भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)- माकपा (CPM) 31 मई से 1 जून के बीच कर्नाटक के शहर मंगलुरु में एक ‘मुस्लिम सम्मेलन’ आयोजित करने जा रही है। यह कार्यक्रम कर्नाटक CPM राज्य समिति के सदस्य मुनीर कटिपल्ला द्वारा आयोजित किया जा रहा है।
द न्यूज मिनट की रिपोर्ट के मुताबिक, सम्मेलन में लगभग 2000 मुस्लिम प्रतिनिधि भाग लेंगे। हालाँकि, कटिपल्ला ने दावा किया कि यह आयोजन ‘पहचान की राजनीति’ से प्रेरित नहीं है, बल्कि ‘इस्लामोफोबिया और हिंदुत्व के संयुक्त प्रभाव को रोकने’ से प्रेरित है।
माकपा नेता ने यह भी कहा कि सुन्नी बहुल इलाकों में उन्हें जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली। उन्होंने कहा, “स्थानीय मस्जिद समितियों, सुन्नी छात्र संघ (SSF) के यूनिट्स, मुस्लिम केंद्रीय समिति (MCC) ने हमें पंचायत और नगरपालिका स्तर पर आयोजन में मदद की है।”
मुनीर कटिपल्ला ने यह भी बताया कि मुस्लिम बहुल चोक्काबेट्टू क्षेत्र में ‘मुस्लिम सम्मेलन’ को समर्थन मिला। बता दें कि यह इस्लामिक संगठन SDPI (सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया) का गढ़ है। इससे पहले इसी साल 5 मई को केरल उच्च न्यायालय ने कहा था कि SDPI एक चरमपंथी संगठन है, जिस पर अभी तक भारत में प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।
माकपा नेता ने कहा कि सम्मेलन ‘मुस्लिमों’ के बारे में है न कि मुस्लिमों का ‘सम्मेलन’ है। उन्होंने कहा, “हाँ, क्योंकि समुदाय द्वारा सामना की जा रही समस्याओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है, इसलिए सभा का एक बड़ा हिस्सा मुस्लिमों का होगा। लेकिन इसमें अन्य भी हैं।”
कटिपल्ला ने आगे कहा कि वह अपने प्रचार में हिंदुओं और अन्य समुदाय के लोगों को भी इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए कह रहे हैं, ताकि उन्हें बता सकें कि कोविड महामारी के बाद उनके और मुस्लिमों की समस्या कैसे एक जैसी है। उन्होंने इन समस्याओं के लिए बीजेपी सरकार को दोषी ठहराया है। वहीं, माकपा को मुस्लिम समुदाय के लिए एक खास आयोजन के लिए आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
माकपा खुद के ‘धर्मनिरपेक्ष’ होने का दावा करती है। पहले ऐसा लगता था कि उनका कार्यक्रम इस्लामोफोबिया और हिंदुत्व का मुकाबला करने के लिए है। फिर उन्होंने दावा किया कि यह मुस्लिमों और उनके सामने आने वाली समस्याओं को सुनने के लिए है, इसलिए उन्होंने मुस्लिम प्रतिनिधियों को बुलाया गया है।
अब चौतरफा आलोचना के बाद उन्होंने दावा किया कि कार्यक्रम में शामिल होने के लिए हिंदुओं से भी संपर्क किया गया है। यह स्पष्ट है कि सीपीएम हिंदुओं को अधिक से अधिक बदनाम करने के लिए अब भी मुस्लिम उत्पीड़न का सहारा ले रही है, जो कि पार्टी का पुराना पैंतरा है।
CPIM the main left party that is ‘avowedly secular’ and claims to shun identity politics of the ‘RSS kind’ is planning a meet exclusively for Muslims in coastal Karnataka very shortly. 2000 Muslim delegates invited for the ‘dharam sansad’. How’s that for hypocrisy?
— Rahul Shivshankar (@RShivshankar) May 27, 2022
टाइम्स नाउ के राहुल शिवशंकर ने ट्वीट किया, “सीपीआईएम मुख्य वामपंथी पार्टी, जो ‘धर्मनिरपेक्ष’ है और ‘आरएसएस की तरह’ पहचान की राजनीति को दूर करने का दावा करती है, बहुत जल्द कर्नाटक में मुस्लिमों के लिए एक सम्मेलन की योजना बना रही है। 2000 मुस्लिम प्रतिनिधियों को ‘धर्म संसद’ के लिए आमंत्रित किया गया। यह कैसा हिप्पोक्रेसी है?”
सम्मेलन का बचाव करते हुए मुनीर कटिपल्ला ने कहा, “… हाँ, यह एक विशेष सम्मेलन है, जहाँ मुस्लिमों पर विशेष ध्यान दिया गया है। यह उन असाधारण परिस्थितियों के कारण है जो भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद से देश में पैदा हुई हैं।”