देश की राजधानी दिल्ली गैस चैंबर में बदल चुकी है। सर्दी बढ़ने के साथ ही दिल्ली वालों पर प्रदूषण का वार इतना बढ़ गया है कि आधिकारिक तौर पर भले ही अभी तक कोहरा नहीं गिरा हो, लेकिन पूरी दिल्ली सूरज के किरणों के लिए तरस रही है। दिल्ली के लगभग हर हिस्से में हवा में प्रदूषण का स्तर ‘खतरनाक’ रूप से गंभीर स्थिति में पहुँच चुका है। प्रदूषण की वजह से स्कूल बंद किए जा चुके हैं। कमर्शियल गाड़ियों की एंट्री पर बैन लगा दिया गया है और भी बहुत कुछ।
बस, एक काम सालों से नहीं हो पाया है, वो है इस प्रदूषण को रोकने का स्थाई उपाय। ये अलग बात है कि आम आदमी पार्टी की दिल्ली से लेकर पंजाब तक की सरकारें प्रदूषण की मुख्य वजह बताई जाने वाली पराली के जलाने पर न तो रोक लगा सकी हैं, न ही कोई अन्य उपाय ही कर सकी हैं। सिवाय जिम्मेदारी एक-दूसरे के सिर डालने की।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, शुक्रवार (03 नंबर 2023) को सुबह 8 बजे दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 346 था। दिल्ली के लोधी रोड, जहांगीरपुरी, आरके पुरम और आईजीआई एयरपोर्ट जैसे इलाकों में हवा की हालत खराब है। इन जगहों पर एक्यूआई रीडिंग क्रमश: 438, 491, 486 और 473 है।
पंजाब की पराली से गैस चैंबर बनी दिल्ली
दिल्ली में पीएम 2.5 कणों की उपस्थिति इतनी अधिक है कि वो अब साँस के साथ फेफड़ों में घुसकर पूरी दिल्ली को मौत के मुँह में ढकेल सकते हैं। निगरानी संस्था आईक्यूएयर के मुताबिक, दिल्ली की हवा में पीएम 2.5 की उपस्थिति स्वीकार्य मात्रा से 35 गुना अधिक है। सोचिए, दिल्ली के लोगों को किस हवा में साँस लेने को मजबूर होना पड़ रहा है, जबकि इसमें उनकी गलती उतनी ही है, जितनी सब्जी में पड़ा धनिए का पत्ता। अगर सरकारों ने अपने स्तर पर काम किए होते, तो दिल्ली की ये हालत नहीं होती।
वैसे, तो आम आदमी पार्टी की सरकार जब दिल्ली में थी, तब लगातार ये दावा किया जा रहा था कि पंजाब की पराली की वजह से दिल्ली में प्रदूषण रहता है। फिर पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बन गई। आम आदमी पार्टी ने दावा किया कि अब दिल्ली के लोगों को दमघोंटू हवा से मुक्ति मिल जाएगी, क्योंकि पंजाब की सरकार पराली पर रोक लगाएगी, जबकि हकीकत ये है कि दिल्ली के एक अन्य पड़ोसी राज्य हरियाणा ने पराली जलाने की घटनाओं पर काफी हद तक काबू पा लिया है, जबकि आम आदमी पार्टी शासित पंजाब राज्य में पराली की घटनाएँ आश्चर्यजनक रूप से बढ़ी हैं, वो भी इसके बावजूद कि सरकार ने कई तरह की घोषणाएँ कागजों पर कर रखी हैं।
पंजाब में पराली जलाने की घटना में रिकॉर्डतोड़ बढ़ोतरी
दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने के पीछे के कई कारण हैं, जिसमें गाड़ियों का धुआँ, निर्माण कार्य, हवा की कम गति और पराली जलाने से होने वाला प्रदूषण मुख्य है। दिल्ली में प्रदूषण 1 नवंबर से 15 नवंबर तक अपनी चरम सीमा पर होता है, क्योंकि इसी समय पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में पराली जलाई जाती है। हालाँकि अभी के आँकड़ों के मुताबिक, हरियाणा में आश्चर्यजनक रूप से पराली जलाने की घटनाओं में काफी कमी आई है, तो पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में अकेले अक्टूबर माह में ही काफी बढ़त दर्ज की गई है। सिर्फ बीते रविवार ही पंजाब में पराली जलाने की 1068 घटनाएँ दर्ज की गई, जो एक दिन के मुकाबले 74 प्रतिशत अधिक है। जबकि एक दिन पहले शनिवार को पराली जलाने की 127 घटनाएँ हुई थी।
