बीते कुछ समय से अरविंद केजरीवाल कॉन्ग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन करने के लिए बेहद बेताब दिखाई दे रहे थे। जिसके चलते दोनों पार्टियों के बीच कई बैठकें भी हुईं, लेकिन कॉन्ग्रेस गठबंधन के लिए नहीं मानी। अब ऐसे में केजरीवाल ने अपनी स्थिति को परखने के लिए चुनाव से पहले दिल्ली में एक आंतरिक सर्वेक्षण कराया। जिसके नतीजे जानने के बाद उन्होंने दिल्ली में अकेले लड़ने का फैसला किया है।
इस सर्वे का उद्देश्य यह जानना था कि दिल्ली की जनता उनकी पार्टी को लेकर किस तरह के विचार रखती है। इस आंतरिक सर्वेक्षण में सामने आया कि दिल्ली के 52 फीसदी लोग आगामी आम चुनावों में आप को वोट करेंगे। नतीजों को अपने पक्ष में देखते हुए केजरीवाल ने खुद अकेले दम पर चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है।
नवभारत टाइम्स में छपी रिपोर्ट अनुसार आम आदमी द्वारा यह आंतरिक सर्वे 5 और 6 मार्च को कराया गया था। इस सर्वेक्षण में 18,000 लोगों से उनकी राय ली गई। जिनमें से 52 फीसदी लोगों ने आप को वोट देने की बात कही, 36 ने भाजपा को और 7 फीसदी कॉन्ग्रेस का समर्थन करते हुए नज़र आए।
नतीजे देखने के बाद आम आदमी पार्टी के कई नेताओं को लगता है कि यदि उनकी पार्टी पहले कॉन्ग्रेस से गठबंधन कर लेती तो अपने हिस्से की सीटों को हार जाती और इसका फायदा भाजपा को मिलता, ऐसे में अच्छा हुआ कि गठबंधन नहीं हुआ।
इस आंतरिक सर्वे में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के मुद्दे पर भी राय ली गई। जिसके नतीजे बताते हैं कि 56 फीसदी लोग दिल्ली तो पूर्ण राज्य देने के समर्थन में है। इसके अलावा आम आदमी पार्टी यकीन मान के चल रही है कि दिल्ली के मुस्लिम वोटर भी भाजपा को हराने के लिए उन्हें एक साथ आकर वोट कर सकते हैं।
बता दें कि सर्वेक्षण से पहले खबरें आ चुकी है कि आप के 9 विधायक कॉन्ग्रेस से जुड़ने की योजना बना रहे हैं। जिसकी जानकारी खुद कॉन्ग्रेस द्वारा दी गई है। ऐसे में पार्टी और उसके प्रमुख केजरीवाल के लिए जरूरी है कि आंतरिक सर्वे पर ज्यादा खुश होते हुए समय बर्बाद न करें और पार्टी के आंतरिक ढाँचे को मज़बूत बनाए।