80 से अधिक मामलों में आरोपित उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और सपा सांसद आज़म खान से कल (मंगलवार, 1 अक्टूबर) निगम भर्ती घोटाले की जाँच कर रही एसआईटी (SIT) ने पूछताछ की। 122 सहायक अभियंताओं की बर्खास्तगी का कारण बन चुके इस मामले में रिटायर्ड आइएएस अफसर एसपी सिंह तथा तीन अन्य अधिकारियों पर भी जाँच का शिकंजा कसा हुआ है।
SIT जाँच के बाद निकलते हुए आजम खान का ‘दर्द’ मीडिया से बात करते हुए छलक आया। उन्होंने पूछा कि क्या ऐसा हो सकता है कि चार बार मंत्री और 9 बार विधायक रह चुका इंसान बकरी चुराता फिरे। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके ऊपर यह दर्जनों मुकदमे पिछला लोकसभा चुनाव जीतने के बाद से ही लादे जा रहे हैं, जबकि योगी सरकार तो ढाई साल से है।
जलनिगम में भर्ती 122 सहायक अभियंताओं की नियुक्तियॉं अगस्त 2017 में रद्द कर दी गई थीं। वहीं 1178 अवर अभियंता और लिपिक अभी भी पूर्ण वैतनिक रूप से कार्यरत हैं। योगी की पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार में 1300 पदों पर हुई भर्तियों में अनियमितता की बात निकल कर सामने आई थी। इसके बाद योगी सरकार आई तो उसने मामले की जाँच SIT से कराने का निश्चय किया, जिसने 22 सितंबर, 2017 को जल निगम मुख्यालय में छापा मारा। तत्कालीन नगर विकास विभाग के सचिव और मामले के आरोपित एसपी सिंह पर नियमों को ताक पर रख कर 1300 लोगों की भर्तियाँ करने का आरोप है।
उस समय आजम खान नगर विकास मंत्री होने के अलावा जल निगम के अध्यक्ष भी थे। अभ्यर्थियों ने चयन प्रक्रिया में कई तरह की घपलेबाजी और अनियमितताओं के आरोप लगाए थे, जिनमें गलत मूल्यांकन का आरोप भी शामिल था। इसके उलट जल निगम के अधिकारियों का कहना था कि भर्तियाँ विभागीय परम्परा के ढर्रे पर ही की गईं थीं।