महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी का न्यूनतम साझा कार्यक्रम आ गया है। इसमें मौजूद एक प्रावधान स्तब्ध कर देने वाला है। कॉमन मिनिमम प्रोग्राम में स्थानीय लोगों के लिए महाराष्ट्र की 80 प्रतिशत नौकरियों को आरक्षित करने के लिए कानून बनाने की बात कही गई है। 4 पन्नों के दस्तावेज़ में मुख्यमंत्री-निर्धारित (सीएम-डेज़िग्नेट) उद्धव ठाकरे के हस्ताक्षर साफ़-साफ़ पढ़े जा सकते हैं। इसके अलावा इस पर दो और हस्ताक्षर हैं जो कॉन्ग्रेस और एनसीपी के क्रमशः व्हिप बाला साहब थोराट और जयंत पाटिल (जो अजित पवार के पार्टी में लौटने के बाद भी विधायक दल के नेता के तौर पर बरकरार हैं) के होने की संभावना है।
मराठी माणूस शिव सेना का मुद्दा भले ही बाला साहेब के समय से रहा हो, और ऐसा लग रहा है कि उनके दूसरे मुद्दे हिंदूवाद को कुर्बान कर शिव सेना अपने क्षेत्रवाद पर लौट आई है, लेकिन कॉन्ग्रेस का ऐसे प्रस्ताव पर हस्ताक्षर चौंकाने वाला है। खुद को ‘लिबरल’ यानी उदारवादी और किसी भी तरह के ‘भेदभाव’ के खिलाफ बताने वाली कॉन्ग्रेस के इतिहास में यह सबसे बड़े विचारधारा के समझौतों में से एक है।
गौरतलब है कि कॉन्ग्रेस और शिव सेना के इस गठबंधन को बेमेल ही नहीं, विचारधारा के साथ समझौता और वोटरों के साथ धोखा माना जा रहा था। अभी तक इसमें ज़्यादातर गुस्सा शिव सेना के खिलाफ केंद्रित रहा है, जिसके वोटर ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं और नेता पार्टी छोड़ रहे हैं। लेकिन इस फैसले के समर्थन के बाद कॉन्ग्रेस भी ऐसे ही सवालों में उतनी ही घिरती नज़र आ रही है।