सुशांत सिंह राजपूत के मौत के मामले में विवादों में घिरे मुंबई के पुलिस कमिश्नर परम बीर सिंह पर भोपाल से बीजेपी की सांसद साध्वी सिंह ने भी हिरासत के दौरान प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। साथ ही कंगना रनौत का समर्थन करते हुए कहा है कि महाराष्ट्र सरकार उन्हें जान-बूझकर परेशान कर रही। साध्वी ने इसे कॉन्ग्रेस की साजिश करार दिया।
सांसद साध्वी प्रज्ञा ने कहा, “जब मेरे ऊपर पुलिस ने अत्याचार किए थे तो परम बीर सिंह वरिष्ठ अधिकारी थे। उसने मुझ पर न जाने कितने अत्याचार किए और मुझे प्रताड़ित किया था। मैं दावे के साथ कह सकती हूँ कि उस पर लगाए गए आरोप गलत नहीं हो सकते हैं। मैं परम बीर सिंह को बहुत अच्छे से जानती हूँ। उसने जिस तरह मुझे पर अत्याचार किया था, वह किसी के साथ न्याय नहीं कर सकता।”
उन्होंने कंगना रनौत के दफ्तर में तोड़फोड़ को बदले की भावना से की गई कार्रवाई बताया। उन्होंने कहा कि इस पूरी साज़िश के पीछे कॉन्ग्रेस का हाथ है। कॉन्ग्रेस की भूमिका महाराष्ट्र सरकार में भी अहम है इसलिए वह एक महिला का अपमान कर रहे हैं। किसी पर भी बिना अपराध किए कार्रवाई करना नाइंसाफी है, ऐसा नहीं होना चाहिए।
भाजपा सांसद ने शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे की सराहना भी की और कहा कि साल 2008 के आस-पास मेरे संघर्ष के दिनों में बाल ठाकरे ने मेरी बहुत मदद की थी। मेरा मानना है कि भारत में किसी नारी का अपमान नहीं होना चाहिए, एक नारी का सम्मान भारत की संस्कृति है। शिवसेना भी इस संस्कृति में भरोसा रखती थी, लेकिन कॉन्ग्रेस के प्रभाव में उसका नज़रिया बदला है।
जी न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने आरोप लगाया था कि कथित ‘भगवा आतंक मामले’ में भूमिका जबरदस्ती कबूल करने के लिए मुंबई एटीएस द्वारा उन पर काफी अत्याचार किया गया था। मुंबई एटीएस के सदस्यों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए साध्वी प्रज्ञा ने खुलासा किया था कि परम बीर सिंह सहित एटीएस अधिकारियों ने उन्हें अवैध हिरासत में रखा था और 13 दिनों तक उन्हें प्रताड़ित किया था।
साध्वी प्रज्ञा ने आरोप लगाया था कि खानविलकर, परम बीर सिंह और (दिवंगत) हेमंत करकरे, सभी ने उन्हें प्रताड़ित किया। साध्वी ने 2008 में एक न्यायाधीश के समक्ष बताया था, “धमाके में शामिल होने की बात कबूल नहीं करने पर एटीएस के अधिकारियों ने मुझे कपड़ा उतारने और उल्टा लटकाने की धमकी दी।”
हाल ही में मुंबई पुलिस कमिश्नर परम बीर सिंह पिछले कुछ हफ्तों में सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर आलोचना का केंद्र बिंदु बन गए थे। इसकी एक बड़ी वजह सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में की गई जाँच को लेकर मुंबई पुलिस का ढुलमुल रवैया रहा है। यह विवाद मुंबई पुलिस प्रमुख परम बीर सिंह द्वारा किए गए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद शुरू हुआ।
परम बीर सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा था कि मुंबई पुलिस के संज्ञान में आया है कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित थे और इसका इलाज चल रहा था। मुंबई पुलिस कमिश्नर ने दावा किया था कि सुशांत सिंह राजपूत ने अपनी मौत से पहले ‘दर्द रहित मौत’, ‘सिज़ोफ्रेनिया’ (schizophrenia) और ‘बाइपोलर डिसऑर्डर’ जैसे शब्द सर्च किए थे। हालाँकि परम बीर सिंह के दावों को जल्द ही पलट दिया गया। टाइम्स नाउ की एक रिपोर्ट में बताया गया कि अभिनेता ने अपनी मौत से पहले हिमाचल प्रदेश, केरल और कूर्ग में संपत्ति, फॉर्म आदि सर्च किया था, जो कि परम बीर सिंह के दावों के विपरीत था।