Sunday, November 17, 2024
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मोहम्मदपुर के बाद दिल्ली के इन 40 गाँवों के मुस्लिम नाम बदलने के लिए बीजेपी ने खोला मोर्चा, CM केजरीवाल को लिखा पत्र

"आज सीएम अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर गुलामी के प्रतीक 40 गाँवों के नाम बदलकर स्वतंत्रता सेनानियों और महान विभूतियों के नाम पर रखे जाने की माँग की, आशा है कि वे राजनीति से ऊपर उठकर शीघ्र स्वीकृति देंगे।"

दिल्ली के मोहम्मदपुर गाँव में माधवपुर का बोर्ड लगाने के बाद बीजेपी ने दिल्ली के 40 गाँवों के मुस्लिम नामों को बदलने की माँग को लेकर मोर्चा खोल दिया है। इसे लेकर दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने मुख्यमंत्री केजरीवाल को पत्र लिखा है। उन्होंने दिल्ली सरकार से इस संबंध में जल्द फैसला लेने की माँग की है।

इसके लिए आदेश गुप्ता ने ट्वीट कर कहा, “दिल्ली का हर गाँव स्वाभिमान के साथ जाना जाए न कि किसी गुलामी के प्रतीक से, आज सीएम अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर गुलामी के प्रतीक 40 गाँवों के नाम बदलकर स्वतंत्रता सेनानियों और महान विभूतियों के नाम पर रखे जाने की माँग की, आशा है कि वे राजनीति से ऊपर उठकर शीघ्र स्वीकृति देंगे।”

उन्होंने कहा कि मोहम्मदपुर के साथ ही हुमायूंपुर, युसूफ सराय, मस्जिद मोठ, बेर सराय, मसूदपुर, जमरूदपुर, बेगमपुर, सदैला, फतेहपुर बेरी, हौजखास, शेख सराय, नेब सराय, मिर्जापुर, हसनपुर, गालिबपुर, ताजपुर खुर्द, नजफगढ़, अलीपुर सहित 40 गाँवों का नाम स्वतंत्रता सेनानियों, बलिदानियों और अलग-अलग क्षेत्र में विशेष उपलब्धि हासिल करने वालों के नाम के नाम पर रखा जाना चाहिए।

बता दें कि आदेश गुप्ता बुधवार (27 अप्रैल, 2022) को मोहम्मदपुर गाँव में जाकर इसका नाम बदलने की माँग करते हुए माधवपुर का बोर्ड लगाया था। उनका कहना है कि गाँववासियों की माँग पर लगभग चार माह पहले दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने इस संबंध में प्रस्ताव पास करके दिल्ली सरकार को भेजा था। दिल्ली सरकार ने अब तक इसे मंजूरी नहीं दी है।

दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष का कहना है कि देश स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर अमृत महोत्सव मना रहा है। इतने वर्षों बाद भी राजधानी के कई गाँवों के नाम गुलामी के प्रतीक वाले हैं। संभव है मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का ध्यान इस तरफ नहीं गया हो। भाजपा ने इस तरह के 40 गाँवों की पहचान की है। वहीं आदेश गुप्ता ने दिल्ली सरकार को लिखे पत्र में दावा किया है कि 40 गाँवों के नाम बदलने को लेकर गाँव के लोग सहमत हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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