लद्दाख के स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद (Ladakh Autonomous Hill Development Council) के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को बड़ी सफलता हासिल हुई है। कुल 26 सीटों के लिए हुए इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को आधे से अधिक 15 सीटें हासिल हुईं। वहीं कॉन्ग्रेस को 9 सीट हासिल हुई और 2 निर्दलीय प्रत्याशियों ने चुनाव जीता।
लद्दाख भाजपा अध्यक्ष और 34 वर्षीय सांसद जाम्यांग त्सेरिंग नामग्याल ने ट्वीट करते हुए चुनाव परिणामों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि यह भाजपा के लिए बड़ी जीत है, भाजपा एक बार फिर LAHDC का गठन करेगी।
Major victory for @BJP4 in UT Ladakh. BJP won 15 out of 26 seats in the Leh Autonomous Hill Development Council, Leh elections.
— Jamyang Tsering Namgyal (@JTNBJP) October 26, 2020
BJP will form LAHDC Leh once again.
Thanks @narendramodi @AmitShah @JPNadda @BJP4India @ArunSinghbjp @rammadhavbjp @KirenRijiju @kishanreddybjp @ANI pic.twitter.com/kqRS8tKyNK
370 हटने के बाद लद्दाख का पहला चुनाव
इस चुनाव के साथ सबसे ख़ास बात यही थी कि लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश (UT) का दर्जा मिलने के बाद यह पहला चुनाव था। लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद (LAHDC) के चुनाव में लेह क्षेत्र में लगभग 65.07 फ़ीसदी मतदान हुआ। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एक अधिकार ने बताया कि छठे लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद लेह का चुनाव पूरे ज़िले में हुआ।
लेह जिले के छठे पर्वतीय परिषद की 26 सीटों के लिए भाजपा, कॉन्ग्रेस और आप के अलावा कुल 23 निर्दलीय प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे थे। इस चुनाव में कुल 94 उम्मीदवारों के भाग्य का निर्णय लगभग 65.07 फ़ीसदी मतदाताओं ने किया। मतदाताओं के लिए भी यह अहम मौक़ा था क्योंकि उन्हें अपने मताधिकार का उपयोग करने का अवसर प्राप्त हुआ था।
चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या 89776 थी, जिसमें से 45025 महिला मतदाता थीं। इसके अलावा 26 निर्वाचन क्षेत्रों में लगभग 294 मतदान केंद्र बने हुए थे। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी, कॉन्ग्रेस और आप आदमी पार्टी के प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई और कई निर्दलीय प्रत्याशी भी मैदान में थे।
कुल 94 उम्मीदवारों में से 26-26 भाजपा और कॉन्ग्रेस के थे। इसके अलावा आम आदमी पार्टी के 19 उम्मीदवार, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी समेत कई क्षेत्रीय दल इस चुनाव में शामिल नहीं हुए थे। लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिलने के बाद वहाँ पर पहला लोकतांत्रिक आयोजन था।