मध्य प्रदेश की राजनीति एक बार फिर सुर्ख़ियों में है। इस बार सुर्ख़ियों की वजह है ज्योतिरादित्य सिंधिया पर लगाए गए आरोप। हालाँकि कॉन्ग्रेस छोड़ने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया पर आरोप लगते ही रहे हैं लेकिन हैरानी की बात यह है कि कॉन्ग्रेस के एक नेता ने उन पर आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से गुहार लगाई है।
कॉन्ग्रेस के नेता गोविंद सिंह ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री से आग्रह करते हुए कहा कि वह राजस्व पोर्टफोलियो सिंधिया कैम्प के किसी व्यक्ति को न दें। क्योंकि ऐसा होने पर राजस्व विभाग के मुखिया की मदद से वह सरकारी ज़मीन अपने ट्रस्ट के नाम करवा सकते हैं।
गोविंद सिंह ने कहा –
“ग्वालियर उच्च न्यायालय के तमाम अधिवक्ता समेत कलेक्ट्रेट भी उनकी इस प्रक्रिया में मदद करते हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए राजस्व मंत्री की मदद से सरकारी ज़मीन अपने ट्रस्ट के नाम करवाना आसान हो जाता है। इसलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मेरा निवेदन है कि वह सिंधिया कैम्प से जुड़े किसी भी व्यक्ति को राजस्व मंत्रालय का कार्यभार न दें। प्रदेश के 7 करोड़ लोगों का हित देखते हुए सरकार को यह ज़मीन बचानी चाहिए।”
कॉन्ग्रेस नेता गोविंद सिंह ने यह भी कहा कि आज़ादी के बाद सिंधिया परिवार ने कई सरकारी ज़मीनों पर कब्ज़ा कर लिया था। आरोप लगाए जाने के बाद मध्य प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग ने जवाब दिया।
विश्वास सारंग ने कहा, “कॉन्ग्रेस के नेता अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं। अगर इस तरह के अ-मूल्य सुझाव पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को दिए गए होते तो जनता का हित बेहतर तरीके से सुनिश्चित होता। सिंधिया कॉन्ग्रेस में रहते हुए इंसाफ के लिए लड़ते रहे, जब किसानों का क़र्ज़ माफ़ नहीं हुआ तब उन्होंने कॉन्ग्रेस से इस्तीफ़ा दे दिया। उन्होंने कॉन्ग्रेस कभी अपने हित के लिए नहीं छोड़ी।”
दिलचस्प बात यह है कि कमलनाथ सरकार के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया के सहयोगी गोविंद सिंह, राजस्व मंत्री थे। ऐसे में यह पूछा जाना चाहिए कि खुद गोविंद सिंह के राजस्व मंत्री रहते सिंधिया ने जनता की कितनी जमीन अपने ट्रस्ट के नाम करवाई थी?