लोकसभा ने गुरुवार (3 अगस्त 2023) को दिल्ली सेवा बिल ध्वनिमत से पारित कर दिया। मतदान के दौरान विपक्षी सांसदों ने सदन से वॉकआउट किया। आम आदमी पार्टी (AAP) के इकलौते लोकसभा सांसद सुशील कुमार रिंकू को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है। वोटिंग के दौरान जब लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला बोल रहे थे तब उन्होंने सत्ता पक्ष के सांसदों पर कागज फाड़कर फेंका था। बिल पास होने के बाद लोकसभा को शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
इससे पहले दिल्ली सेवा बिल 2023 पर लोकसभा में चर्चा के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आम आदमी पार्टी समेत पूरे विपक्ष को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा है कि अरविंद केजरीवाल का बंगला बनाने में हुए भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए इस बिल का विरोध हो रहा है। अमित शाह ने यह भी कहा कि गठबंधन बनने से कोई फायदा नहीं होगा। नरेंद्र मोदी फिर से पूर्ण बहुमत से प्रधानमंत्री बनेंगे।
कॉन्ग्रेस के साथ समन्वय पर बोलते हुए अमित शाह ने कहा, “दिल्ली में विधानसभा की शुरुआत 1993 में हुई थी। कभी भाजपा सत्ता में आई, कभी कॉन्ग्रेस ने शासन किया। कभी केंद्र में कॉन्ग्रेस का शासन था, तब दिल्ली में हमारी सरकार थी। कभी केंद्र में हम सत्ता में और दिल्ली में कॉन्ग्रेस सरकार थी, लेकिन कभी झगड़ा नहीं हुआ।”
गृहमंत्री ने आगे कहा, “उस दौरान सब ठीक चल रहा था। किसी की मंशा अधिकार हथियाने की नहीं थी, बल्कि सेवा करने की थी। कॉन्ग्रेस ने भी भाजपा के साथ झगड़ा नहीं किया। भाजपा ने भी कॉन्ग्रेस से विवाद नहीं किया। दोनों सरकारों के बीच कभी कोई झगड़ा नहीं हुआ।”
उन्होंने आगे कहा, “मुझे यह कहने में कोई झिझक नहीं है कि 2015 में स्थिति बदली और यहाँ एक ऐसे दल की सरकार आई, जिसका मकसद सेवा करना नहीं, झगड़ा करना है। यहाँ समस्या अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के अधिकार का नहीं है, बल्कि विजिलेंस को हाथ में लेकर जो बंगला बना दिया है इसकी सच्चाई छिपाना है। जो भ्रष्टाचार हो रहा है, इसकी सच्चाई छुपाना है।”
विपक्षी गठबंधन पर भी साधा निशाना
अमित शाह ने विपक्ष के नए-नवेले I.N.D.I.A. गठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा है, “मेरी सभी से विनती है कि चुनाव जीतने के लिए किसी पार्टी का समर्थन या विरोध करना, यह सही राजनीति नहीं है। विधेयक और कानून देश की भलाई के लिए लाया जाता है। इसलिए इसका विरोध और समर्थन दिल्ली की भलाई के लिए करना चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा, “दिल्ली की भलाई के लिए बिल का समर्थन करना चाहिए। मेरी अपील है विपक्ष के सदस्यों को दिल्ली के बारे में सोचना चाहिए। गठबंधन की मत सोचिए। गठबंधन से फायदा होने वाला नहीं है। गठबंधन बनने के बाद भी पूर्ण बहुमत से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनेंगे।”
नेहरू, पटेल, आंबेडकर की सिफारिशों का विरोध कर रहा विपक्ष
इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “विपक्ष का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर इस बिल को लाया गया है। मैं सभी को बताना चाहता हूँ कि आपने सुप्रीम के आदेश का अपना मनपसंद हिस्सा ही पढ़ा है। जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बारे में संसद में बताते हैं तो पूरे हिस्से की जानकारी होनी चाहिए। उसका दूसरा हिस्सा भी पारदर्शिता के साथ सदन में रखना चाहिए।”
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का जिक्र करते हुए कहा, “सुप्रीम कोर्ट के आदेश में पैरा 86, पैरा 95 और विशेषकर पैरा 164 की ओर वह ध्यान दिलाना चाहते हैं। इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि संसद को 239 एए के तहत दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के किसी भी विषय पर कानून बनाने का अधिकार है। यह अदालत ने अपने जजमेंट में पूरी तरह स्पष्ट कर दिया है।”
गृहमंत्री ने आगे कहा, “देश की आजादी के बाद पट्टाभि सीतारमैया समिति ने दिल्ली को राज्य स्तर का दर्जा देने की सिफारिश की थी। हालाँकि, जब सिफारिश संविधान सभा के सामने आई, तब पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, राजाजी, राजेंद्र प्रसाद, भीमराव आंबेडकर जैसे नेताओं ने इसका विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि ये उचित नहीं होगा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए। मैं यह सब इसलिए बता रहा हूँ, ताकि आप लोगों को पता होगा कि आप किसकी सिफारिश का विरोध कर रहे हैं।”