे चलें तो आज ही के दिन अर्थात 16 मई 2014 को पिछली बार 16वीं लोकसभा के चुनावी नतीजे आए थे। पाँच साल पहले 16 मई, 2014 को करीब 11 बजे तक ये साफ हो गया था कि सत्ता अब एक परिवार के हाथों से छिनने जा रही रही है। सत्ता का माहौल बदलने वाला है।
कर्म ही है धर्म मेरा, धर्म ही है मेरा जीवन
— Chowkidar Narendra Modi (@narendramodi) May 16, 2019
जीवन ही तो देश मेरा, देश ही मेरा तन-मन। pic.twitter.com/8w0rX9wRKE
उस दिन जब 16वें लोकसभा चुनाव के परिणाम जब दोपहर तक घोषित हुए तो भाजपा को ऐतिहासिक विजय का ताज जनता ने पहना दिया था। बीजेपी पहली बार अपने दम पर बहुमत का स्पष्ट आँकड़ा पार करते हुए 282 सीटों तक पहुँच चुकी थी। अटल युग में भी बीजेपी सत्ता के शीर्ष तक पहुँची थी लेकिन अपने दम पर 200 का आँकड़ा भी पर नहीं कर पाई थी।
2004 के बाद से 10 साल तक सत्ता से बाहर रहने वाली बीजेपी ने 2013 में घोटालों और भ्रष्टाचार से त्रस्त जनता के बीच गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के दावेदार के रूप में पेश किया। उनके करिश्माई व्यक्तित्व ने जनता में ‘मोदी लहर’ चला दी। मोदी ने खुद के लिए गुजरात के वडोदरा के साथ वाराणसी को चुनाव क्षेत्र के रूप में चुना और जनता ने न सिर्फ उन्हें, बल्कि NDA को भारी बहुमत से जिताकर उनका प्रधानमंत्री बनना तय कर दिया। काशी से गूँजे नाद ‘घर-घर मोदी, हर-हर मोदी’ ने देश में मोदी लहर कायम रखा, परिणाम स्वरुप नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा न केवल अपने दम पर बहुमत पाने में कामयाब रही बल्कि तीन दशकों में स्पष्ट जनादेश हासिल करने वाली पहली पार्टी बनी।
2014 के लोकसभा चुनाव की एक और ख़ास बात रही कि लगभग 50 साल तक शासन पर काबिज और एक दशक से लगातार सत्ता पर काबिज कॉन्ग्रेस 2014 में सिमटकर महज 44 सीटों की पार्टी बन गई। यहाँ तक कि कॉन्ग्रेस की इतनी भी हैसियत नहीं रही कि उसे नेता-प्रतिपक्ष का पद हासिल हो सके। ऐसी शर्मनाक हार के बारे में शायद ही कभी कॉन्ग्रेस ने सोचा होगा।
बता दें कि बीजेपी ने 16वें लोकसभा चुनाव में 428 प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा था। इनमें से 282 प्रत्याशियों ने जीत हासिल कर बीजेपी को सत्ता में पहुँचाया। 2004 से सत्ता से बाहर बीजेपी ने 2009 का चुनाव लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में लड़ा था लेकिन बीजेपी को अपेक्षित सफलता नहीं मिली और कॉन्ग्रेस के नेतृत्व में यूपीए-2 की दोबारा वापसी हुई और मनमोहन सिंह लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बने। लेकिन 2014 का चुनाव मोदी की छवि, गुजरात मॉडल और अमित शाह की चुनावी रणनीति के साथ लड़ा गया, जिसका परिणाम बीजेपी के लिए सुखद रहा। स्पष्ट बहुमत के साथ, बीजेपी की इस जीत में उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 71 पर जीत ने कॉन्ग्रेस को समेटने में बड़ा योगदान दिया। नरेंद्र मोदी सत्ता के शिखर पहुँचे और 26 मई, 2014 को देश के प्रधानमंत्री बने।
A memorable moment from this day, 5 years ago.
— Chowkidar Narendra Modi (@narendramodi) May 16, 2019
With the blessings of 130 crore Indians, we’ve worked to fulfil aspirations and build a strong, secure & developed India.
Today the passion is higher & endeavour greater. We will continue serving people & their realising dreams. pic.twitter.com/qLq08eAy4E
इस बार के लोकसभा चुनावों में भी बीजेपी ने अपना प्रभाव कायम रखा है। विपक्ष के सभी वार खाली जा रहे हैं। फिर भी अंतिम परिणाम क्या होगा इसका पता 23 मई को चलेगा।