केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्क्रिय करने के फैसले को अधिकांश कॉन्ग्रेस नेताओं ने गलत बताते हुए इस पर अपनी असहमति व्यक्त की है। इस बीच, अखिल भारतीय आतंकवाद विरोधी मोर्चा (एआईएटीएफ) के अध्यक्ष और भारतीय यूथ कॉन्ग्रेस के पूर्व प्रमुख मनिंदरजीत सिंह बिट्टा ने अपने फेसबुक होमपेज पर एक वीडियो शेयर करते हुए टाइम्स ऑफ इंडिया के पत्रकार को लताड़ लगाई है। उन्होंने जम्मू कश्मीर से 370 को निष्प्रभावी करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने के मोदी सरकार के कदम का समर्थन न करने के लिए टाइम्स ऑफ इंडिया के पत्रकार की कड़ी आलोचना की है।
एमएस बिट्टा ने अपने पोस्ट के कैप्शन में लिखा है कि अभी भी देश में बहुत देशद्रोही हैं, जिनको अनुच्छेद 370 हटाने से परेशानी है। इस वीडियो में एमएस बिट्टा को पीएम मोदी के इस निर्णय को साहसिक बताते हुए उनकी प्रशंसा करते हुए देखा जा सकता है। एमएस बिट्टा टाइम्स ऑफ इंडिया के पत्रकार को धिक्कारते हुए कहते हैं, “आप काहे के पत्रकार हैं? पीएम मोदी ने इतना बड़ा काम कर दिया, आप लोगों पर असर नहीं है क्या? आप हिन्दुस्तानी हैं? क्या आप एक भारतीय हैं? भारतीय होने पर गर्व है? तो जो नरेंद्र मोदी ने किया है, उसको सैल्यूट करो न। पत्रकारिता की बात मत करो। राष्ट्र की बात करो। अगर आपको नरेंद्र मोदी का काम नज़र नहीं आता तो आप हिन्दुस्तानी हैं ही नहीं।”
एम एस बिट्टा ने इससे पहले अनुच्छेद 35 ए और 370 को खत्म करने के लिए संसद में वोट देने का आह्वान करते हुए कहा था, “संसद का सत्र चल रहा है और सरकार को यह जानने के लिए मतदान कराना चाहिए कि संविधान के अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35-A को कौन-कौन रद्द कराना चाहते हैं। इससे राष्ट्र को राष्ट्रवादियों और गद्दारों के बारे में पता चल जाएगा।”
बिट्टा ने पीएम मोदी पर विश्वास जताते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री जल्द ही कश्मीर से आतंकवाद को समाप्त कर देंगे। उन्होंने आरोप लगाया था कि विदेश में बैठे मुट्ठी भर लोग, पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई द्वारा वित्त पोषित हैं, जो कश्मीर को बदनाम कर रहे हैं और स्थानीय व्यवसायों को नुकसान पहुँचा रहे हैं।
बता दें कि, 7 जुलाई 1992 को पंजाब के अमृतसर शहर में हुए एक बम धमाके में बिट्टा ने अपने एक पैर गँवा दिए थे। इस धमाके में 13 लोगों की मौत हुई थी। इसके अलावा, भारतीय यूथ कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष रहने के दौरान 11 सितंबर, 1993 में ऑफिस के परिसर में हुए घातक हमले का शिकार होने से बचे थे। जिसमें 9 लोग मारे गए और 36 अन्य घायल हो गए। एम एस बिट्टा ने 2013 में दिल्ली में कॉन्ग्रेस सरकार पर हमला करते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर अपनी सुरक्षा वापस लेने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था आतंकवादियों की हिट लिस्ट में होने के बावजूद उनकी पार्टी ने उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया।