चंडीगढ़ के मेयर मनोज सोनकर ने 18 जनवरी 2024 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। अब फिर से चुनाव होंगे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले इस्तीफा दिया है। नए सिरे से चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी (AAP) को तगड़ा झटका लगा है। उसके तीन पार्षद बीजेपी में शामिल हो गए हैं।
AAP के पार्षद नेहा मुसावत, पूनम और गुरचरण काला को बीजेपी महासचिव विनोद तावड़े ने पार्टी की सदस्यता दिलाई। इसके साथ ही नगर निगम में अब बीजेपी का पलड़ा भारी हो गया। बीजेपी के पास अब नगर निगम में 18 पार्षद हो गए हैं। वहीं AAP के पास 10 पार्षद ही रह गए हैं। इसके अलावा कॉन्ग्रेस के पास 7 और शिरोमणि अकाली दल (SAD) के पास 1 पार्षद हैं।
प्रधानमंत्री @narendramodi जी के नेतृत्व में जनकल्याणकारी नीतियों से प्रभावित होकर चंडीगढ़ से आम आदमी पार्टी की पार्षद पूनम देवी, नेहा और गुरचरण काला जी आज दिल्ली में भाजपा में शामिल हुए।
— Vinod Tawde (@TawdeVinod) February 18, 2024
AAP ने उनके साथ धोखा किया है, लेकिन भाजपा उन्हें बिना किसी झूठे वादे के उनकी क्षमता के… pic.twitter.com/5U5RazpN4S
भाजपा की सदस्यता लेने वाले पार्षद गुरचरण काला ने कहा कि AAP ने उनके ऊपर दबाव बनाया था। उन्होंने पीएम मोदी के कामों से प्रभावित होकर भाजपा की सदस्यता लेने की बात कहीं है। नेहा मुसावत ने भी AAP पर इसी तरह के आरोप लगाए हैं।
चंडीगढ़ नगर निगम में मेयर पद का चुनाव 36 पार्षद मिलकर करते हैं। सबसे ज्यादा वोट पाने वाला प्रत्याशी चुनाव जाता है। वर्तमान परिस्थितियों के हिसाब से भाजपा के पास 17 पार्षद, 1 सांसद (चंडीगढ़ मेयर चुनाव में सांसद भी वोटिंग करते हैं) और SAD के इकलौते पार्षद का समर्थन है। वहीं आप और कॉन्ग्रेस को मिलाकर भी मात्र 17 ही वोट होते हैं। ध्यान देने वाली बात यह भी कि नए राजनीतिक समीकरणों के आधार पर AAP को कॉन्ग्रेस का समर्थन मिलना मुश्किल लग रहा है, क्योंकि उसने हाल ही पंजाब-चंडीगढ़ का लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान किया है।
इस मामले पर आज (19 फरवरी, 2024) सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई होगी। पिछली बार यहाँ भाजपा के मनोज सोनकर को 30 जनवरी को हुए मतदान में मेयर चुना गया था। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी और कॉन्ग्रेस के गठबंधन ने धांधली के आरोप लगाए थे। इसी को लेकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में चुनाव अधिकारी अनिल मसीह को तलब किया था, जिन पर गड़बड़ी के आरोप लगाए गए थे।
मनोज सोनकर के इस्तीफे पर भाजपा का कहना है कि उनके चुने जाने के बाद से लगातार विपक्ष हो हल्ला कर रहा था और शहर को ठीक से चलने नहीं दे रहा था। मनोज सोनकर ने इसलिए इस्तीफ़ा दे दिया। AAP ने पिछले चुनाव में मनोज सोनकर के सामने कुलदीप ढलोर को उतारा था, जिनको हार का मुँह देखना पड़ा था।