दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार की नई आबकारी नीति 2021-22 की जगह अब पुरानी शराब नीति लागू होती है। दिल्ली सरकार ने यह फैसला लिया है। दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार (30 जुलाई 2022) को कहा कि नई आबकारी नीति आने तक 1 अगस्त से केवल सरकार द्वारा संचालित शराब की दुकानों से ही शराब की बिक्री होगी।
पुरानी आबकारी व्यवस्था को लागू करने की घोषणा करते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा, “हम भ्रष्टाचार को रोकने के लिए नई शराब नीति लाए। इससे पहले सरकार को 850 शराब की दुकानों से करीब 6,000 करोड़ रुपए का राजस्व मिलता था। नई नीति के बाद हमारी सरकार को उन्हीं दुकानों से 9,000 करोड़ रुपए से अधिक मिले।”
मनीष सिसोदिया ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, “वे (भाजपा) दुकानदारों और अधिकारियों को ED और CBI की धमका रहे हैं। वे चाहते हैं कि दिल्ली में कानूनी शराब की दुकानें बंद हों और अवैध दुकानों से पैसा कमाया जाए। हमने नई शराब नीति को रोकने का फैसला किया है और सरकारी शराब की दुकानें खोलने का आदेश दिया है।”
They (BJP) are threatening shopkeepers, officers with ED and CBI, they want legal liquor shops to be closed in Delhi and earn money from illegal shops. We've decided to stop the new liquor policy and ordered to open govt liquor shops: Delhi Deputy CM Manish Sisodia
— ANI (@ANI) July 30, 2022
उन्होंने कहा कि इस ट्रांजिशन के दौरान किसी तरह की अराजकता ना हो, इसके लिए मुख्य सचिव को निर्देश दिया गा है। बता दें कि राजधानी में इस समय 468 निजी शराब की दुकानें हैं और इनके बंद होने के बाद राजधानी में शराब की उपलब्धता पर बड़ा संकट पैदा हो गया है।
उप-मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि भाजपा गुजरात की तरह दिल्ली में भी दुकानदारों और अधिकारियों को धमकाकर नकली और ऑफ-ड्यूटी शराब की बिक्री को बढ़ावा देना चाहती है और उससे पैसे कमाना चाहती है, लेकिन वे ऐसा नहीं होने देंगे।
उन्होंने कहा कि नई नीति से पहले सरकारी दुकानों में शराब बेची जाती थीं, लेकिन निजी दुकानें भी थीं। इन निजी दुकानों के लाइसेंस अपने दोस्तों-रिश्तेदारों को दे दिए जाते थे। इसमें खूब भ्रष्टाचार होता था। इस भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए ही नई आबकारी नीति लागू की गई थी।
बता दें कि कुछ दिन पहले दिल्ली एलजी वीके सक्सेना ने नई शराब नीति में अनियमितताओं को लेकर सीबीआई जाँच के आदेश दिए थे। दिल्ली सरकार ने इसके खिलाफ खूब हल्ला बोल किया था। इसके बाद आम आदमी पार्टी की सरकार ने अंतत: इसे वापस लेने का फैसला लिया है।