भाजपा ने कर्नाटक में राज्यसभा चुनाव के लिए के नारायण को उम्मीदवार बनाया है। के नारायण छापखाना चलाते हैं और संस्कृत भाषा को जिंदा रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। 68 वर्षीय के नारायण कर्नाटक के अति-पिछड़ा बुनकर समुदाय से आते हैं। कोरोना के कारण अशोक गस्ती की मौत के बाद खाली हुई सीट पर उन्हें उम्मीदवार बनाया गया है। वो न तो जाना-पहचाना चेहरा हैं और न ही संगठन में किसी बड़े पद पर, लेकिन संघ से उनका पुराना जुड़ाव रहा है।
दिसंबर 1, 2020 को होने वाले चुनाव के लिए भाजपा द्वारा उन्हें आगे करने को लेकर राजनीतिक विश्लेषक तक भी हैरत में हैं। वो बेंगलुरु में प्रिंटिंग प्रेस ‘स्पैन प्रिंट’ का संचालन करते हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि देश की एकमात्र संस्कृत पत्रिका ‘संभाषण संदेश’ का प्रकाशन उन्हीं के द्वारा किया जाता है। वो 1994 से इसका प्रकाशन करते आ रहे हैं। इस पत्रिका में कोई प्रचार सामग्री नहीं होती। दुनिया भर में इसके 15,000 सब्सक्राइबर्स हैं।
वो तुलु भाषा की पत्रिका ‘तुलुवेरे केडिगे’ के संपादक भी हैं। बुनकर समुदाय के कई समाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से भी वो जुड़े हुए हैं। खुद के नारायण का भी कहना है कि राज्यसभा उम्मीदवार के रूप में उनका नामांकन अप्रत्याशित था। उन्होंने TNIE को बताया कि जब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नलीन कुमार कटील ने उन्हें फोन कर के अपना वोटर आईडी कार्ड तैयार रखने को कहा, तब वो अपने घर पर ही थे।
इसके कुछ देर बाद उनके नाम की घोषणा कर दी गई। वो भाजपा दफ्तर भी कभी-कभार ही जाते हैं। 2019 में वो अंतिम बार भाजपा के दफ्तर गए थे, वो भी बुनकर समुदाय की समस्याओं के निदान हेतु। उन्होंने कहा कि भाजपा एकमात्र ऐसी पार्टी है, जो कार्यकर्ताओं के काम को महत्ता देती है, जहाँ प्रभाव, पैसा और प्रसिद्धी मायने नहीं रखती। उन्होंने कहा कि भाजपा में एक ही चीज की महत्ता है और वो है सेवाभाव।
इसी साल जून में सविता समुदाय (नाई समाज) से आने वाले अशोक गस्ती को उम्मीदवार बनाया गया था, जो सांसद भी बने। उनके अलावा इरन्ना कार्डी सांसद बने, उनका चयन भी हैरान कर देने वाला था। यहाँ तक कि कर्नाटक भाजपा के कई नेता भी के नारायण के चयन से हैरान हैं, क्योंकि उन्हें उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों का अंदाज़ा ही नहीं है। तटवर्ती इलाकों से आने वाले के नारायण बेंगलुरु के दिग्गज नेता दिवंगत अनंत कुमार के करीबी थे।
ರಾಜ್ಯಾಧ್ಯಕ್ಷರಾದ ಶ್ರೀ @nalinkateel ಅವರ ಉಪಸ್ಥಿತಿಯಲ್ಲಿ ಇಂದು ರಾಜ್ಯ ಸಭಾ ಅಭ್ಯರ್ಥಿಯಾದ ಡಾ. ಕೆ. ನಾರಾಯಣ್ ಅವರು ನಾಮಪತ್ರ ಸಲ್ಲಿಸಿದರು.
— BJP Karnataka (@BJP4Karnataka) November 18, 2020
ಈ ಸಂದರ್ಭದಲ್ಲಿ ಗ್ರಾಮೀಣಾಭಿವೃದ್ಧಿ ಮತ್ತು ಪಂಚಾಯತ್ರಾಜ್ ಸಚಿವ ಶ್ರೀ @ikseshwarappa ಉಪಸ್ಥಿತರಿದ್ದರು. pic.twitter.com/dTMedPbOHo
आर्ट्स से स्नातक करने वाले के नारायण ABVP और संघ के कार्यक्रमों के लिए पोस्टर-बैनर प्रिंट किया करते थे। उनकी शिक्षा-दीक्षा मंगलुरु में हुई है। वो 1971 में बंगलुरु शिफ्ट हुए थे। सदन में भाजपा सदस्यों की संख्या को देखते हुए उनका सांसद बनना तय है। बुधवार (नवंबर 18, 2020) को नॉमिनेशन भरने की अंतिम तारीख है। भाजपा ने ऐसे कई लोगों को विभिन्न चुनावों में मौका दिया है और कइयों की विजय भी हुई है।
इसी तरह अक्टूबर 2019 में उत्तर प्रदेश के घोसी में विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने विजय राजभर को टिकट दिया था। वो जीते भी और फ़िलहाल विधायक हैं। विजय राजभर के पिता अभी भी फुटपाथ पर सब्जी की दुकान लगाते हैं। राजभर ने संगठन में भी ख़ूब काम किया है। वह मऊ में भाजपा के नगर अध्यक्ष रहे हैं। नगरपालिका के चुनाव में उन्होंने सहादतपुर से वार्ड सदस्य के रूप में जीत दर्ज की थी।