दिल्ली की सत्ताधारी ‘आम आदमी पार्टी (AAP)’ ने लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अपना राष्ट्रीय संयोजक (National Convener) चुना है। उनके साथ-साथ पंकज गुप्ता को सचिव और राज्यसभा सांसद एनडी गुप्ता को पार्टी का कोषाध्यक्ष चुना गया। इन तीनों पदाधिकारियों का कार्यकाल 5 वर्षों का होगा। AAP की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में ये फैसला लिया गया, जिसमें राष्ट्रीय कार्यकारिणी चुनी गई।
इस साल की शुरुआत में भी AAP के पार्टी संविधान को संशोधन कर के कई बदलाव किए गए थे। पहले AAP के संविधान में था कि कोई भी पदाधिकारी पार्टी में तीन-तीन वर्ष के दो कार्यकाल से अधिक समय तक नहीं रहेगा, लेकिन बाद में इसे बदल डाला गया। अगले साल पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं, जहाँ AAP पाँव पसारने के मौके तलाश रही है। पंजाब में वो मुख्य विपक्षी दल भी है।
कभी AAP के नेता रहे पत्रकार आशुतोष ने इस फैसले के बाद कहा, “इस देश में लोकतंत्र होगा कैसे जब सारे दल एक नेता का जेबी संगठन बन जाते हैं। AAP को देश को दिशा दिखानी थी। परंपरागत दलों जैसी ही निकली। क्या अरविंद केजरीवाल की जगह नया राष्ट्रीय संयोजक बनता तो उनकी ताक़त कम हो जाएगी या डर है कि दूसरा पार्टी पर कब्ज़ा कर लेगा? केजरीवाल पहले हाईकमान संस्कृति के खिलाफ थे, लेकिन अब पार्टी संविधान में संशोधन कर राष्ट्रीय संयोजक बने हैं। अच्छा है कि उन्हें जीवन भर के लिए चुन लो।”
When @ArvindKejriwal was leading the movement, he was against High Command culture.
— ashutosh (@ashutosh83B) September 12, 2021
Now party constitution is amended to end two term bar, one term for five years, instead of 3 years
It’s better to chose him for life. https://t.co/fUc0WWeO29https://t.co/3n8qa5bEwi
लोगों ने भी अरविंद केजरीवाल पर तंज कसा। एक ट्विटर यूजर ने लिखा कि यही केजरीवाल दूसरों को पार्टी के लिए निष्काम सेवा करने का संदेश दे रहे थे, वरना पार्टी कॉन्ग्रेस जैसी हो जाएगी। एक अन्य यूजर ने लिखा कि प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, आशुतोष और कुमार विश्वास जैसों को तो पहले ही बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है, इसीलिए अब AAP केजरीवाल की ही जागीर है। एक अन्य यूजर ने ध्यान दिलाया कि कैसे अब सिर्फ भाजपा ही ऐसी पार्टी बची है, जहाँ लोकतंत्र है।