कॉन्ग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में 24 अक्टूबर को होने वाले स्थानीय चुनावों में न लड़ने का ऐलान किया है। ब्लॉक डेवलपमेंट काउन्सिल (BDC) के यह चुनाव 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से राज्य में होने वाले पहले चुनाव होंगे। राज्य की प्रदेश कॉन्ग्रेस कमिटी ने यह ऐलान अपने वरिष्ठ नेताओं की नज़रबंदी और उन पर तमाम बंदिशें चालू रहने के खिलाफ किया है।
‘हम करना तो चाहते थे, लेकिन लीडरान के बिना कैसे’
पार्टी के राज्य में मुख्य प्रवक्ता रविंदर शर्मा ने कहा कि सरकार कॉन्ग्रेस के साथ कोई सहयोग नहीं कर रही है, जबकि पार्टी ने चुनाव के समय और राज्य के हालात को लेकर शंकाओं के बावजूद सरकार के साथ सहयोग की इच्छा प्रकट की थी। रविंदर शर्मा ने कहा, “कश्मीर घाटी के हमारे वरिष्ठ नेताओं में से अधिकाँश पर पाबंदियाँ कम न होने के चलते पार्टी BDC चुनावों पर पुनर्विचार कर रही है।” इसके अलावा शर्मा ने सरकार पर चुनावों की तारीख की घोषणा एकतरफ़ा तरीके से थोपे जाने की भी बात की।
वहीं राज्य प्रशासन का कहना है कि नज़रबंद लोगों की रिहाई व्यक्तिगत तौर पर एक-एक व्यक्ति का विश्लेषण करने के बाद ही की जाएगी।
आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप
कॉन्ग्रेस के साथ ही उससे टूट कर अलग पार्टी बनी नेशनल पैंथर्स पार्टी ने भी ने भाजपा के पक्ष में आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप राज्य प्रशासन और राज्यपाल पर मढ़ा है। उनका कहना है कि राज्यपाल की कार्यवाहक सरकार द्वारा 370 हटने से राज्य को होने वाले फायदों का प्रचार-प्रसार असल में भाजपा का सरकारी खर्चे और आचार संहिता की बंदिशों को बाईपास कर के प्रचार करना है। पार्टी अध्यक्ष हर्ष देव सिंह ने घाटी में नए जनजातीय हॉस्टल की स्थापना, बिजली आपूर्ति में सात घंटे की बढ़ोतरी, गुरेज़ में विद्युत आधारभूत ढाँचे में वृद्धि, कश्मीर में गैस सिलिंडरों और ईंधन पहुँचाने की घोषणा को आचार संहिता के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन बताया।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा इन सभी घोषणाओं का फायदा ले रही है, और चुनाव आयोग का अमला मूक दर्शक बन कर सब कुछ देख रहा है।