Sunday, December 22, 2024
Homeराजनीति32 चुनाव हारने के बाद भी 84 वर्षीय श्याम बाबू का जज़्बा बरक़रार, फिर...

32 चुनाव हारने के बाद भी 84 वर्षीय श्याम बाबू का जज़्बा बरक़रार, फिर से लड़ेंगे चुनाव

"मैंने पहली बार 1962 में चुनाव लड़ा और लोकसभा और ओडिशा विधानसभा चुनावों सहित विभिन्न चुनाव लड़े। मुझे विभिन्न राजनीतिक दलों से प्रस्ताव मिले हैं, लेकिन मैंने हमेशा एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा।"

ओडिशा के बेरहामपुर से श्याम बाबू सुबुद्धि ने 1962 से एक निर्दलीय के रूप में लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा चुनाव लड़ा। अपनी इस चुनावी लड़ाई में उन्हें 32 बार हार का सामना करना पड़ा। बावजूद इसके वो फिर से आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे हुए हैं।

समाचार एजेंसी ANI को उन्होंने बताया, “मैंने पहली बार 1962 में चुनाव लड़ा और लोकसभा और ओडिशा विधानसभा चुनावों सहित विभिन्न चुनाव लड़े। मुझे विभिन्न राजनीतिक दलों से प्रस्ताव मिले हैं, लेकिन मैंने हमेशा एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा।”

ख़बर के अनुसार, इस साल उन्होंने अस्का और बेरहामपुर लोकसभा सीटों से अपना नामांकन दाखिल किया। एक प्रमाणित होमियोपैथ, श्री सुबुद्धि कहते हैं कि वह राज्य में तीन खाली राज्यसभा सीटों पर भी चुनाव लड़ेंगे, जिसके लिए चुनाव 11 जून को होंगे। इससे पहले, उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक के ख़िलाफ़ भी चुनाव लड़ा था। उन्होंने कहा, “मैं ट्रेनों, बसों और बाजारों में अपने दम पर प्रचार करता हूँ। इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि मैं जीतता हूँ या हारता हूँ। मुझे लड़ाई जारी रखनी है।”

उन्होंने कहा, “इस बार मेरा चुनाव चिन्ह एक बल्ला है और उस पर पीएम उम्मीदवार लिखा है।” श्री सुबुद्धि का कहना है कि वह राज्य की राजनीति से नाखुश हैं और मतदाताओं को लुभाने के लिए कथित तौर पर पैसे के इस्तेमाल पर भी दुखी हैं। उन्होंने कहा, “मैंने भ्रष्टाचार के ख़िfलाफ़ लड़ाई जारी रखी है।”

ओडिशा में विधानसभा चुनाव 11, 18, 23 और 29 अप्रैल को चार चरणों में लोकसभा चुनाव के साथ होंगे। 23 मई को परिणाम घोषित किए जाएँगे।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।

जिस संभल में हिंदुओं को बना दिया अल्पसंख्यक, वहाँ की जमीन उगल रही इतिहास: मंदिर-प्राचीन कुओं के बाद मिली ‘रानी की बावड़ी’, दफन थी...

जिस मुस्लिम बहुल लक्ष्मण गंज की खुदाई चल रही है वहाँ 1857 से पहले हिन्दू बहुतायत हुआ करते थे। यहाँ सैनी समाज के लोगों की बहुलता थी।
- विज्ञापन -