जेल-कोर्ट कचहरी और चुनाव प्रचार में व्यस्त सरकार
दिल्ली में आम आदमी पार्टी के मुख्य नेता जेल में हैं। पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल को भी ईडी का बुलावा है। अब तक अपने नेताओं को बेकसूर बताते रहे अरविंद केजरीवाल पर जब आँच आई, तो खुद को वो चुनावी स्टार प्रचारक बताकर दिल्ली से बाहर निकल गए और मध्य प्रदेश में चुनावी सभाएँ करने लगे।
वहीं, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी उनके पीछे-पीछे पूरे साल भर चलते रहते हैं। ऐसे में पराली हो या कोई भी मुद्दा, आम आदमी पार्टी की सरकारें काम कर ही कहाँ रही हैं? उनके लिए पहली प्राथमिकता जनता होती, तो वो जनहित के कामों में जुटते, लेकिन उन्हें अपनी जिम्मेदारियों को दूसरों पर डालने और काम न करने के बहाने ढूँढने की आदत है।
वैसे, एक बात बता दें कि अरविंद केजरीवाल ने ईडी को लिखी चिट्ठी में खुद पर प्रशासनिक भार होने और चुनाव प्रचार में व्यस्त रहने की बात कही है, लेकिन वो तो बिना मंत्रालय के मुख्यमंत्री हैं? क्या ही काम उनके ऊपर है? बात बची चुनाव प्रचार की, तो दिल्ली की जनता को गैस चैंबर में डाल कर वो उसी काम में व्यस्त हैं।
शनिवार से पहले भी पंजाब रहा अव्वल
गौरतलब है कि पंजाब में ‘आम आदमी पार्टी’ (AAP) की सरकार आने से पहले आतिशी स्वयं और केजरीवाल दिल्ली के प्रदूषण का पूरा भार हरियाणा और पंजाब में किसानों के पराली जलाने पर डालते रहते थे। उनका खुद का एक वर्ष 2020 का बयान इसी विषय में है।
दिल्ली के अलावा पंजाब में भी आम आदमी पार्टी की सरकार प्रदूषण को नियंत्रित करने में असफल साबित हो रही है। जहाँ हरियाणा की सरकार ने पराली जलाने की घटनाओं पर नियन्त्रण पाया है वहीं पंजाब में लगातार पराली जल रही है। मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि पंजाब में पराली जलाने के कारण दृश्यता कम हो गई है। पंजाब में 15 सितम्बर से लेकर 28 अक्टूबर तक पराली जलाने की 4186 घटनाएँ सामने आई थी, जबकि हरियाणा में यह इसकी एक चौथाई 1019 ही हैं।
पंजाब में किसान पराली जलाने के नायाब तरीके भी ढूँढ रहे हैं। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि पराली में आग लगाने के तुरंत बाद किसान उस पर ट्रैक्टर चला रहे हैं ताकि जलती हुई पराली दब जाए और उसका धुआँ ज्यादा ना उठे। इस तरीके से पंजाब की एजेंसियाँ सैटेलाइट में यह धुआँ नहीं देख पाती। पंजाब के किसान यह कदम उठाने के लिए इस लिए भी मजबूर हैं क्योंकि उन्हें आम आदमी पार्टी की सरकार पराली का स्थायी निस्तारण अभी तक नहीं दे पाई है, ऐसे में किसानों के पास इसे जलाने के अलावा और कोई रास्ता भी नहीं बचता है भले ही यह पर्यावरण के लिए कितना ही हानिकारक क्यों ना हो।