Saturday, November 23, 2024
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किसान आंदोलन में #नहीं_चाहिए_भाजपा का ट्रेंड: अखिलेश यादव के घर के बाहर पुलिस, बैरिकेडिंग तोड़ रहे सपाई गुंडे

UP में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं। यही कारण है कि अखिलेश यादव अपने ट्वीट में किसानों के समर्थन का बहाना कर #नहीं_चाहिए_भाजपा का हैशटैग चला रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे - जमीन और गौधन लूटने वाले किसान कैसे?

किसान आंदोलन का राजनीतिकरण करने से इस समय कोई विपक्षी पार्टी नहीं चूक रही। दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कॉन्ग्रेसृ मामले को सुलझाने की बजाय केंद्र सरकार की आलोचना कर रही है और उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने भी किसानों को अपना समर्थन दिखाने के लिए एक यात्रा निकालने का ऐलान किया है। 

समाजवादी पार्टी के इस ऐलान के बाद यूपी पुलिस ने लखनऊ से लेकर कन्नौज तक में हर कोने पर सुरक्षा बढ़ा दी है। वहीं अखिलेश यादव के घर के बाहर घेरा कर दिया गया है, जिसे देखकर सपा कार्यकर्ता लखनऊ में जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे हैं और पुलिस की बैरिकेडिंग को भी तोड़ रहे हैं।

लखनऊ के विक्रमादित्य रोड पर स्थित समाजवादी पार्टी के कार्यालय को छावनी में बदल दिया गया है। हर जगह पुलिस के जवान खड़े हैं। अखिलेश यादव के घर के बाहर बैरिकेडिंग है। पुलिस ने किसी को भी यहाँ आने-जाने से मना किया है। 

परिस्थितियों को संभालने के लिए पुलिस ने अपने पास वाटर कैनन भी रखे हैं। इधर, समाजवादी पार्टी के एमएलसी राजपाल कश्यप और आशू मलिक को हिरासत में लिया गया है। दोनों नेताओं पर पुलिस से धक्कामुक्की का आरोप है। दोनों कार्यालय बंद होने के बावजूद उसमें जाने का प्रयास कर रहे थे।

कश्यप ने मीडिया से बात करते हुए सवाल किया है कि आखिर पुलिस उन्हें क्यों रोक रही है? क्यों अखिलेश यादव को रोका जा रहा है? उनका कहना है कि प्रदेश सरकार अखिलेश यादव से घबरा रही है और किसानों की आवाज उठाने पर उनके साथ अन्याय हो रहा है।

यहाँ गौरतलब हो कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आज सुबह किसानों के समर्थन में जनता को यात्रा में शामिल करने के लिए अपने ट्वीट में लिखा था, “कदम-कदम बढ़ाए जा, दंभ का सर झुकाए जा, ये जंग है ज़मीन की, अपनी जान भी लगाए जा… ‘किसान-यात्रा’ में शामिल हों! #नहीं_चाहिए_भाजपा।”

इस ट्वीट के बाद और पुलिस कार्रवाई देखकर सोशल मीडिया पर कई लोग इस पर अपनी राय रख रहे हैं। यूजर्स का कहना है कि समाजवादियों और किसान में कोई समानता नहीं है, क्योंकि हजारों करोड़ की सरकारी संपत्ति और सरकारी नौकरियों की बंदरबाँट करने वाले किसान नहीं हो सकते। गुंडाराज चलाने वाले किसान कैसे हो सकते हैं? किसानों के नाम पर उनकी जमीन और गौधन लूटने वाली पार्टी और नेता सिर्फ माफिया हो सकते हैं।

बता दें कि उत्तर प्रदेश में साल 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी सत्ता में आने के लिए योगी सरकार की छवि बिगाड़ने में लगातार प्रयासरत है। यही कारण है कि वह अपने ट्वीट में किसानों के समर्थन के साथ #नहीं_चाहिए_भाजपा का हैशटैग लगा रहे हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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